पर्यावरण क्या है

पर्यावरण क्या है | पर्यावरण पर निबंध- हिन्दी में

Written by-VicharKranti Editorial Team

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इस लेख – पर्यावरण क्या है में हमारी चर्चा का केंद्र बिन्दु है पर्यावरण । आगे हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि पर्यावरण का जीवन और विशेषकर मानव जीवन में क्या महत्व है । इसके साथ ही हम पर्यावरण से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों की संक्षिप्त चर्चा भी करेंगे जो विद्यार्थियों के लिए पर्यावरण पर निबंध लिखने में भी मददगार साबित होगी और उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं में भी थोड़ी मदद पहुंचाएगी ।

पर्यावरण क्या है ?

पर्यावरण दो शब्दों  परि +आवरण के संयोग से बना है । परि – अर्थात चारों ओर और आवरण -यानि लपेटे हुए । पर्यावरण का शाब्दिक अर्थ हुआ – हमारे चारों ओर व्याप्त आवरण ।

अपने आसपास हम जो भी देखते हैं सब पर्यावरण का हिस्सा है । हम स्वयं भी पर्यावरण के ही अंग हैं । दोस्त पर्यावरण हमारे चारों ओर व्याप्त सभी भौतिक रासायनिक तथा जैविक तत्वों और कारकों का सम्मिलित नाम है जिसमें हम जीवित हैं ।

व्यापक अर्थ में कहें तो पर्यावरण जीवन को प्रभावित करने वाली तमाम अजैविक और जैविक तत्वों प्रक्रियाओं और घटनाओं की सम्मिलित इकाई का नाम है ।

यह हमारे चारों ओर व्याप्त है अतएव हमारी सभी मानवीय क्रिया कलापों से हमारा पर्यावरण प्रभावित होता है और ठीक उसी प्रकार से पर्यावरण में आए हर छोटे-बड़े परिवर्तनों का प्रभाव मानव सहित अन्य जीव जगत पर पड़ता है ।

जीवन के लिए पर्यावरण के महत्व को ध्यान में रख कर ही संयुक्त राष्ट्र ने 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाने के फैसला किया । संयुक्त राष्ट्र का यह कदम वस्तुतः समाज को सामाजिक राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से पर्यावरण के प्रति जागरूक करने का एक प्रयास है ।

जीवन के लिए उपयोगी तत्व जैसे कि हवा पानी प्रकाश सहित अन्य प्राकृतिक तत्व भी पर्यावरण के ही अवयव हैं । हम अपने आंखो से जिस किसी भी चीज को देखते है , वह पर्यावरण का घटक है । हवा ,पानी , वृक्ष सब पर्यावरण के अन्तर्गत आते हैं । आलीशान बंगला रोड सड़क सारा चीज जिससे हम हर दिन रुबरु होते है , वह भी पर्यावरण का हिस्सा है ।

पर्यावरण का वर्गीकरण

अभी तक हमने जितनी बातें की हैं वो सब प्राकृतिक पर्यावरण पर ही केंद्रित रहीं हैं । लेकिन हम मानवों ने तकनीकी महारत और औद्योगिक विकास से प्रकृति को व्यापक रूप में प्रभावित किया हैं ।

पर्यावरण को इसके घटकों के आधार पर दो तरीके से बाँट सकते हैं । पहला जीवन के आधार पर और दूसरा निर्मिति के आधार पर ।

जीवन के आधार पर जैविक और अजैविक

  • जैविक पर्यावरण
  • अजैविक पर्यावरण

तथा निर्मिति के आधार पर प्राकृतिक और मानवनिर्मित ।

  • प्रकृति पर्यावरण 
  • मानव निर्मित पर्यावरण 

प्राकृतिक पर्यावरण

प्राकृतिक पर्यावरण के बारे में वह पर्यावरण के वह सभी घटक आ जाएंगे जो प्रकृति के द्वारा बनाया गया है। जैसे वृक्ष , नदी , हवा , तालाब , जंगल यह सारे प्रकृति पर्यावरण के अन्तर्गत आते है । इसके अतिरिक्त पशु पक्षी और पेड़ पौधें भी इसके अंग हैं ।

अब समझते है कि मानव निर्मित पर्यावरण क्या है ?

मानव निर्मित पर्यावरण

वह सारा चीज जो इंसान के द्वारा बनाया गया है । मानव निर्मित पर्यावरण के अन्तर्गत इंसानों के द्वारा बनाई गईं विभिन्न निर्माण आते हैं । जैसे सड़क , घर , वह सारा चीज जो इंसान के द्वारा निर्मित है , मानव निर्मित पर्यावरण के अंतर्गत आते है ।

इसी तरह से जैविक पर्यावरण में पायवरण के सभी जैविक घटक आ जाएंगे । जैसे – मनुष्य, पशु-पक्षी और कीट पतंग । इसके अतिरिक्त जो भी हैं वो अजैविक पर्यावरण के अंतर्गत आएंगे ।

पर्यावरण का हमारे जीवन में महत्व

धरती इस ब्राहमंड एक मात्र ज्ञात ग्रह है जिसपर जीवन का अस्तित्व है । जीवन का अस्तित्व पूरी तरह से पर्यावरण पर निर्भर है । मानव जीवन के लिए आवश्यक प्राणवायु ऑक्सीजन, पीने के लिए जल , सूर्य का प्रकाश अत्यंत आवश्यक हैं । इन सभी चीजों के लिए हम पूरी तरह से पर्यावरण पर ही निर्भर हैं ।

हमारी खेती , हमारा खानपान , रहन सहन और वेश-भूषा सब कुछ प्रकृति और पर्यावरण पर आज भी बहुत हद तक निर्भर है । भले ही हमने और हमारे विज्ञान ने कितनी भी प्रगति क्यों न कर ली हो !

धरती पर जीवन की अनुकूलता के लिए और जीविता को सुनिश्चित करने के लिए उपलब्ध और आवश्यक सभी तत्व नदी नाले पहाड़ , जीव जन्तु और जलवायु सभी पर्यावरण के ही अंग हैं । मानव जीवन अपने अस्तित्व के लिए पूरी तरह से पर्यावरण पर ही निर्भर है ।

हालांकि हमारा जीवन पूरी तरह से पर्यावरण पर निर्भर है लेकिन हमारे गतिविधियों ने पर्यावरण को नकारात्मक ढंग से प्रभावित किया है और उसी अनुपात में हम अपनी करनी का फल भी विभिन्न आपदाओं के रूप में भुगत रहें हैं ।

पर्यावरण की चुनौतियाँ  

जीवन जीने के लिए 3 जो महत्वपूर्ण चीज है – पानी, पौधे और हवा ये मानवीय क्रिया कलापों से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं । पिछले कुछ वर्षों में मानव ने इन चीजों को विकास के नाम पर बहुत ही क्षति पहुंचाई है ।

वैज्ञानिक प्रगति और औद्योगिक विकास के परिणामस्वरूप एक तरफ जहां हम पेड़ों की कटाई करके उन जगहों पर आवास,कृषि और उद्योग धंधे विकसित कर रहे हैं । वहीं इन उद्योगों से निकलने वाले धुएं सहित अन्य अपशिष्ट पदार्थ पूरे पर्यावरण को गंभीर रूप से प्रदूषित कर रहे हैं  । प्रदूषण के कारण पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है और जिसका अप्रत्यक्ष प्रभाव निश्चित रूप से मानव जीवन पर भी पड़ रहा है । जिसे हम प्राकृतिक आपदाओं के रूप में भुगत रहें हैं । 

संसाधनों के अविवेकपूर्ण उपयोग के कारण हम गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं । दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भूमिगत जल का स्तर काफी नीचे चला गया है और वायु एवं जल प्रदूषण के कारण भी कई सारी बीमारियां फैल रही हैं ।

पर्यावरण सुरक्षा के उपाय

जीवन के लिए महत्वपूर्ण पर्यावरण की सुरक्षा के लिए नीचे बताए गए कुछ उपायों पर अमल करके हम पर्यावरण प्रदूषण को कम कर पाएंगे तथा पर्यावरण सुरक्षा में अपना योगदान भी कर पाएंगे । हमें पर्यावरण की सुरक्षा के लिए –

  1. पेड़ों तथा जंगलों की कटाई पर रोक लगानी चाहिए । 
  2. अधिक संख्या में पेड़ लगाने चाहिए । 
  3.  उद्योगों से निकलने वाले धुएं की मात्रा को कम करने की दिशा में प्राथमिकता के आधार पर काम करना चाहिए । 
  4.  कम धुआं उत्सर्जित करने वाली तकनीकों के विकास और  क्रियान्वयन पर जोड़ देना चाहिए । 
  5.   सार्वजनिक  यातायात की सुविधा को बढ़ावा देना चाहिए । 
  6.  अपशिष्ट पदार्थों के निस्तारण संबंधित कानूनों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए ।
  7.  धरती पर जीवन के अस्तित्व के लिए पर्यावरण की आवश्यकता के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ानी चाहिए ।

पर्यावरण से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य

आगे दिए गए तथ्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगे छात्रों के लिए महत्वपूर्ण होंगी । आगे हम पर्यावरण से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों की चर्चा संक्षेप में कर रहे हैं…

पर्यावरण से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण दिवस

  • विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है ।
  • 2 फरवरी को विश्व आर्द्र भूमि दिवस (World Wetlands Day) मनाया जाता है ।
  • 21 मार्च को विश्व वन दिवस मनाया जाता है
  • 22 मार्च को विश्व जल संरक्षण दिवस मनाया जाता है ।
  • विश्व पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल को मनाया जाता है ।
  • 16 सितंबर को विश्व ओज़ोन संरक्षण दिवस मनाया जाता है ।

पर्यावरण से संबंधित विभिन्न तिथियाँ –

दुनिया के विभिन्न देशों ने बैठकों के जरिए पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में कार्बन उत्सर्जन , कार्बन क्रेडिट , पर्यावरण के वित्तीय प्रभाव और तकनीकी विकास सहित अन्य मुद्दों पर आम सहमति बनाने की कोशिश की है । इसके लिए समय समय पर विभिन्न बैठकें हुई हैं जिनमें से कुछ प्रमुख बैठकों का विवरण नीचे है –

  • पर्यावरण सुरक्षा से संबंधित पहला आयोजन स्टॉकहोम में पर्यावरण और सतत विकास के नाम से आयोजित किया गया था । इसी आयोजन के पहले दिन को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में आगे से मनाया जाने लगा ।
  • 1979 में पहला जलवायु सम्मेलन आयोजित किया गया ।
  • ओज़ोन परत की सुरक्षा को केंद्रित कर के 1985 में वियना में सम्मेलन किया गया था ।
  • इसके बाद रियो समिट हुआ 1992 में । ये बहुत महत्वपूर्ण सम्मेलन था इसमें एजेंडा 21 तय हुआ और UNFCC जैसी महत्वपूर्ण संधि अस्तित्व में आ सकी ।
  • अगला महत्वपूर्ण सम्मेलन था -शहस्राब्दी शिखर सम्मेलन जो सन 2000 में हुआ ।
  • अगला महत्वपूर्ण सम्मेलन था – 2002 में सतत विकास पर आयोजित विश्व शिखर सम्मेलन ।
  • फिर 2009 में कोपेनहेगन सम्मेलन पर्यावरण से संबंधित महत्वपूर्ण सम्मेलन था ।

अपनी बातें

विभिन्न मानवीय क्रियाकलापों की वजह से पर्यावरण का भारी नुकसान हुआ है और समय समय पर प्रकृति उसका बदला हमसे विभिन्न प्रकोपों के जरिए लेती रहती है ।

अस्त-व्यस्त मानव जीवन ने पर्यावरण को भी अस्त व्यस्त कर दिया है । आज दुनिया विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि बाढ़-सुखाड़ सहित अन्य भयानक बीमारियों से त्रस्त हो रही है । यदि हम इंसानों को अपने अस्तित्व को इस धरती पर कायम रखना है तो पर्यावरण और प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करके जीना ही एक मात्र विकल्प है ।

अन्यथा आने वाले समय में कहीं स्टीफन हाकिंग के द्वारा दी गई चेतावनी सही न हो जाए !! जिसमें उन्होंने 21 वीं सदी के अंत तक इंसानों को रहने लायक किसी दूसरे ग्रह को तलाशने की सलाह दी थी ।


हमें पूरा विश्वास है कि हमारा यह पर्यावरण क्या है-लेख आपके लिए ज्ञानवर्धक रहा होगा साथ ही यह आपको पसंद भी आया होगा । त्रुटि अथवा किसी भी अन्य प्रकार की टिप्पणी नीचे कमेंट बॉक्स में सादर आमंत्रित हैं …लिख कर जरूर भेजें ! इस लेख को अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल्स पर शेयर भी करे क्योंकि Sharing is Caring !

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विचारक्रांति के लिए लेखक-नीरज ।

Reference(संदर्भ ) :-

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