sonam wangchuk अगर समाज में बदलाव लाना है, तो एक छोटी सी कोशिश भी क़ामयाब हो सकती है एक मुहीम का रूप ले सकती है । शर्त इतनी सी है कि बदलाव की वो कोशिश ईमानदार हो ,उसमे लोगों के दिल को छूने का जज्बा हो और सुन्दर भविष्य की संकल्पना हो। जी हां इस लेख में मैं बात करने वाला हूं सोनम वांगचुक(sonam wangchuk) के बारे में जिनकी शख्सियत किसी परिचय का मोहताज नहीं है। अभी उनके व्यक्तित्व के बारे में बात करने का औचित्य इसलिए और इतना भर है कि भारत चीन सीमा विवाद के बाद जो उन्होंने चीन के उत्पादों के बहिष्कार की बात कही वो वीडियो वायरल हो गया। मामला थोड़ा थमा तो हम ने उनके व्यक्तित्व से आपको रूबरू कराने की सोची।
वैसे भी विचारक्रांति की टीम का प्रयास ऐसे लीक से हट कर चलते हुए सफलता के कीर्तिमान स्थापित करने वाले व्यक्तित्वों से आपको परिचित करवाने का आरम्भ से ही रहा है। ताकि युवाओं को कुछ अलग करने की प्रेरणा मिल सके और हमारा देश उन्नति के नए शिखरों को छु सके क्योंकि सुखी भारत का मार्ग समपन्न भारत से ही प्रशस्त होगा ।
इस लेख में हम पूरी तरह सोनम वांगचुक के जीवन और उनके कार्यों के बारे में ही बात करने वाले है। वीडियो के बारे में आप सब जानते ही हैं जहां उनके द्वारा की गयी अपील को व्यापक समर्थन भी मिल रहा है और कुछ लोग जैसा कि अमूमन होता है इस में गलती भी देखने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उससे पहले यहां मैं दो प्रश्नो का उत्तर देने की कोशिश कर रहा हूँ ।
सोनम वांगचुक कौन है(who is sonam wangchuk) ?
Topic Index
सोनम वांगचुक शैक्षणिक दृष्टकोण से एक इंजीनियर हैं। उन्होंने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संसथान श्रीनगर (National Institute of Technology ,Srinagar ) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली है। विज्ञान के आधारभूत अनुप्रयोगों से जमीन पर कई ऐसे चीजों का निर्माण किया जिससे सुदूर लद्दाख के स्थानीय लोगों का जीवन थोड़ा आसान हुआ तो इसलिए एक अविष्कारक भी हैं । इसके साथ ही ये बच्चों की शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन करने के कई सफल प्रयास किये हैं तो इसलिए हम इन्हे शिक्षाविद अथवा शिक्षा सुधारक भी कह सकतें हैं।
सोनम वांगचुक का वीडियो वायरल क्यों हुआ ?
वर्तमान में भारत चीन सीमा पर गहराते विवाद के बीच उन्होंने चीन के उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया ! जिससे कि हमारे देश का पैसा किसी भी प्रकार से हमारे अपने लोगों के खिलाफ उपयोग नहीं हो सके तथा चीन को भी भारत के आम जन मानस में उठ रहे नाराजगी के बारे में पता चल सके। जिससे चीन अपने अड़ियल रवैये को छोड़ कर भारत के साथ शांतिपूर्वक सौहार्द के साथ रहे ।
प्रारंभिक जीवन-Early Life of Sonam Wangchuk
‘सोनम वांगचुक’ का जन्म 1 सितम्बर 1966 को लद्दाख के, Uley-Tokpo गांव में हुआ था,जिस में उनके मुताबिक महज तीन परिवार ही रहते थे। । अपने जीवन के शुरूआती 8 वर्ष उन्होंने अपनी मां के साथ बिताए और बिना किसी तनाव और दबाव के प्रारंभिक शिक्षा खेल खेल में ही पायी। फिर लगभग तीन महीने में तथाकथित कक्षा 1 से 3 तक स्कूली पढ़ाई पूरी कर के अपने हम उम्र बच्चों के साथ आगे की पढ़ाई सामान्य ढंग से की । उनके पिता एक नेता थे, जो बाद में राज्य सरकार में मंत्री भी बने। ऐसे में उनके लिए राजनीति में जाकर शानोशौकत की जिंदगी जीना काफी आसान होता लेकिन उन्होंने एक अलग रास्ता चुना।
शुरूआती संघर्ष (Early Struggle)
‘इंजीनियरिंग में विषय के चुनाव पर पिता से विवाद हो गया तो उन्होंने अपने मन की सुनते हुए मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। पिता की बात नहीं सुनी तो पिता ने आगे की पढ़ाई के लिए पैसे देने से मना कर दिया, जिस कारण उन्होंने कुछ महीने ट्यूशन पढ़ाया। उस कुछ महीने के ट्यूशन से उन्हें अपनी इंजीनियरिंग कम्पलीट करने के लिए जरूरी पैसे तो मिल ही गए साथ ही मिला हमारी शिक्षा प्रणाली में मौजूद कमियों के बारे में जानकारी भी ! जिसमें सुधार के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया और आज लद्दाख सहित पूरे भारत के कुछ ऐसे अनूठे लोगों में उनका नाम शामिल है जो वास्तव में मानवता के लिए एक वरदान हैं !
वर्ष 1988 में sonam wangchuk ने स्टुडेंट एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SACMOL) की स्थापना की. जिसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा का स्थानीयकरण करना था। इस एनजीओ के माध्यम से उन्होंने लद्दाख के सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम को लद्दाखी भाषा में तैयार किया ताकि छात्रों को विषयों को समझने में विशेष आसानी हो। परिणाम यह हुआ कि दसवीं की परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत 5 से बढाकर 75 हो गया जिसे साधारण तो नहीं कहा जा सकता है !
यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि शिक्षा सुधार का उनका यह कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा चलाए गए सर्व शिक्षा अभियान से लगभग 12 साल पहले प्रारंभ हुआ था ।
इसके अलावा उन्होंने दसवीं की परीक्षा में फेल हो गए ऐसे छात्र जिन का मनोबल काफी टूट चुका होता है (क्योंकि हमारा समाज तो हर जगह एक ही जैसा है जहां अगर कोई परीक्षा में फेल हो गया तो अमूमन लोग उसको जिंदगी में फेल मान लेते हैं जबकि सच्चाई कहीं इसके विपरीत ही है क्योंकि आंकड़ों में दर्ज सच्चाई इस सामाजिक भ्रम से बहुत कम मेल खाता है ) के लिए वैकल्पिक विद्यालय की स्थापना की ।
उनकी ख्याति इस वैकल्पिक विद्यालय निर्माण से और अधिक फैली। इस विद्यालय का निर्माण उन्होंने कुछ इस तरह किया है कि यहां की ऊर्जा जरूरतों का लगभग 98 से 99% ऊर्जा सौर ऊर्जा से मिलता है।
इनका यह विद्यालय पूरी तरह प्रायोगिक शिक्षा पर आधारित है तथा विद्यालय के प्रबंधन का भी अधिकांश काम छात्रों द्वारा ही किया जाता है। सबसे अनूठी बात यह है कि इस स्कूल में नामांकन केवल उन्हीं छात्रों का होता है जो परीक्षा में फेल होते हैं। इस प्रायोगिक विद्यालय से निकल कर कई छात्रों ने अपने जीवन में बड़ी-बड़ी ऊंचाईयों को हासिल किया है ।
कृत्रिम ग्लेशियर का निर्माण
हिमालय की गोद में बसा लद्दाख एक बर्फीला रेगिस्तान है। यहां पानी की कमी नहीं है लेकिन जब खेती करने का समय आता है तब पानी की किल्लत हो जाती थी तो इन्होंने डॉक्टर चेवांग नोर्फेल के कृत्रिम ग्लेशियर से प्रेरणा लेकर बर्फ के स्तूप का निर्माण स्थानीय स्तर पर करना शुरू किया,एक स्तूप से लगभग 10 एकड़ जमीन में सिंचाई का इंतजाम बहुत ही आसानी से हो जाता है। इससे स्थानीय किसानों को जबरदस्त फायदा मिला है।
Sonam Wangchuk को मिले अहम् पुरस्कार
सामान्य मानव के जीवन को सरल बनाने हेतु उनके अभिनव प्रयोगो के सम्मान स्वरुप उनको कई राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं जिनका छोटा सा संकलन नीचे दिया जा रहा है ।
- रेमन मैग्सेसे अवार्ड 2018
- Governor’s Medal for educational reform in Jammu & Kashmir, 1996
- Man of the Year by The Week, 2001
- Ashoka Fellowship for Social Entrepreneurship, by Ashoka USA, 2002
- The Green Teacher Award by Sanctuary Asia, 2004
- Real Heroes Award by CNN-IBN TV, 2008
- UNESCO Chair Earthen Architecture, by CRATerre France, 2014
- International Terra Award for best earth building, 2016
- Rolex Award for Enterprise, 2016
- Global Award for Sustainable Architecture, 2017
- State Award for outstanding environmentalist by J&K Govt.
सोनम वांगचुक और उनकी संस्था से अगर आप जुड़ना चाहते हैं तो उनका कांटेक्ट डिटेल्स नीचे दिया गया है।
SECMOL Office in Leh : (+91) 1982 252421
SECMOL Campus, Phey: (+91) 1982 226120
इसके अलावा आप उनके सोशल मीडिया हैंडल्स पर भी उनसे संपर्क कर सकतें हैं ।
अपनी बात
लीक से हटकर चलने में सामने पड़ने वाली मुश्किलों का सामना करने के लिए बहुत साहस की आवश्यकता होती है। प्रतिभावान होने के बावजूद तथाकथित मान सम्मान से महरूम होना पड़ता है ।
लेकिन जब सोच सच्चाई का रूप लेकर जमीन पर उतरती है तो फिर कमाल होता है ! परिवर्तन एक सच और सार्वभौमिक घटना है लेकिन विचारों में परिवर्तन लाने की कोशिश करने वालों को,समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए प्रयास करने वालों को निजी जीवन में काफी दुःख उठाने पड़ते हैं ये उससे भी बड़ा सच है !
मानव जाति को ऐसे ही नायकों की घनघोर आवश्यकता है जो व्यक्ति समाज और विश्व को अपने अभिनव प्रयोगों से स्वाभिमान और संतुलन के संग जीवन जीने की प्रेरणा देते रहें।
सोनम वांगचुक के भारतीय होने पर हमें गर्व है और विचारक्रांति परिवार की ओर से हम उनका अनेकानेक अभिनन्दन करतें हैं ।
मुझे पूरी उम्मीद है कि आपको सोनम वांगचुक (sonam wangchuk )के बारे में प्रस्तुत की गयी जानकारी अच्छी लगी होगी। हमारा पूरा प्रयास रहा है कि उनके व्यक्तित्व से आपका परिचय पूरी प्रमाणिकता से करवाया जाय। किसी त्रुटि अथवा सलाह-सुझाव के लिए नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी बात जरूर दर्ज करे।
आपके जीवन में सब कुछ शुभ हो इसी कामना के साथ फिर मिलेंगे !
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