नवरोज(Nowruz) पारसी समुदाय के द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार है। यह दो शब्दों से मिलकर बना है नव और रोज । इसमें नव का अर्थ नया और रोज का अर्थ दिन माना जाता है । तो इसका मतलब होता है नया दिन पारसी लोग इसे अपने नए कैलेंडर साल की शुरुआत मानते हैं।
ईरान का कैलेंडर भी इसी दिन से शुरू होता है । नवरोज के त्यौहार को लगभग 3000 साल से भी अधिक समय से मनाया जाता है ।
इस साल नवरोज – भारत में रहने वाले पारसी समुदाय के तमाम लोग इस साल 21 मार्च 2023 को नवरोज का उत्सव मनाएंगे ।
पारसी समुदाय के लोगों का मानना है कि पारसी समुदाय के लोग इस कैलेंडर को अपने राजा जमशेद की स्मृति में मनाते हैं जो कि उनके समुदाय का महान ऐतिहासिक योद्धा रहा है और मान्यता है कि उसी ने इस कैलेंडर की शुरुआत की तथा वह ईरान का शासक दे रहा है ।
नवरोज को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। लोग मानते हैं कि उनके राजा जमशेद ने मानव समुदाय को उस प्रचंड ठंड से बचा लिया जो कि पूरे मानव जाति के नाश के लिए निर्मित हुआ था।
विभिन्न कथाओं के अनुसार राजा जमशेद ने विभिन्न रत्नों से जड़ित एक सिंहासन बनाया जिसके साथ ही नकारात्मक शक्तियों ने जमशेद को ऊपर स्वर्ग लोक में पहुंचा दिया वहाँ वो एक चमकते सूर्य की तरह बैठे रहे और उसी से जगत के प्राणियों की रक्षा हो पाई और मानव का अस्तित्व बचा । बाद में ऐसी घटना की याद में लोगों ने नवरोज का उत्सव मनाना आरंभ किया ।
Nowruz को कैसे मनाते हैं?
नवरोज अतीत की थकन व निराशा से बाहर निकल कर आने वाले जीवन को प्रेम,खुशी एवं उत्साह से भरने का त्योहार है । वसंत ऋतु का यह उत्सव जीवन में विश्वास एवं सकारात्मकता का प्रतीक है ।
लोग इस दिन अपने घरों की साफ सफाई करते हैं । नए वस्त्र पहन कर अपने प्रिय लोगों व परिजनों से भेंट कर उन्हें उपहार देकर आने वाले जीवन की शुभकामनाएं देते हैं । पारंपरिक नृत्य होता है ।
नवरोज ईरान के कैलेंडर के पहले महीने फरदवीन का भी पहला दिन होता है । इसकी शुरुआत तो उस समय के ईरान में हुई लेकिन आज दुनियाँ के विभिन्न देश जैसे कि उज्बेकिस्तान,किरगिस्तान,तुर्की, अजरबैजान, तजाकिस्तान भारत सहित अन्य देशों में भी मनाया जाता है ।
नवरोज़ का त्योहार प्रायः पारसी समुदाय द्वारा मनाया जाता है । जोराष्ट्रीयन या पारसी समुदाय के लिए यह एक अहम त्योहार है ।
नवरोज के दिन घरों को साफ करके, सजा धजा कर तैयार किया जाता है पारंपरिक नृत्य एवं उपहारों के आदान प्रदान के साथ इस त्योहार को मनाया जाता है ।
नवरोज को परसियों के राजा एवं योद्धा जमशेद की याद में मनाया जाता है ।
यूनेस्को ने नवरोज के त्योहार को भारत के अमूर्त धरोहरों की सूची में रखा है । जिससे इस त्योहार के महत्व का पता चलता है ।
नवरोज उत्सव मनाने वाले सभी को विचारक्रान्ति परिवार की ओर से ढ़ेर सारी शुभकामनाएं …