Dr. Aykroyd Formula एवं पे कमिशन
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भारत में सरकारी कामकाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए लाखों की संख्या में सरकारी कर्मचारी हैं। भारत एक संघीय गणराज्य है, तो यहां राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार के अपने अपने कर्मचारी होते हैं । राज्य सरकार के कर्मचारियों के वेतन के लिए राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार के वेतन के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार होती है ।
वेतन आयोग की प्रासंगिकता क्यों ?
भारत की आजादी के पश्चात सर्वप्रथम 1946 ईस्वी में श्रीनिवास वरादाचरियर की अध्यक्षता में पहले वेतन आयोग का गठन किया गया ।1946 ईस्वी के बाद से प्रत्येक 10 वर्ष पर एक वेतन आयोग का गठन किया जाता है ।
नवगठित वेतन आयोग का मुख्य काम होता है, महंगाई और कर्मचारियों को मिलने वाली वेतन में आने वाली विसंगतियों को दूर कर आगे आने वाले 10 वर्षों के लिए कर्मचारियों के वेतन एवं भत्तों का निर्धारण करना ताकि एक सरकारी कर्मचारी अपना जीवन-यापन सही से कर सके।
सातवां वेतन आयोग एवं सिफारिशें :
सातवें वेतन आयोग के सुझावों को कुछ फेरबदल के साथ सरकार ने जनवरी 2016 से इसे लागू कर दिया । सातवें वेतन आयोग में बहुत सारे भत्तों को या तो समाप्त कर दिया गया है या अन्य के साथ मिला दिया गया है । काबिलेगौर बात है कि सातवें वेतन आयोग में कर्मचारियों के वेतन वृद्धि को 3% बरकरार रखा गया है ।
सातवें वेतन आयोग में इस बात का उल्लेख किया गया कि आगे से वेतन आयोग गठन करने की कोई आवश्यकता नहीं है। जस्टिस माथुर की अध्यक्षता में गठित इस आयोग ने यह भी सिफारिश की कि 10 साल पर वेतन आयोग के गठन की बात को छोड़ कर सरकार को हर साल वैल्यू इंडेक्स(value index) के आधार पर कर्मचारियों के वेतन का उसी वर्ष मूल्यांकन कर समुचित सुधार लागू कर देना चाहिए।
यानि एक तरह से 8 वें वेतन आयोग की समाप्ति की पृष्ठभूमि को बिल्कुल पुख्ता कर दिया गया ।
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न्यूनतम वेतन में समय के साथ वृद्धि
अगर हम प्रथम वेतन आयोग की बात करें तो उसमें एक चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी के वेतन को ₹30 और एक तृतीय वर्ग के कर्मचारी के वेतन को ₹60 प्रति महीना निर्धारित किया गया था। जिसे सातवें वेतन आयोग में न्यूनतम मजदूरी को ₹18000 प्रति महीना रखा गया ।
विभिन्न कर्मचारी संगठन इसके लिए न्यूनतम ₹21000 की मांग कर रहे थे। पहले वेतन आयोग से लेकर सातवें वेतन आयोग के बीच महंगाई और न्यूनतम वेतन में कितनी वृद्धि हुई और आगे किसी वेतन आयोग के गठन की संभावना क्या और कितनी है ? इसकी समुचित व्याख्या में आपके विवेक पर छोड़ता हूं…!
यहां आपके लिए है जानना आवश्यक है कि विभिन्न वेतन आयोगों में न्यूनतम तथा अधिकतम वेतन का निर्धारण कैसे होता है?.
विभिन्न वेतन आयोग में न्यूनतम तथा अधिकतम वेतन की गणना Dr. Aykroyd formula (डॉ एक्रोय्ड) द्वारा दिए गए फार्मूले के आधार पर किया जाता है । जिसे सामान्य तौर पर Dr. Aykroyd Formula (डॉ एक्रोय्ड फ़ॉर्मूला) कहते हैं ।जहां सरकार की ओर से लगातार कहा गया कि उसने इस फार्मूले का सही से पालन किया है, वहीं विभिन्न संगठनों ने सरकार पर इसकी अवहेलना का आरोप लगाया ।
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क्या है Aykroyd Formula ?
Need-Based Minimum Wage
Need-Based Minimum Wage भारत में आवश्यकता आधारित न्यूनतम वेतन एक बहुत ही विवादास्पद मुद्दा रहा है । आवश्यकता आधारित न्यूनतम वेतन कितना हो ? इसको लेकर समय-समय पर विवाद है और बहस चलती रही है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के औद्योगिक क्षेत्रों में काम करने वाले कामगारों के लिए न्यूनतम वेतन कितना हो ? ताकि वह अपने और अपने परिवार का भरण-पोषण करने में सक्षम हो ।
Committee on Fair Wages
संतुलित वेतन का निर्धारण करने के लिए गठित कमिटी Committee on Fair Wages के अनुसार एक परिवार को चार सदस्यों का समूह माना गया है । जिसमें पुरुष/male को Earner यानी कि कमाने वाला सदस्य माना गया । जिस पर उसकी पत्नी और उसके दो बच्चे जिनकी उम्र 14 वर्ष से कम हो के भरण पोषण का दायित्व हो ।
ऐसी कल्पना को आधार देकर न्यूनतम आवश्यकता का फ्रेमवर्क तैयार किया गया है । इंडियन लेबर कॉन्फ्रेंस(Indian Labour Conference) के 15वें सत्र में एक कामगार के सही भरण पोषण हेतु आवश्यकताओं को 4 वर्गों में बांटने को मंजूरी दी गई , जो की है:-
- भोजन
- वस्त्र
- आवास तथा
- अन्य .
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यहां 3 उपभोक्ता यूनिट के भोजन के लिए आने वाले खर्च को Dr. W.B. Aykroyd’s Formula से तय करने की बात पर सहमति बनी ।
Dr. W.B. Aykroyd’s ने ‘Human Nutrition and Diet’ नाम से लिखे गए अपने पेपर में इस बात का उल्लेख किया है:- “कि एक स्वस्थ व्यक्ति को अपना सामान्य जीवन जीने के लिए 2600 कैलोरी ऊर्जा की जरूरत होती है।”
जहां उन्होंने अपने शोध पत्र/paper में इस बात का भी उल्लेख किया है कि एक व्यक्ति को 2600 कैलोरी की ऊर्जा प्राप्त करने के लिए चावल, दाल, सब्जियों, एवं अन्य चीजों की कितनी न्यूनतम मात्रा आवश्यक होती है ? Dr. W.B. Aykroyd ने सामान्य रूप से एक शाकाहारी परिवार में भोजन पर आने वाली खर्च का मौद्रिक रूपांतरण करने का प्रयास किया ।
उन्होंने इस बात को भी ध्यान में रखा की किसी शहर में चार व्यक्ति के परिवार को रहने के लिए कम से कम 180 वर्ग फुट का स्थान चाहिए, उसके लिए कितना किराया लगता है ? इस तरह से वेतन को एक सामान्य कर्मचारी के न्यूनतम आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए निर्धारित करने की सिफारिश एक्रोय्ड ने की थी । उनका यह फॉर्मूला वेतन निर्धारण में महत्वपूर्ण कारण बन कर लगभग दूसरे वेतन आयोग से लेकर अब तक अपनी उपयोगिता कायम किये हुए है ।
उम्मीद है Dr. W.B. Aykroyd द्वारा बताये गए formula एवं वेतन आयोग के गठन के प्रति आपकी जागरूकता को बढ़ाने में यह लेख सहायक रहा होगा । आवश्यक संसोधन हेतु सुझाव अथवा इस लेख पर अपने बहुमूल्य विचार नीचे कमेन्ट बॉक्स में लिख कर हम तक जरूर भेजें ।
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References(सन्दर्भ):-
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