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Makar Sankranti 2022 से जुड़ी अहम जानकारियां | मकर संक्रांति

Written by-Khushboo

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makar sankranti 2022 । संक्रांति  तत्सम शब्द है जिसका अर्थ सूर्य का किसी एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने से लिया जाता है । राशियों की संख्या 12 है । अतः  ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार जब भी सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं उस काल को संक्रांति ही कहा जाता है। इस तरह संक्रांति तो कुल 12 होने चाहिए और होते भी हैं परंतु इनमें से मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। यह उत्सव हिंदू जनमानस के लिए श्रद्धा समरसता और स्वास्थ्य से संबंधित है। मकर संक्रांति से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियों को पूरा जानने के लिए पढिए आगे –

क्यों मनाया जाता है Makar Sankranti

मकर संक्रांति में सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं । इसे प्रायः सूर्य का उत्तरायण होना कहा जाता है । सूर्य के उत्तरायण होने का भारतीय सांस्कृतिक एवं धार्मिक परंपरा में एक विशेष महत्व है। यह समय जो कि फसलों के तैयार होकर घर आने का भी है। इसलिए पूरा समाज एक साथ मिलकर उत्सव मनाए इसी को ध्यान में रखते हुए  ऋषि यों ने इस त्योहार को मनाने की शुरुआत की होगी। 

इस समय कड़ाके की ठंड भी पड़ती है । इस उत्सव में बनने वाले पकवानों के सेवन से हमें शीत ऋतु की प्रचंड ठंडक से भी स्वयं को बचाने में सहायता भी मिलती है इसे भी एक कारण के रूप में माना जाता है ।

मकर संक्रांति 2022 से संबंधित महत्वपूर्ण मुहूर्त एवं समय  (Makar Sankranti 2022 Date and timing)

 

2022 में मकर संक्रांति कब मनाया जाए इसको लेकर थोड़ा कन्फ़्युशन की स्थिति है। कुछ लोग 14 जनवरी को वहीं कुछ लोग इसे 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाने की बात कर रहे हैं। विभिन्न पंचांग के अनुसार पुण्य काल 14 जनवरी एवं 15 जनवरी दोनों को है । वैसे तो 14 जनवरी को लगभग सम्पूर्ण उत्तर भारत में इसे मनाया जा रहा है, लेकिन आप जहां रहते हैं उस क्षेत्र के स्थानिक पंचांगों एवं तदनुसार जो भी पुण्यकाल का मुहूर्त हो उसमें आप मकर संक्रांति मनाइए ।

मकर संक्रांति प्रतिवर्ष 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। इस साल 2022 को इसे 14 जनवरी को मनाया जा रहा है।  नीचे प्रस्तुत है मकर संक्रांति makar sankranti 2022 Dates के महत्वपूर्ण मुहूर्त एवं समय का विवरण 

क्रम संख्या मुहूर्त समय 
1ब्रह्म मुहूर्तप्रात: 05:38 से 06:26 तक
2मकर संक्रांति का पुण्य काल मुहूर्तदोपहर 02:12:26 से शाम 05:45:10 तक।
3अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:14 बजे से 12:57 तक।
4विजय मुहूर्त :दोपहर 1:54 से 02:37 तक।
5गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:18 से 05:42 तक।
6अमृत कालशाम 04:40 से 06:29 तक।

पौराणिक महत्व 

हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की स्थिति में जाते हैं ।  धनु से मकर राशि में प्रवेश करते हैं । मकर राशि के स्वामी शनि हैं और इस दिन सूर्य का उनके घर में प्रवेश होता है । इसे पिता पुत्र के संबंधों के संदर्भ में भी देखा जाता है ।

मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान व्रत एवं दान को अत्यंत फलदायी माना जाता है ।  मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य देव की उपासना की जाती है एवं शनि महाराज को प्रसन्न रखने के लिए दान-पुण्य भी किया जाता है । 

इसी दिन महाराज भगीरथ के अनुग्रह पर गंगा जी  का धरती पर अवतरण हुआ था , इसलिए इस दिन गंगा-सागर में स्नान को पवित्र माना जाता है । 

हिन्दू सनातन मत के अनुसार ऐसा माना जाता है कि उत्तरायण की स्थिति में जो जीवात्मा  शरीर त्याग करता है उसे परमधाम वैकुंठ की प्राप्ति होती है। इसी कारण महाभारत काल में भीष्म पितामह ने बाणों की शय्या पर अपना शरीर त्यागने के लिए सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा की थी।

सूर्य को सभी राशियों का राजा माना जाता है । ज्योतिष के अनुसार सूर्य का राशि परिवर्तन बहुत ही खास होता है । मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन से खरमास खत्म हो जाता है,रुके हुए धार्मिक अनुष्ठान भी आरंभ हो जाते हैं । वसंत ऋतु के आगमन का भी संकेत भी मिलता है …

स्वास्थ्य पर प्रभाव 

मकर संक्रांति के दिन स्नान ध्यान एवं दान  करने के पश्चात तिल गुड़ और गुड़ के पकवान खाने की परंपरा है। इनके सेवन से शरीर को जहां ठंड से लड़ने की शक्ति मिलती है वहीं हम स्वस्थ एवं तरोताजा भी अनुभव करते हैं।इस दिन सूर्य की किरणों का हमारे स्वास्थ्य पर बहुत ही अच्छा असर पड़ता है ।

ठंड विषाणु और जीवाणु जनित बीमारियों के संक्रमण का काल भी है।  ऐसे में त्योहारों को इस हिसाब से मनाने की व्यवस्था की गयी है ताकि उन त्यौहार विशेष में घरों में बनने वाले पकवान एवं व्यंजन, वातावरण एवं अन्य परिस्थिति के अनुसार हमें हमारे शरीर को पर्याप्त पोषण, रक्षण एवं संवर्धन दे सकें । 

मकर संक्रांति से जुड़ी 5 खास बातें

आईए जानते हैं मकर संक्रांति से संबंधित विशेष महत्व के 5 चीजों के बारे में ।। 

#1 नदी में स्नान 

इस दिन नदी में स्नान का भी बहुत महत्व है। कहा जाता है इससे तमाम तरह के रोग दूर हो जाते हैं इसलिए नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है । गंगासागर में स्नान का विशेष महत्व माना गया है कहा जाता है सारे तीरथ बार बार गंगासागर एक बार ! विभिन्न धारणाओं के अनुसार साल में 1 दिन गंगासागर में जाकर स्नान करने से शरीर रोगों से मुक्त हो जाता है । वैसे इसे हम आपके विवेक पर छोड़ते हैं।

#2 तिल गुड़ 

जैसा कि ऊपर हमने स्वास्थ्य संबंधित बातों की चर्चा की है।  यह ठंड का मौसम रहता है और ठंड में तिल एवं गुड़ खाने से हमारा सेहत अच्छा रहता है इसे विज्ञान भी मानता है । इससे शरीर को बहुत सारी ऊर्जा मिलती है  जिससे हमें सर्दी से खुद को बचाने में लाभ मिलता है वहीं तिल-गुड़ के सामान स्वादिष्ट भी होते हैं हैं ।

#3 पतंग उड़ाने की खासियत 

मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं । मान्यताओं एवं धारणाओं के अनुसार  उस समय सूर्य की किरणों  में ऐसे तत्व होते हैं जो हमारे शरीर के लिए दवा से भी ज्यादा प्रभावकारी होते हैं । इस प्रभाव से त्वचा सहित अन्य प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं। 

ऐसे में मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाते समय हमारा शरीर ज्यादा से ज्यादा समय तक सूर्य की किरणों के संपर्क में रहता है। इससे हमारे शरीर को विटामिन D प्राप्त होता है और हमारा शरीर स्वस्थ रहता है । आजकल विटामिन D की कमी से लगभग पूरा शहरी भारत बुरी तरह से प्रभावित है । तो इस तरह पतंग उड़ाने में सेहत के साथ-साथ थोड़ी मौज मस्ती के बाद भी हो जाती है। 

#4 Makar Sankranti और खिचड़ी

मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाना भी बहुत ही अच्छा माना जाता है । इस दिन खिचड़ी का सेवन करने का विशेष लाभ की बात की जाती है। खिचड़ी पाचन को दुरुस्त रखती है, इसमें बहुत सारी सब्जियां मिलाकर बनाते हैं जैसे अदरक, टमाटर, मटर, गोभी, आलू, पालक बहुत सारी वेजिटेबल्स मिलाकर खिचड़ी बनाते है । 

सुपाच्य खिचड़ी खाने से शरीर भी बहुत  स्वस्थ रहता है एवं खिचड़ी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि कर बैक्टीरिया से हमें लड़ने में मदद करती है । यही कारण है इस दिन खिचड़ी खाने की ।

#5 संक्रांति के दिन दान का महत्व 

मकर संक्रांति के दिन लोग दान देते हैं। ब्राह्मणों एवं गरीबों को भोजन कराते हैं । कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन दान करने से घर में सुख  सुख शांति और समृद्धि आती  है । मकर संक्रांति के दिन  तिल दान करने को  बड़ा ही पुण्यकार्य माना जाता है । इसके अलावा इस दिन भगवान सूर्य, विष्णु और शनिदेव की भी तिल गुड़ एवं चावल से पूजा की जाती है । 

मान्यताओं के अनुसार अपने क्रोधित पिता सूर्य देव की अर्चना शनि महाराज ने तिल से की थी और उस से प्रसन्न होकर वह शनि महाराज के घर आए थे । मकर संक्रांति को  तिल का दान करने को शनि दोष को भी दूर करने में भी सहायक माना जाता है । मान्यताओं के अनुसार दान से राहु का अशुभ प्रभाव भी नहीं पड़ता है।

मकर संक्रांति से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न

  1.  मकर संक्रांति कब और क्यों मनाते है?

    मकर संक्रांति को प्रतिवर्ष 14 या 15 जनवरी को मनाते हैं इसे सूर्य के उत्तरायण होने के उपलक्ष में मनाया जाता है।

  2. मकर संक्रांति में किन की पूजा होती है ।

    मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्यदेव की पूजा होती है ।

  3.  14 जनवरी को ही मकर संक्रांति क्यों मनाते है

    विभिन्न भारतीय ज्योतिष गणना के आधार पर इसी दिन सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं । इसलिए प्रतिवर्ष 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनाया जाता है

  4. वर्ष 2022 में मकर संक्रांति कब है ?

    14 जनवरी 2022 को मकर संक्रांति मनाया जाएगा ।

संक्रांति (makar sankranti) सर्दियों के मध्य मनाया जाने वाला त्यौहार है । जिसमें अमूमन फसल तैयार होकर घर आते हैं । फसलों के तैयारी की खुशी में पूरा समाज एक साथ मिलकर यह पर्व मनाता है। इस दौरान देश के अलग अलग हिस्सों में इस त्योहार को तिला संक्रांति,मकर संक्रांति , बिहू, पोंगल लोहारी सहित अन्य विभिन्न नामों से मनाया जाता है ।

इसके अतिरिक्त दुनियां के अन्य हिस्सों में भी इसे अलग अलग यथा – थाईलैंड में इसे सोंग्क्रण,म्यांमार में थिन्ज्ञान,कंबोडिया में मोहा संग्क्रण,श्री लंका में उलावर थिरुनाल,लाओस में पी मा लाओ और नेपाल में नेपाल में इसे माघे संक्रांति के नाम से मनाया जाता है । 

उम्मीद है आपको makar sankranti 2022 से जुड़ी यह जानकारी अच्छी लगी होगी । इसमें संसोधन हेतु सुझाव अथवा इस पर अपनी राय नीचे कमेन्ट बॉक्स में लिख कर जरूर भेजें ।

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