यदि आप भी जज बनने की इच्छा रखते हैं, तो यह लेख आपके लिए बेहद लाभकारी होने वाला है। दरअसल इस लेख के माध्यम से आपको जज कैसे बने के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करने वाले हैं।
भारत में जज का पद बेहद अहम होता है। इस पद पर आसीन व्यक्ति के ऊपर,अपने पद की विशेष जिम्मेदारियां होती है। इनके एक गलत फैसले से जहां किसी निर्दोष को सजा मिल सकती है वहीं नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा एवं संविधान के अनुसार भारत का शासन चले, इसकी नैतिक जिम्मेदारी भी कोर्ट पर ही है ।
कोई भी व्यक्ति जिसे कानून में महारत हासिल हो एवं इस पद पर पहुँचने के लिए तमाम अर्हताओं को पूरा कर सकता हो इस पद पर वहीं व्यक्ति आसीन हो सकता है। वर्तमान में 12वीं कक्षा के बाद ही 5 वर्षों की डिग्री कोर्स कर सकते हैं । आईए आगे जानते हैं भारत के विभिन्न न्यायालयों में नियुक्ति हेतु अर्हताओं सहित जज से संबंधित अन्य तथ्यों के बारे में..
जज (न्यायधीश) का पद
लोकतान्त्रिक प्रक्रिया में जज की भूमिका अत्यंत अहम हो है । विभिन्न कानूनों की व्याख्या एवं उसके अनुपालन करने के निर्देश देने का अधिकार न्यायपालिका के ही पास होता है । भारत में जजों की नियुक्ति 4 स्तरों पर होती है ।
हालांकि जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया अपने आप में थोड़ा पेचीदा है जिसमें विभिन्न राज्यों के उच्च न्यायालय अपने स्तर पर नियुक्ति प्रक्रिया को अंजाम देती है वहीं राज्य न्यायिक सेवा आयोग भी अपने स्तर पर निम्न स्तर पर जजों की नियुक्ति करती है ।
- मैजिस्ट्रैट/सिविल जज
- सेशन / डिस्ट्रिक्ट जज
- हाई कोर्ट के जज
- सुप्रीम कोर्ट के जज
आगे जानते हैं विभिन्न कोर्ट में नियुक्ति संबंधों योग्यताओं के बारे में ।
सर्वोच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट का जज बनने के लिए आवश्यक योग्यता –
- भारत का नागरिक होना चाहिए।
- उम्मीदवार को कम से कम 5 साल तक उच्च न्यायालय के न्यायधीश के तौर पर काम करने का अनुभव हो । अथवा 10 साल तक उच्च न्यायालय में कार्य करने का अनुभव हो ।
- न्यायालय में 10 वर्ष तक अभिवक्ता रह चुका होना चाहिए।
- 65 वर्ष की उम्र तक इस न्यायधीश के पद पर आसीन रहते हैं।
राज्य न्यायपालिका या उच्च न्यायालय या हाईकोर्ट
राज्य न्यायपालिका में जज बनने के लिए आवश्यक योग्यता –
- भारत का नागरिक होना चाहिए।
- न्यायालय में 10 वर्ष तक अभिवक्ता रह चुका हो ।
- पदोन्नत होकर भी इस पद तक पहुंचा जा सकता है ।
- इस पद पर कोई न्यूनतम उम्र जैसी बात नहीं है ।
- 62 वर्ष की उम्र तक इस न्यायधीश के पद पर आसीन रहते हैं।
जिला एवं सत्र न्यायालय
जिला न्यायालय में जज बनने के लिए आवश्यक योग्यता-
- नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया बैंगलोर
- नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ हैदराबाद
- नेशनल एकेडमी ऑफ लीगल स्टीडज एंड रिसर्च हैदराबाद
- इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट नई दिल्ली
- नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी भोपाल
- राजीव गांधी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ला पटियाला
- वेस्ट बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ जुरीडिसियल साइंस कलकत्ता
- राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी लखनऊ
- जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली
- कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी
- इलाहाबाद यूनिवर्सिटी
- हिदायतउल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी रायपुर
- नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी कटक
- पश्चिम बंगाल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ज्यूडिशियल साइंस कोलकाता
- चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी पटना
- कलकत्ता यूनिवर्सिटी
- मुम्बई यूनिवर्सिटी
- सिमबायोसिस लॉ स्कूल पुणे
- जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल सोनीपत
- नेेशनल लॉ यूनिवर्सिटी जोधपुर
- आईएलएस लॉ स्कूल पुणे
- यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी देहरादून
- गुजरात लॉ यूनिवर्सिटी
- दिल्ली यूनिवर्सिटी
- नेेशनल लॉ यूनिवर्सिटी जोधपुर
- आईएलएस लॉ स्कूल पुणे
- यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी देहरादून
- गुजरात लॉ यूनिवर्सिटी
- दिल्ली यूनिवर्सिटी
- बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी
- गोवर्नमेंट लॉ कॉलेज मुंबई
- अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
- चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी
- महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी, बड़ोदरा
- नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी गोहाटी
- ओस्मानिया यूनिवर्सिटी हैदराबाद
- गवर्नमेंट लॉ कॉलेज मुम्बई
- कर्नाटक स्टेट लॉ यूनिवर्सिटी
- मद्रास यूनिवर्सिटी
- लखनऊ यूनिवर्सिटी
- सीएसजेएमयू कानपुर
- यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई
जज बनने के लिए आवश्यक योग्यता
• जज बनने के इच्छुक लोगों को सर्वप्रथम लॉ से स्नातक की परीक्षा पास करनी होती है। इसके अतिरिक्त आप बारहवीं कक्षा के बाद क्लैट की परीक्षा भी दे सकते हैं। जिसमें देश की 16 यूनिवर्सिटी अपना एंट्रेस एग्जाम स्वयं आयोजित कराती है। यह कोर्स पांच वर्ष का होता है । इस कोर्स के बाद आपको बीए एलएलबी की डिग्री प्राप्त हो जाती है। आप चाहे तो बीए के करने के बाद तीन साल का एलएलबी कोर्स भी कर सकते हैं।
• लॉ में स्नातक करने के बाद आपको एक अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण कराना होता है। जिसके बाद आपको वकालत करने का अधिकार प्राप्त हो जाता है। वकालत करने के सात वर्ष के अनुभव के बाद आप जज बनने के लिए होने वाली परीक्षा में सम्मिलित हो सकते हैं।
न्यायिक सेवा परीक्षा
न्यायधीश बनने के लिए होने वाली न्यायिक सेवा परीक्षा तीन चरणों में संपन्न कराई जाती है –
- प्रारंभिक परीक्षा
- मुख्य परीक्षा
- साक्षात्कार
1. प्रारंभिक परीक्षा – इस परीक्षा में दो परीक्षाएं आयोजित कराई जाती हैं। जिसमें पहला पेपर सामान्य ज्ञान 150 अंक का होता है और दूसरा पेपर लॉ का 300 अंक का कराया जाता है।
2. मुख्य परीक्षा – इस परीक्षा में कुल पांच पेपर आयोजित होती हैं। जिसमें पहला पेपर सामान्य ज्ञान का 150 अंक में होता है, दूसरा पेपर भाषा का 200 अंक में होता है, तीसरा पेपर लॉ प्रथम का 200 अंक का, चौथा पेपर लॉ द्वितीय का 200 अंक का और पांचवा पेपर लॉ तृतीय का 200 अंक का कराया जाता है।
3. साक्षात्कार – प्रारंभिक परीक्षा में सफल होने के बाद मुख्य परीक्षा में बैठने का अवसर मिलता है। जिसके बाद मुख्य परीक्षा में पास होने के बाद अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में बुलाया जाता है। यह साक्षात्कार 100 अंक का होता है। जज बनने की इस आखिरी परीक्षा प्रक्रिया में पास होने के बाद आप जज बनने के लिए चयनित हो सकते हैं।
हालांकि विभिन्न राज्यों में अलग अलग आयोजित होने वाली इन परीक्षाओं की प्रक्रिया सहित अन्य तथ्यों में थोड़ी-बहुत अंतर तो है ही ।
जज का वेतन
न्यायधीशों का वेतन पदों के अनुसार निर्धारित होता है। जूनियर सिविल जज का वेतन 45 हजार रुपए और वरिष्ठ जज का वेतन लगभग 80 हजार रूपए तक होता है। यह वेतन राज्य के अनुसार भिन्न भिन्न भी हो सकता है।
वहीं सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश का वेतन 2.80 लाख रुपए है तथा सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों का वेतन 2.50 लाख रुपए तक होता है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश का वेतन 2.50 लाख रुपए होते है तथा अन्य हाई कोर्ट न्यायाधीशों का वेतन 2.25 लाख रुपए होता है।
FAQ
जज बनने के लिए कितनी उम्र होनी चाहिए?
जज बनने के इच्छुक उम्मीदवारों की न्यूनतम 21 वर्ष एवं अधिकतम आयु 35 वर्ष निर्धारित की गई है।
जिला जज की नियुक्त कौन करता है?
जिला न्यायालय के न्यायधीश की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा उच्च न्यायालय के परामर्श के अनुसार करता है।
जज की सैलरी कितनी होती है?
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य जज का वेतन 2 लाख 80 हजार रूपए प्रतिमाह है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजो की सैलरी 2 लाख 50 हजार रूपए प्रतिमाह है।
हाईकोर्ट के मुख्य जज की सैलरी 2 लाख 50 हजार रूपए प्रतिमाह होती है। वहीं इसके साथ ही हाईकोर्ट के अन्य जजों का प्रतिमाह वेतन 2 लाख 50 हजार रूपए होता है।
सैलरी के अलावा जज को अन्य सुविधाओं का भी लाभ मिलता है?
सैलरी के अतिरिक्त मुख्य न्यायधीशों को कार, आवास, सुरक्षाकर्मी, कर्मचारी व अन्य सुविधाएं भी प्राप्त होती हैं।
न्यायाधीश बनने के लिए प्राथमिक शिक्षा क्या है?
यदि आप एक जज के रूप में अपना करियर बनाना चाहते हैं, तो आपको लॉ से स्नातक (LLB) की डिग्री हासिल करना आवश्यक है।
उम्मीद करते हैं कि आपको उपर्युक्त लेख judge kaise bane –जज कैसे बने के माध्यम से जज बनने के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी। इस लेख में आवश्यक संसोधन हेतु अथवा इस लेख पर अपने विचार नीचे कमेन्ट बॉक्स में जरूर लिख कर भेजें ।
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