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पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की जीवनी | Pandit Shriram Sharma

Written by-VicharKranti Editorial Team

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कुछ लोग जिनके आने से इस धरती पर मानवता को एक नई दिशा मिलती है उन्हीं में से एक थे गायत्री परिवार के संस्थापक परम आदरणीय युगपुरुष पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य । उनके द्वारा स्थापित संस्था आज बहुत बड़ी हो चुकी है एवं प्रत्यक्ष वा अप्रत्यक्ष रूप से करोड़ों लोगों के जीवन और विचार को उन्होंने प्रभावित किया है इसलिए उनके बारे में जानना जरूरी है।

उन्होंने प्राचीन भारतीय ज्ञान विज्ञान को पुनर्जीवित कर इसे आधुनिक ज्ञान से जोड़ कर अध्यात्मिक चेतना को एक नया रूप दिया । इसे आम जन सामान्य तक पहुंचाया  ताकि अज्ञानता का नाश हो और मानव जाति के साथ भारतीय सभ्यता संस्कृति एवं विचार परंपरा का विकास हो । 

अपने जीवनकाल में उन्होंने कई हजार पुस्तकों की रचना की जिनकी वजह से करोड़ों व्यक्तियों का जीवन परिवर्तित हुआ । उनके द्वारा जलाए गए प्रकाश पुंज आगे भी मानवता का पथ आलोकित करते रहेंगे । आगे हमने उनको श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को आपके लिए संकलित किया है । यदि आप उनके बारे में जानना चाहते हैं तो यह संक्षिप्त लेख आपके लिए उपयोगी होने वाला है ।

पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी का संक्षिप्त जीवन परिचय

नाम श्रीराम शर्मा आचार्य 
जन्म september 1911
जन्मस्थान आवलांखेड़ा गाँव , उत्तरप्रदेश 
पिता का नाम रूपकिशोर शर्मा 
माता का नाम श्रीमती दानकुंवरि
पत्नी का नाम भगवती देवी 
गुरु का नाम श्री सर्वेश्वरानंद जी महाराज 
लोकप्रियता युग ऋषि , वेदमूर्ति, आचार्य 
प्रमुख संस्था अखिल विश्व गायत्री परिवार 
महत्वपूर्ण रचना गायत्री वेद विज्ञान एवं अन्य सैकड़ों पुस्तकें 
मृत्यु 1990 ( गायत्री जयंती के दिन )

आचार्य श्रीराम शर्मा जी की जीवन से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें- 

पंडित श्रीराम शर्मा का जन्म हिंदू कैलेंडर के अनुसार आश्विन मास के  कृष्ण त्रयोदशी विक्रमी संवत् १९६७ (२० सितम्बर १९११)  को उत्तर प्रदेश के आंवला खेड़ा गांव में हुआ जो कि वर्तमान में आगरा में पड़ता है। शुरू से ही इनका झुकाव साधना और धार्मिक चीजों के प्रति था । 

इस प्रकार इनकी औपचारिक स्कूली शिक्षा दीक्षा बहुत ही सीमित हो पाई। यह जीवन के प्रारंभ से ही बहुत साहसी एवं सेवा भाव वाले व्यक्ति थे । दुखी मानवता की सेवा करना एवं जरूरतमंदों  की सहायता करना इन्होंने बचपन में ही शुरू कर दिया था ।  बाल्यकाल में ही  साधना के लिए एक बार घर छोड़ दिया था जिसके बाद बड़ी मुश्किलों से उनके घर वालों ने इन्हें वापस लाया । 

इन्होंने भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में भी अपना योगदान दिया । नमक सत्याग्रह सहित अन्य स्वतंत्रता आंदोलन के कार्यक्रमों में उन्होंने जमकर भाग लिया और जेल की सजा भी काटी।  आसनसोल जेल में इनकी मुलाकात अन्य स्वतंत्रता सेनानी जैसे मदन मोहन मालवीय, महात्मा गांधी , श्रीमती स्वरूप रानी नेहरू सहित अन्य लोगों से हुई । वहीं मालवीय जी ने इन्हें अपने रचनात्मक कार्यों से लोगों को को जोड़ने के लिए मुट्ठी फंड का संदेश दिया ।  ताकि अपने आय का एक छोटा हिस्सा देकर लोग अपने आप को इन कार्यक्रमों  का हिस्सा माने । 

किसी भी चीज में भागीदारी उस कार्य में व्यक्ति को अपनापन का अनुभव देता है और बड़े अभियान इन्हीं भागीदारों से सफल होते हैं। 

1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में इनकी सहभागिता के कारण इन्हें जेल इन्हें और इनके परिवार के लोगों को जेल की यात्रा करनी पड़ी एवं बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ा।

1971 में उन्होंने आगरा मथुरा  को हमेशा लिए छोड़ दिया और शांतिकुंज हरिद्वार को अपना स्थाई ठिकाना बनाया । तब से जीवन पर्यंत गायत्री परिवार ने नारी जागरण, जातिप्रथा उन्मूलन सहित अन्य सामाजिक कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। देश के विभिन्न स्कूलों कॉलेजों में संस्कृति ज्ञान परीक्षा का आयोजन गायत्री परिवार के द्वारा ही किया जाता है परीक्षा में उत्तीर्ण छात्रों को सर्टिफिकेट बांटी जाती है । 

मृत्यु

 पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की मृत्यु 2 जून 1990 को 78 वर्ष 8 महीना और 13 दिन की आयु में शांतिकुंज हरिद्वार में हो गया । उन्होंने भले ही इस नश्वर संसार को त्याग दिया हो लेकिन उनका कृतित्व और उनके द्वारा समाज और मानवता को दिखाई गई दिशा सदियों तक मानवता का पथ आलोकित करते रहेंगे । 

भारत सरकार ने सन 1991 में इन पर डाक टिकट भी जारी किया था ।

महत्वपूर्ण पुस्तकें एवं कथन

पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की महत्वपूर्ण पुस्तकें

पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की औपचारिक शिक्षा वैसे तो बहुत कम हुई लेकिन उन्होंने अपने जीवन में लगातार अध्ययन व स्वाध्याय को बनाए रखा । गायत्री मंत्र से संबंधित कई गूढ़ पुस्तकें लिखी । इसके अतिरिक्त उन्होंने विद्यार्थियों एवं युवाओं के मन मस्तिष्क में परिवर्तन का बीज बोने और उन्हें अधिक ऊर्जावान बनाने के लिए हजारों पुस्तकें भी लिखी है । अपने पूरे जीवन काल में उन्होंने लगभग 3000 पुस्तक और पुस्तिकाएं लिखी जिनमें से कुछ प्रमुख पुस्तकों का विवरण आगे दिया गया है –

 

आर्ष वांगमय ग्रंथ 

  • गायत्री महाविद्या
  • भारतीय संस्कृति के आधारभूत तत्व
  • युग परिवर्तन कब और कैसे
  • स्वयं में देवत्व का जागरण
  • समस्त विश्व को भारत के अजस्र अनुदान
  • यज्ञ का ज्ञान-विज्ञान
  • जीवेम शरदः शतम्
  • विवाहोन्माद : समस्या और समाधान
  • निरोग जीवन के महत्वपूर्ण सूत्र

 

अन्य उपयोगी पुस्तकें

  • गायत्री और यज्ञ
  • अध्यात्म एवं संस्कृति
  • व्यक्ति निर्माण
  • विचार क्रांति
  • वेद पुराण एवम् दर्शन
  • प्रेरणाप्रद कथा-गाथाएँ
  • स्वास्थ्य और आयुर्वेद
  • युग की माँग प्रतिभा परिष्कार
  • समयदान ही युग धर्म
  • समस्याएँ आज की समाधान कल के
  • मन: स्थिति बदले तो परिस्थिति बदले
  • परिवर्तन के महान् क्षण
  • जीवन देवता की साधना-आराधना

श्रीराम शर्मा आचार्य के महत्वपूर्ण कथन

आगे प्रस्तुत है पंडित श्री राम शर्मा आचार्य जी के कहे गए कुछ महत्वपूर्ण कथन जिनसे हमने उनके विचारों की गहराई और उनकी दूरदर्शिता का पता लगता है ।

  1. अवसर तो सभी को मिलता है पर अवसर का सही उपयोग कुछ ही लोग कर पाते हैं। 
  2. जीवन में दो ही प्रकार के  व्यक्ति असफल होते हैं- पहले वे जो सोचते हैं पर करते कुछ नहीं, दूसरे जो करते हैं पर सोचते बिल्कुल नहीं।
  3. लक्ष्य के अनुरूप ही भाव पैदा होता है और हमारे  उसी स्तर पर कार्य का प्रभाव भी उत्पन्न होता है । 
  4. अपनी प्रसन्नता , अपनी खुशी को दूसरों की खुशी में लीन कर देना ही प्रेम है । 
  5. आचरण से दिया गया उपदेश ही प्रभावी और सार्थक होता है । 
  6. सफल होने के लिए आत्मविश्वास उतना ही जरूरी है जितना आज जीने के लिए भोजन !
  7. लोभी  मनुष्य की कामना कभी पूर्ण नहीं होती । 
  8. विचार अत्यंत शक्तिशाली होते हैं विचार किसी भी आदमी के उत्थान और उसके पतन का कारण भी है। 

हमें उम्मीद है आपको पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के जीवन से संबंधित यह तथ्य अच्छे लगे होंगे । आवश्यक संसोधन अथवा इस लेख पर अपने सामान्य विचार रखने के लिए नीचे कमेन्ट बॉक्स में अपनी बात जरूर लिखें ।बने रहिये Vichar Kranti.Com के साथ । अपना बहुमूल्य समय देकर लेख पढ़ने के लिए आभार ! आने वाला समय आपके जीवन में शुभ हो ! फिर मुलाकात होगी किसी नए आर्टिकल में .

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