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सद्गुरू जग्गी वासुदेव का जीवन परिचय

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आज के इस सोशल दौर में जब सबकुछ डिजिटल होता जा रहा है ऐसे में सद्गुरु जग्गी वासुदेव एक ऐसा नाम जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है के बारे में यदि आप डीटेल में जानना चाहते हैं तो यह लेख है आपके लिए ।

जहां सद्गुरु मॉडर्न से भी मॉडर्न हैं वहीं इनके ज्ञान और जीवन दर्शन की गूढ़ बातें अनूठी और निराली ही है। ये स्वयं को भारतीय योगिक परंपरा से जोड़ते हैं एवं आधुनिक मानव को सही जीवन जीने और आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा हैं ।

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आधुनिक लिबास ओढ़ने के बाद भी आध्यात्मिक विचारों की डोर को हाथ में थामे रहते हैं, यही कारण है कि सद्गुरु जग्गी वासुदेव के अनुयायी ना केवल भारतवर्ष बल्कि विदेशों में भी मौजूद हैं।

सद्गुरु जग्गी वासुदेव योग व अध्यात्म के एक ऐसे गुरु हैं, जोकि अन्य साधु-महात्माओं की तरह केवल प्रवचन ही नहीं सुनाते, बल्कि मोटरसाइकिल से विभिन्न भूभाग एवं देशों के रोमांचक भ्रमण पर भी निकल जाते हैं। आईए जानते हैं आध्यात्मिक विचारों और योग शक्ति के बल पर संपूर्ण विश्व में विख्यात सद्गुरु के बारे में विस्तार से …

जग्गी वासुदेव: मुख्य परिचय

Name नामसद्गुरु जग्गी वासुदेव (जगदीश वासुदेव)
Profession-व्यवसाय आध्यात्मिक गुरु
Net worth – नेट वर्थ250 मिलियन (संभावित )
Birthday- जन्मदिन3 सितंबर 1957
Famous For -प्रसिद्धि का कारणसामाजिक कार्यों में सहभागिता और योगगुरु
Family Details- पारिवारिक विवरण / पृष्ठभूमि 
Mother -माता का नामसुशीला वासुदेव
Father- पिता का नामडॉ. बी वी वासुदेव (नेत्र रोग विशेषज्ञ)
Wife – पत्नीविजया कुमारी
Children – बच्चेबेटी (राधे जग्गी)
Sibling भाई बहन 1 भाई 1 बहन
Physical Fitness-फिटनेस 
Height –लंबाई5 फुट 8 इंच
Weight – वजन70 किग्रा
Chest- छाती
Color Complexion-रंगगेंहुआ
Hair Colour -बालों का रंग सफेद  
Education – 
School –स्कूलप्रदर्शन स्कूल, मैसूर
College- कॉलेजमैसूर विश्वविद्यालय,  कर्नाटक
University-युनिवर्सिटीमैसूर विश्वविद्यालय,  कर्नाटक
Percentage:-पसेंटेज
Location- स्थान —
Vill-गाँव—-
Dist- जिलामैसूर
State – राज्यकर्नाटक
Nationality-राष्ट्रीयताभारतीय

सद्गुरु जग्गी वासुदेव का जीवन परिचय

सद्गुरु जग्गी वासुदेव का जन्म एक तमिल परिवार में हुआ था। इनके पिता रेलवे के अस्पताल में नेत्र विशेषज्ञ थे और माता जी गृहणी थी। जग्गी वासुदेव के गुरु का नाम राघवेंद्र राव (मल्ला डिहिल्ल स्वामी) था, जिनसे इन्होंने योग की शिक्षा प्राप्त की थी। इसके अलावा सदगुरु ने अंग्रेजी में स्नातक की डिग्री हासिल की है।

जिसके बाद इन्होंने काफी समय तक व्यापार (मुर्गी पालन और ईंट निर्माण) भी किया, लेकिन फिर इनकी रुचि अध्यात्म और योग में उत्पन्न हुई और वह आत्म ज्ञान की अनुभूति के लिए प्रयासरत हो गए।

आपको बता दें कि सद्गुरु वासुदेव के अलावा उनकी पत्नी ने भी आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए वर्ष 1996 में समाधि लेते हुए देह त्याग दिया था, जबकि वह एक बैंक कर्मचारी थी। साथ ही इनकी बेटी को आज सद्गुरु राधे के नाम से जाना जाता है।

वर्ष 1983 में सद्गुरु ने लोगों को योग की शिक्षा देना आरंभ कर दी थी, इस दिशा में वह आज भी निरंतर कार्यरत हैं। सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने वर्ष 1993 में तमिलनाडु के कोयम्बटूर में ईशा फाउंडेशन की स्थापना की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य मानव को योग की शिक्षा के माध्यम से कर्म, शिक्षा, ज्ञान और मुक्ति का पाठ पढ़ाना है।

जग्गी वासुदेव महाराज ने सबसे पहले अपने योग और अध्यात्म के ज्ञान का प्रसार सन् 1983 में कर्नाटक और हैदराबाद में किया, धीरे धीरे फिर इनकी कक्षा में प्रतिभागी बढ़ने लगे, जिस कारण ये अपने योग बल पर दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गए। आज जग्गी वासुदेव भारत समेत अमेरिका, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, लेबनान इंग्लैंड में योग शिक्षा प्रदान करते हैं।

सद्गुरु जग्गी महाराज के बारे में अनकही बातें

  • जग्गी वासुदेव महाराज चार पहिया वाहन के अलावा हेलीकॉप्टर उड़ाने का भी शौक रखते है।
  • जग्गी वासुदेव योग गुरु होने के साथ एक अच्छे लेखक, कवि, वास्तुकार और सफल व्यवसायी भी हैं। ये बचपन से ही काफी जिज्ञासु प्रवृत्ति के व्यक्ति रहे हैं।
  • जग्गी वासुदेव महाराज अक्सर विवादों का हिस्सा भी रहे हैं। इनपर भूमि अधिग्रहण, पत्नी की हत्या से संबंधित आरोप सहित अन्य आरोप लग चूकें है। इसके अलावा कई बार अपने बयानों में विज्ञान विरुद्ध बात करने के चलते भी सदगुरु चर्चा में रहे हैं।
  • जग्गी वासुदेव महाराज देश-विदेश में लोगों को योग की शिक्षा देते हैं और इनके योग शिक्षण को इनर इंजीनियरिंग के नाम से जाना जाता है।

सद्गुरु जग्गी वासुदेव की उपलब्धि और योगदान

  1. इनको पर्यावरण की सेवा और संरक्षण हेतु साल 2008 में इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  2. सद्गुरु को अध्यात्म और योग की दिशा में कार्य करने के लिए 2017 में पदम् विभूषण प्राप्त हो चुका है।
  3. इन्होंने इनर इंजीनियरिंग : ए योगिज गाइड टू जॉय, कर्म: ए योगिज गाइड टू क्रैफ्टिंग योर डेस्टनी,लाइफ एंड डेथ इन वन ब्रेथ,युगन युगन योगी- सदगुरु की महायात्रा, encounter the enlinghtened सहित अन्य बेहद लोकप्रिय पुस्तकों को लिखा है । जिनका अनुवाद अंग्रेजी सहित कई भाषाओं में हो चुका है ।
  4. ईशा फाउंडेशन द्वारा वर्ष 2006 में तमिलनाडु के 27 जिलों में 8.52 लाख पौधे रोपित कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया।
  5. वर्तमान में सद्गुरु जग्गी वासुदेव द्वारा नदियों और मिट्टी के संरक्षण हेतु कई प्रकार के अभियान चलाए जा रहे हैं। जैसे रैली फॉर रिवर्स और सेव सॉइल आदि।
  6. साल 2017 में इनके ईशा फाउंडेशन में 112 फीट लंबे आदियोगी की प्रतिमा का निर्माण किया गया, जो कि गिनीज बुक में सबसे बड़ी मूर्तिकला के तौर पर स्थापित है।
  7. सदगुरु जग्गी वासुदेव ने छोटे और मध्यम व्यापारियों को केंद्रित कर ईशा इनसाइट कार्यक्रम की शुरुआत की है।
  8. ग्रामीण बच्चों की शिक्षा के लिए जग्गी वासुदेव महाराज ने ईशा विद्या फाउंडेशन की शुरुआत की।
  9. इनके द्वारा ग्रामीण व्यक्तियों के स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए ग्रामीण कायाकल्प कार्य योजना नामक कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
  10. सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने कई बार कई मंचों पर भारतीय विचारों का प्रतिनिधित्व किया है । बार अंतरराष्ट्रीय मंच जैसे विश्व शांति शिखर सम्मेलन में भारत का नेतृत्व किया है। ये संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद में विशेष सलाहकार के रूप में भी कार्य करते हैं ।
  11. इन्होंने मात्र 24 वर्ष की अवस्था में मैसूर स्थित चामुंडी पहाड़ी पर जाकर योग और अध्यात्म के सहारे आत्मज्ञान पाने के लिए प्रयत्न किया। जिसके बाद इनका मोह सांसारिक चीज़ों से हमेशा के लिए खत्म हो गया। फिर इन्होंने योग, अध्यात्म, मानव व प्रकृति की सेवा को ही अपने जीवन का सार मान लिया और आज वह अपने ज्ञान से मानव जीवन को सार्थक बनाने में लगे हुए हैं।

निष्कर्ष:

जीवन के आरंभिक दिनों से स्वयं को तलाशते हुए मैसूर के चामुंडी हिल पर मिले अनुभवों ने उन्हें अपने लिए अलग रास्ता चुनने के लिए सकारात्मक रूप से बाध्य किया । और फिर सद्गुरु ध्यान और योग की ओर लगातार आगे बढ़ते चले गए । आज उनका ईशा फाउंडेशन मानव जीवन को कई आयामों में रूपांतरित कर रहा है । ऐसे लोग इस धरती पर किसी तोहफे से कम नहीं हैं , किसी उपहार से कम नहीं हैं । ऐसा उपहार जिसे ईश्वर ने खुद से चुन कर दुनिया के लिए भेज है ।

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