sitaro ke aage jahan aur bhi hai

sitaron se aage jahan aur bhi hai सितारों से आगे जहाँ और भी हैं

Written by-Khushboo

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sitaron se aage jahan aur bhi hai-प्रेरक कविताएं एवं जोशपूर्ण शायरी विपरीत परिस्थितियों में भी हमारे आत्मबल को मजबूत और मनोबल को ऊंचा रखने में प्राचीन समय से ही काफी महत्वपूर्ण रही हैं. इसलिए हर एक राजा महाराजा के दरबार में विभिन्न रसों के कवि हुआ करते थे. जिनमें वीर रस के कवियों का एक अलग ही स्थान था. जो विपरीत परिस्थितियों एवं प्रतिकूल समय में अपने राज्य की सेना सत्ता और नागरिकों के मन में मुश्किलों से लड़कर विजय होने की आशा बलवती करने की विद्या में प्रवीण हुआ करते थे…!


जोश बढाती और हिम्मत बांधती इस कविता/गजल में इक़बाल ने किसी भी परिस्थिति में हतोत्साहित होकर चुप बैठने को नहीं, बल्कि विपरीत परिस्थियों में भी संघर्ष और सूझबूझ से लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने की नसीहत दी है.

यहाँ इक़बाल की भी यह रचना “सितारों से आगे जहाँ और भी हैं ” बेहद प्रेरक है.इक़बाल की प्रेरक उर्दू गजल पढ़िए हिंदी में…

sitaron se aage jahan aur bhi hai


सितारों से आगे जहाँ और भी हैं 
अभी इश्क़ के इम्तिहान और भी हैं 

तहि ज़िंदगी से नहीं ये फजायें 
यहाँ सैकड़ों कारवां और भी हैं 

क़नाअत न कर आलम.ए.रंग.ओ.बू पर
चमन और भी आशियाँ और भी हैं 

अगर खो गया एक नशेमन तो क्या गम 
मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ और भी हैं

तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा
तेरे सामने आसमाँ और भी हैं

इसी रोज़-ओ-शब में उलझ कर न रह जा
के तेरे ज़मीन-ओ-मकाँ और भी हैं

गए दिन कि तन्हा था मैं अंजुमन में
यहाँ अब मेरे राज़दाँ और भी हैं

***

इक़बाल की यह रचना पढ़ कर आपको जरूर आंनद आया होगा और आप खुद थोड़ा प्रेरित भी महसूस कर रहे होंगे. कुछ शब्द जरूर समझने में तकलीफ हुई होगी जिसका अनुवाद शीघ्र ही हम अपडेट करेंगे आप भी ऐसा कर सकते हैं कमेंट बॉक्स में उनके अर्थ लिख कर..


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