pushpak viman through which lord ram mata sita and lakshma ji ayodhya aaye- uski khasiyat ke bare me

पुष्पक विमान की खासियत क्या थी ?

Written by-Khushboo

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कुछ एक दिन पहले मुझे किसी ने पूछा था की भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी लंका से अयोध्या धाम किस विमान से आए थे? तथा उसमें क्या सुविधाएं थी? उसका हुआ क्या? इन जिज्ञासाओं का उत्तर इस संक्षिप्त लेख में है-

रावण के पापाचार से इस धरती को मुक्त कर भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या पुष्पक विमान से अयोध्या लौटे थे । इस पुष्पक विमान की क्या थी खासियत और यह रावण जैसे राक्षस को कैसे मिला?

यदि यह आपके मन में भी है प्रश्न है, तो इस संक्षिप्त आर्टिकल में आपको अपने प्रश्नों का उत्तर मिल जाएगा ।

पुष्पक विमान मुख्य रूप से धन के देवता कुबेर का विमान था, जिसे रावण ने उनकी नगरी पर आक्रमण करके कुबेर और यक्षों को पराजित कर उनसे बलात छीन लिया था ।

इसका उल्लेख आपको श्रीमद् वाल्मीकि रामायण में उत्तर रामचरित के सर्ग 15 में लगभग मिल जाएगा

निर्जित्य राक्षसेन्द्रस्तं धनदं हृष्टमानसः।
पुष्पकं तस्य जग्राह विमानं जयलक्षणम्

कुबेर को युद्ध में पराजित कर रावण मन ही मन बहुत प्रसन्न हुआ तथा कुबेर पर अपने विजय पाने के चिन्ह के रूप में कुबेर के पुष्पक विमान पर अपना अधिकार कर लिया और उसे अपने साथ लंका ले आया ।

पुष्पक विमान में क्या थी खासियत

स्वर्ण निर्मित पुष्पक विमान अनेक सुख सुविधाओं से युक्त था । इसके फाटक द्वार और जालियों में मणि माणिक्य लगे हुए थे । पुष्पक विमान को  मन की गति से चलाया जा सकता था यह विमान मन की गति से चल सकता था, असीमित संख्या में यात्रियों को इसमें बिठाया जा सकता था, सभी ऋतुओं में फल देने वाले पेड़ लगे हुए थे तथा इसे किसी भी भी दिशा में चलाया जा सकता था ।

देवोपवाह्यमक्षय्यं सदा दृष्टिमनःसुखम्
बह्वाश्चर्यं भक्तिचित्रं ब्रह्मणा परिनिर्मितम्

देवताओं के लिए उपलब्ध इस विमान को देखकर ही चित्त प्रसन्न हो जाता था विचित्र शोभा युक्त इस पुष्पक विमान का निर्माण स्वयं विश्वकर्मा ने किया था ।

  • आकार और गति– आवश्यकता के अनुसार विमान किया कर को छोटा या बड़ा करना संभव था तथा जो चालाक है उसके मन अनुकूल उसके मन में उठे भावों के अनुसार यह चलता था
  • क्षमता– क्षमता की बात करें तो इसमें बड़ी संख्या में लोगों को स्वर किया जा सकता था क्योंकि इसके आकार को आवश्यकता अनुसार बदला जा सकता था ।
  • सुख सुविधा-सुख सुविधा में जैसा कि वर्णित है इसमें स्वर्ण युक्त खंबे और मनी माणिक्य हर जगह लगे हुए थे विभिन्न ऋतु में फल देने वाले वृक्ष लगे हुए थे तथा अंदर का वातावरण यात्रियों के लिए अनुकूलित था, इस पर बाहर के वातावरण का प्रभाव नहीं था । (न तु शीतं न चोष्णं च सर्वर्तुसुखदं शुभ)
  • मन की गति एवं दिशा – इसे किसी भी दिशा में चलाया जा सकता था

  इस विमान की मौजूद होने या इसके नष्ट होने पर कुछ अधिक जानकारी तो उपलब्ध नहीं है लेकिन कुछ विद्वानों का मानना है कि  दिव्या विमान को नष्ट करना संभव ऐसा है इसलिए संभव है इसे किसी अत्यंत गुप्त स्थान पर गोपनीय तरीके से छुपा दिया गया होगा ।

 इस लेख पुष्पक विमान की खासियत  पर आपके विचार अथवा संशोधन हेतु सुझाव सादर आमंत्रित हैं

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