हिन्दू नववर्ष 2024 में कब है ? ग्रेगोरियन कैलेंडर के आधार पर मनाए जाने वाले नववर्ष को तो हम सभी भारतवासी बड़े उत्सव उल्लास और धूमधाम से मनाते हैं लेकिन हम में से अधिकांश लोग यह नहीं जानते कि दक्षिण भारत में उगादि कश्मीर में नेवरह मणिपुर में सजिबु नोंगमा महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा और कोंकण क्षेत्र में संवत्सर पड़वो क्यों मनाया जाता है ?
भारतीय परंपरा का अपना भी कोई नववर्ष है इसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है शहरों में तो प्रायः बहुत कम… हां गांव में लोगों को उस त्यौहार विशेष के मनाए जाने के बारे में अधिक जानकारी भले नहीं हो लेकिन उन्होंने इसे परंपरा और पर्व के रूप में बचाए रखा है ।
हिन्दू नववर्ष
मित्र हमारे हिंदू कैलेंडर में भी 12 महीने होते हैं जो चैत्र मास से प्रारंभ होकर फाल्गुन महीने में समाप्त होता है । आज भी भारत के कई हिस्सों में क्षेत्र मास की नवरात्रि को भी शारदीय नवरात्रि की तरह ही उतनी ही श्रद्धा और शिद्दत से मनाया जाता है …
हिंदू कैलेंडर के प्रथम महीने चैत्र मास का पहला दिन अर्थात प्रतिपदा वस्तुत: हम सभी सनातनियों के लिए हमारे नए साल का पहला दिन है… । और चैत्र प्रतिपदा के इस दिन को भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग पर्व का नाम देकर उत्सव के रूप में मनाया जाता है ।
महाराष्ट्र में इसका नाम गुड़ी पड़वा है दक्षिण भारत में आंध्र तेलंगाना और कर्नाटक आदि क्षेत्रों में इसे उगादि के नाम से मनाया जाता है तुम मणिपुर में से सजिबु नोंगमा पानबा कोंकण क्षेत्र में संवत्सर पड़वो सहित अन्य क्षेत्रों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है ।
आगे आपकी सुविधा के लिए संक्षेप में हिंदू नव वर्ष 2024 से जुड़े सभी महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई है-
हिन्दू नव वर्ष -2024
हिंदू नववर्ष 2024 महत्वपूर्ण समय (Hindu Nav Varsh 2024 )
- चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि शुरू 8 अप्रैल 2024, रात 11.50
- चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि समाप्त 9 अप्रैल 2024, रात 08.30
- चैत्र नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त सुबह 06.02 – सुबह 10.16
- कलश स्थापना अभिजित मुहूर्त सुबह 11.57 – दोपहर 12.48
महत्व
आस्थावान सनातनी चैत्र प्रतिपदा के इस तिथि को साल की शुरुआत अपने घर में शुभ समय पर कलश स्थापना एवं माता के पूजा पाठ से करता है । आने वाले साल में अपने व्यक्तिगत और सामाजिक सुखद जीवन की कामना करता है तथा आर्थिक और मानसिक आदि बाधाओं से मुक्ति हेतु प्रार्थना करता है आशीर्वाद प्राप्त करता है ।
कैसा रहेगा विक्रम संवत 2081
शास्त्रों की जानकारी व्यक्तियों के अनुसार इस साल इस संवत का राजा मंगल और मंत्री शनि होंगे । राजा मंगल और शनि महाराज का साल के मंत्री होने के कारण यह साल उथल-पुथल से भरा रहेगा । तथा अंतरिक्ष संघर्ष और प्राकृतिक आपदाओं से भी परेशान रहने वाला है यह साल । जानकारी इसने इस साल का नाम क्रोधी दिया है अर्थात इस संवत्सर को क्रोधी के नाम से जाना जाएगा ।
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जानकारों के अनुसार विक्रम संवत 2081 के राज मंगल, शनि के मंत्री होने से यह साल उथल-पुथल वाला रहेगा. भारत में अल्पवृद्धि के योग होंगे. नया रोग या कोई नई महामार के आने के योग बन रहे हैं. राहु, मंगल, सूर्य और शनि के कारण प्राकृति प्रकोप बढ़ सकता है, तूफान, भूकंप और बाढ़ से जानमाल के नुकसान की ज्यादा आशंका है. राजनीतिक पार्टियों में शत्रुता की भावना बढ़ेगी. भारत में आंतरिक संघर्ष बढ़ने की संभावना है. देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा.
हिन्दू नव वर्ष विक्रम संवत पर आधारित है. शास्त्रों में कुल 60 संवत्सर बताए गए हैं. 9 अप्रैल 2023 से विक्रम संवत 2081 शुरू हो जाएगा. 2081 नव संवत्सर को ‘क्रोधी’ नाम से जाना जाएगा. इस साल संवत के राजा मंगल और मंत्री शनि होंगे. ज्योतिष गणना के अनुसार, हिन्दू नव वर्ष का पहला दिन जिस भी दिवस पर पड़ता है पूरा साल उस ग्रह का स्वामित्व माना जाता है.
हिंदू नव वर्ष प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के प्रतिपदा शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है ।
हिंदू नव वर्ष प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के प्रतिपदा शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है ।
हिंदू नव वर्ष को विक्रम संवत के आधार पर मनाया जाता है
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार जो नया साल अभी चल रहा है जिसे हम 2024 कह रहे हैं वह विक्रम संवत के आधार पर 2081 विक्रम संवत कहलाएगा ।
अलग-अलग विद्वानों के मत तथा शास्त्रों के अनुसार कुल 60 संवत्सर हैं जिनमें से हम भारत के लोग जो वर्तमान में जी संवत्सर को अधिक से अधिक मानते हैं वह है हमारा विक्रम संवत। हालांकि भारत सरकार ने जो कैलेंडर अपनाया था आजादी के बाद उसका आधार शक संवत था ।
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.