धनतेरस 2023 क्यों मनाते हैं ?

धनतेरस धन्वंतरि त्रयोदशी का बदला हुआ परिवर्तित शब्द है । दीपावली त्यौहार धनतेरस से शुरू होकर भैया दूज को संपन्न होता है हालांकि इसके बाद भी देश के कुछ हिस्सों में खासकर बिहार झारखंड और उत्तरप्रदेश के लोग छठ महापर्व मनाते हैं । तथा इस दौरान क्रमशः धनतेरस, छोटी दीवाली, बड़ी दीवाली, गोवर्धन पूजा, और भैया दूज के रूप में त्योहारों की एक श्रृंखला मनाई जाती है ।

कारण

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के पश्चात कार्तिक मास के त्रयोदशी तिथि को ही सृष्टि में स्वास्थ्य के देवता भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर अवतरित हुए थे ।

विभिन्न शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन से सबसे पहले हलाहल विष की प्राप्ति हुई जिसके दहकता से जगत की रक्षा करने हेतु भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया तत्पश्चात 14 दिव्य रत्न की प्राप्ति हुई और उसके बाद भगवान धन्वंतरि विभिन्न रत्नादिक आभूषण एवं वनमाला से सुसज्जित होकर अपने हाथ में आयुर्वेद शास्त्र औषधि और अमृत कलश लेकर प्रकट हुए ।

इसी अमृत को पीकर अमरत्व की प्राप्ति करने हेतु देव दानव युद्ध हुआ था तथा दैत्यों को अमृत पीने से रोकने के लिए भगवान विष्णु को जगनमोहिनी माया स्वरूप विश्व मोहिनी रूप में प्रकट होना पड़ा । अपने विश्व मोहिनी स्वरूप में भगवान श्री विष्णु ने दैत्यों को अमृत पीने से रोक कर नकारात्मक शक्तियों को कमजोर किया था ।

लौकिक मान्यता

कार्तिक मास की इसी त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरि अमृतकलश (अमृत से भरा बर्तन) लेकर प्रकट हुए थे इसलिए लौकिक मान्यता में हम लोग भी इस दिन घरों में कोई न कोई बर्तन खरीदते हैं तथा धन संपदा और समृद्धि की कामना करते हैं ।

स्वास्थ्य का पक्ष

हालांकि बहुत कम लोगों को इसकी जानकारी है कि भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना जाता है तथा आयुर्वेद में धन का मतलब स्वास्थ्य से है कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सोने चांदी के बर्तन में खरीद कर उसमें खाने से मतलब उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति से है । हालांकि आज हम सोने और चांदी की खरीदारी धन संपदा की वृद्धि की कामना मात्र से करते हैं तथा इस पर्व के मूल अभिप्राय को प्राय: भूल बैठे हैं ।

कार्तिक मास से प्रायः ठंड का प्रकोप बढ़ने लगता है ऐसे में उचित आहार व्यवहार के प्रति सतर्कता भी इस त्योहार के केंद्र में है ।

इसी अमृत कलश को लेकर प्रकट हुए थे भगवान धन्वंतरि । गरुड़ पुराण की एक कथा के अनुसार महर्षि नारद के एक प्रश्न के उत्तर में भगवान विष्णु ने कहा था कि वह धनवंतरी अवतार में आयुर्वेद से समस्त प्राणियों को स्वास्थ्य का मार्ग दिखाएंगे ।

धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी के साथ धन के देवता कुबेर के भी पूजन का विधान है तथा इन दोनों का एक साथ पूजन करके हम अपने जीवन में अन्य धन संपदा के स्वास्थ्य अपने स्वास्थ्य धन के लिए भी आशीर्वाद मांगते हैं । कारण – स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है और बिना अच्छे स्वास्थ्य के जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करना उतना ही कठिन है जितना मनुष्य रूप में जीवन की परम गति को प्राप्त करना आवश्यक ।

इस दिन का महत्व धनुर्वेद के अनुसार है, जो कि धन, समृद्धि, और धर्म को समर्पित है। इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है और धनतेरस के मौके पर लोग नए धन, सोने, चांदी या सोने के आभूषण खरीदते हैं।

उम्मीद है कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को जगत कल्याण के लिए अमृत और स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद लेकर प्रकट होने वाले भगवान विष्णु के अनुसार अवतार भगवान धन्वंतरि तथा की दीपोत्सव दीपावली के पांच पर्वों की श्रृंखला का पहला पर्व धनतेरस मनाने से संबंधित कुछ जानकारी आपको मिली होगी ।

वर्ष 2023 का ये धनतेरस एवं दीपावली आपके तथा आपके परिवार के जीवन में सभी कामनाओं की पूर्ति करें इसी शुभकामना के साथ

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