महात्मा गांधी जी की जीवनी: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का व्यक्तित्व और चिंतन धारा आरंभ से ही भारतीयों के लिए प्रेरणास्त्रोत रहा है। जिन्होंने एक धनी परिवार में जन्म लेने के बावजूद अपनी सुख भरी जिंदगी को त्याग देश सेवा में खुद को लगा दिया । उन्होंने अपने असाधारण कार्यों तथा अहिंसावादी रीतियों से समूचे विश्व की सोंच को बदलकर रख दिया ।
वे इस देश के प्रमुख राष्ट्र निर्माताओं में से एक थे । उनके विचारों का प्रभाव भारत सहित विश्व के कई देशों की नीतियों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है ।भारत की अंग्रेजों से मुक्ति और भारत की स्वर्णिम भविष्य की आरंभिक योजना उन्हीं के नेतृत्व में निर्धारित हुई। उन्हें राष्ट्रपिता के नाम से भी संबोधित किया जाता है । ऐसे में गांधी जी से संबंधित जानकारियां -( Mahatma Gandhi Information Hindi) एक सामान्य व्यक्ति अथवा एक विद्यार्थी के रूप में आपके लिए निश्चय ही उपयोगी और महत्वपूर्ण हो सकतीं हैं ।
यह लेख (essay on mahatma gandhi in hindi) गांधी जी के शुरुआती जीवन से लेकर उनकी मृत्यु तक उनके प्रमुख योगदानों से आपको रूबरू कराने का हमारा संक्षिप्त प्रयास है ।
महात्मा गांधी का विशेष योगदान
Topic Index
आजादी के बाद नए भारत के निर्माण में गांधी जी के प्रभाव को स्पष्ट रूप से अनुभव किया जा सकता है । वे 20 वीं सदी के विश्व के सबसे महानतम नेताओं में से थे । उन्होंने सत्य असहयोग और अहिंसा का अनुसरण करके क्रांति और मानव मुक्ति के संग्राम को एक नई परिभाषा दी । गांधी जी हिन्दू धर्म की मूल भावना वसुधैव कुटुम्बकम’ और सर्वे भवन्तु सुखिनः के साथ ही सर्वधर्म समभाव के प्रबल पक्षधर थे। यह उन्हीं का प्रभाव माना जा सकता है कि विभाजन का दंश झेलने के बावजूद भी भारत एक धर्म निरपेक्ष देश बना रहा ।
इस देश में जो भी सरकार आए सभी गांधी के सपनों को साकार करने का ही दंभ भरती है । स्वच्छ सुंदर सक्षम और स्वस्थ भारत की कल्पना गांधी के भारत की ही कल्पना है । आगे हम गांधी जी के कुछ प्रमुख योगदान विशेष रूप से आंदोलन की चर्चा कर रहें हैं ।
महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में हुए आंदोलन
अफ्रीका की यात्रा से वापस आने के बाद गांधी जी ने अंग्रेजों के विरुद्ध कई आंदोलन चलाए। इतना ही नहीं महात्मा गांधी सन् 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक कुशल नेता के रूप में भी उभरकर सामने आए। गांधी जी के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण आंदोलन चलाए गए। तो चलिए अब हम गांधी जी द्वारा चलाए गए कुछ प्रमुख आंदोलनों के बारे में भी जान लेते हैं:-
1. चंपारण सत्याग्रह आंदोलन:
चंपारण में जमींदारों द्वारा अंग्रेजी हुकूमत के चलते वहां के निर्धन तथा कमजोर किसानों का शोषण किया जा रहा था। किसानों के ऊपर हो रहे इस शोषण का विरोध करते हुए गांधी जी ने 1917 में भारत में प्रथम सत्याग्रह आंदोलन का शुभारंभ किया। जिसके फलस्वरूप ब्रिटिश सरकार को पीछे हटना पड़ा। इसी चंपारण में उनकी भेंट राजेन्द्र बाबू (डॉ राजेन्द्र प्रसाद ) से हुई जो बाद में जीवन पर्यंत उनके सहयोगी बने रहे ।
2. खिलाफत आंदोलन:
किसानों के हित में योगदान देने के बाद गांधी जी ने साल 1919 में खिलाफत आंदोलन में मुसलमानों का भी साथ दिया। इस आंदोलन के बाद गांधी जी ने हिंदुओ के साथ-साथ अब मुसलमानों का भी भरोसा जीत लिया था।
3. असहयोग आंदोलन :
13 अप्रैल साल 1919 में अमृतसर में होने वाले जलियांबाग कांड से गांधी जी को गहरा आघात पहुंचा था। जिस कारण उन्होंने अप्रैल 1920 में असहयोग आंदोलन को प्रभावी ढंग से शुरू किया था। परंतु आंदोलन में हिंसा बढ़ने के कारण इसे गांधी जी द्वारा शीघ्र ही समाप्त कर दिया गया था, क्योंकि गांधी जी हिंसा के खिलाफ थे।
4. भारत छोड़ो आंदोलन:
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करने के लिए महात्मा गांधी जी ने 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया। हालांकि इस आंदोलन से अंग्रेजों ने अपने कदम भारत से नहीं हटाए, लेकिन उन्हें यह आभास हो गया था कि अब वे भारत में ज्यादा दिन तक शासन नहीं कर पाएंगे।
5. दांडी यात्रा और नमक आंदोलन:
नमक आंदोलन की शुरुआत दांडी मार्च यात्रा से की गई थी। जोकि गांधी जी के नेतृत्व में 12 मार्च 1930 को गुजरात के साबरमती आश्रम से शुरू होकर दांडी गांव तक निकाली गई थी। जिसमें गांधी जी ने नमक पर लगने वाले अनावश्यक कर का विरोध किया था।
महात्मा गांधी का प्रारंभिक जीवन
अब पढ़िए महात्मा गांधी जी की जीवनी में उनके प्रारम्भिक जीवन के विषय में – महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। मोहनदास करम चंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर जिले में हुआ था। इनके पिता का नाम करमचंद गांधी था। जो कि पोरबंदर की रियासत के दीवान थे। इनकी माता पुतलीबाई अत्यंत सज्जन तथा धार्मिक स्वभाव की महिला थी। गांधी जी अपने तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। इनके भाइयों के नाम क्रमश: लक्ष्मीदास करमचंद गांधी और करसनदास गांधी थे। गांधी जी का विवाह मात्र साढ़े 13 वर्ष की आयु में कस्तूरी बाई मकनजी से कर दिया गया था। जिनको हम कस्तूरबा के नाम से जानते हैं। कस्तूरबा और गांधी जी के पुत्रों के नाम हरिलाल मोहनदास गांधी, मणिलाल गांधी, देवदास गांधी, रामदास गांधी थे।
संक्षिप्त विवरण
नाम | मोहनदास करम चंद गांधी |
पिता | करमचंद गांधी |
जन्मस्थान | पोरबंदर गुजरात |
जन्मतिथि | 02 अक्टूबर 1869 |
अवसान | 31 जनवरी 1948 |
शिक्षा | बैरिस्टर |
पेशा | |
सम्मान | |
गांधी जी की शिक्षा
गांधी जी जब सात वर्ष के थे, तब उनका परिवार काठियावाड़ राज्य के राजकोट जिले में बस गया था। जिसके फलस्वरूप, गांधी जी ने राजकोट से ही अपनी प्राथमिक तथा उच्च शिक्षा ग्रहण की थी। वे एक साधारण विद्यार्थी होने के साथ-साथ स्वभाव से अधिक संकोची तथा शर्मीले थे। मिडिल तथा हाईस्कूल की शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा भवनागर के श्यामलदास कॉलेज से उत्तीर्ण की।
मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद उनका परिवार चाहता था कि गांधी जी बैरिस्टर बनें। जिसके लिए वह 4 सितंबर 1888 को लंदन चले गए। जहां रहकर उन्होंने वर्ष 1888 से 1891 तक रहकर अपनी बैरिस्टर की पढ़ाई पूरी की और साल 1891 में भारत वापस लौट आए।
गांधी जी की अफ्रीका यात्रा
महात्मा गांधी जी की जीवनी में गांधी जी के दक्षिण अफ्रीका की यात्रा का विशेष महत्व रहा है। गांधी जी वकालत करने के उद्देश्य से साल 1893 में अफ्रीका गए थे। जहां गांधीजी को कई बार रंगभेद जैसी अनेकों समस्याओं का सामना भी करना पड़ा।
एक बार की बात है जब गांधी जी ने ट्रेन में बैठने के लिए प्रथम श्रेणी का टिकट लिया था, लेकिन उन्हें तीसरे डिब्बे में बैठने के लिए सिर्फ इसलिए कहा गया। क्योंकि उनका रंग सफेद नहीं था। जिसका विरोध करने पर गांधी जी को ट्रेन से धक्का तक दे दिया गया था। यहीं से उन्होंने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का संकल्प लिया। जिसके बाद गांधी जी ने वहां रहने वाले भारतीयों के लिए साल 1893 में सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया। इसके बाद गांधी जी 1915 में भारत वापस आ गए और देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाने हेतु प्रयास करने शुरू कर दिए।
देश और मनुष्यता के प्रति योगदान
गांधी जी ने अहिंसा को एक हथियार के रूप में सफलता पूर्वक प्रयोग किया और क्रांति को एक नई परिभाषा दी । वे हमेशा शोषित पीड़ित और वंचित लोगों की स्थिति में सुधार हेतु सक्रिय रहे । उन्होंने छूआछूत की समाप्ति और दलित जनों के उद्धार हेतु बहुत कार्य किए ।
इसके साथ ही उन्होंने धार्मिक आधार पर भेदभाव को गलत बताते हुए सांप्रदायिक सौहार्द कायम करने के लिए कई कार्य किए ।
गांधी जी के प्रमुख पुस्तकें ।
आज गांधी जी एक विराट व्यक्तित्व हैं । कुछ पुस्तकों की रचना उन्होंने स्वयं की है और अब उन पर भी बहुत सारी किताबें लिखी जा चुकीं हैं । गांधी जी संबंधित कुछ प्रमुख पुस्तकों के नाम एवं उन्हें खरीदने हेतु लिंक नीचे दिया जा रहा है । गांधी जी के बारे में अधिक जानने के लिए आप इन पुस्तकों का सहारा ले सकते हैं । ये किताबें बहुत ही मामूली कीमत पर उपलब्ध हैं …
गांधी जी की मृत्यु
30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे तथा उनके सहयोगी गोपाल दास द्वारा बिरला हाउस के अंदर महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस खबर ने समस्त भारतवासियों को हिलाकर रख दिया था। ऐसे में हर वर्ष 30 जनवरी के दिन महात्मा गांधी जी की पुण्यतिथि मनाई जाती है। जबकि इनके जन्म दिवस को भारत का राष्ट्रीय पर्व माना गया है।
वास्तव में, गांधी जी इस देश में एकमात्र ऐसे महापुरुष हुए, जिन्होंने सदैव ही देशवासियों को सत्य, अहिंसा व एकता के सूत्र में पिरोने का प्रयास किया। उनका जीवन चरित्र सदैव हम भारतीयों के लिए स्मरणीय रहेगा।
आज सोशल मीडिया के करण समाज में बढ़ रही अतिवादी सोच के बीच गांधी का दर्शन पहले से अधिक प्रासंगिक हो गया है । ऐसे में एक सशक्त भारत के निर्माण हेतु प्रत्येक भारतीय को उनके दर्शन से जरूर रूबरू होना चाहिए ।
इति
हमें पूरा विश्वास है कि हमारा यह लेख जिसमें हमने –महात्मा गांधी जी की जीवनी से संबंधित तथ्यपूर्ण जानकारियां (Mahatma Gandhi Information Hindi) संक्षेप में लिखने की कोशिश की है ,आपको पसंद आया होगा ,त्रुटि अथवा किसी भी अन्य प्रकार की टिप्पणियां नीचे कमेंट बॉक्स में सादर आमंत्रित हैं …लिख कर जरूर भेजें ! इस लेख को अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल्स पर शेयर भी करे क्योंकि Sharing is Caring !
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विचारक्रान्ति के लिए -अंशिका जौहरी