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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध |Beti bachao Beti padhao

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मूल रूप से इस बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध में आपकों इसी नाम से चल रही योजना के अतिरिक्त स्त्रियों की वर्तमान स्थिति , उनकी सामाजिक महता सहित अन्य तथ्यों के बारे में पढ़ने को मिलेगा । चलिए शुरू करते हैं निबंध –

समाज एवं  मानव के अस्तित्व को बरकरार रखने में स्त्री और पुरुष  दोनों की अहम सहभागिता है । स्त्रियों के बिना धरती पर मानव जीवन की संकल्पना ही निराधार साबित होगी । हमारी संस्कृति में तो स्त्रियों को महान और देवी के समान बताया गया है । ग्रंथों  में कहा गया है – 

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यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः

अर्थात :- जिस स्थान पर नारियों का सम्मान होता है वहाँ देवताओं का निवास होता है और जहां उनका सम्मान नहीं होता वहाँ किए गए सारे कर्म निष्फल हो जाते हैं । ऐसे सूत्र वाक्यों से सारे ग्रंथ भरे पड़े हैं ।

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लेकिन स्त्रियों के अस्तित्व को इस स्तर पर स्वीकार करने वाले इसी देश में स्त्रियों की वर्तमान सामाजिक स्थिति क्या है ? यह एक सोचनीय और समयोचित प्रश्न है ।

वर्तमान में भी जहां देश के अनेक हिस्सों मे बेटियों को शिक्षा के अधिकार से वंचित रखा जा रहा है वहीं स्त्रियों पर शारीरिक प्राताड़ना , अत्याचार, उत्पीड़न और बलात्कार, की खबरों से अखबारों के पन्ने भरे रहते हैं । दहेज की मांग भी जस का तस है… और तो और बेटियों की भ्रूण हत्या भी पूरी तरह बंद नहीं हुई है ।

हमारे सामाजिक जीवन में स्त्री और पुरुष दोनों की ही बराबर भागीदारी है। बेटियों की घटती संख्या देश और समाज के लिए चिंता का विषय है, परन्तु कुत्सित मानसिकता से ग्रसित समाज स्त्री के अस्तित्व को पूर्णता में अपनाने से डरता है । 

इसका एक कारण यह भी है कि कुछ मलिन मानसिकता के लोगों का मानना है कि यदि जो कार्य पुरुष कर रहे हैं , वहीं कार्य स्त्रियां भी करने लगीं तो समाज मे पुरुषों का प्रभुत्व कम हो जाएगा।

इसी मानसिकता को सुधारने, पुरुष महिला लिंगानुपात के संतुलन को बनाने, समाज की स्त्रियों के प्रति व्यावहारिक सोच एवं व्यवहार मे परिवर्तन लाने व देश में स्त्री को शिक्षित तथा आत्मनिर्भर बनाने के उदेश्य से भारत सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नामक योजना की शुरुआत की है।

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हमारे देश में लगातार घटती कन्या शिशु दर को रोकने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई है। किसी भी देश के लिए मानव संसाधन के रूप में स्त्री और पुरुष दोनों समान रूप से महत्वपूर्ण होते हैं।

हमारे देश एवं समाज में पुत्र से ही मुक्ति के विचार एवं बेटी को पराया धन समझने की सोच से अभिप्रेरित  पुत्र प्राप्ति की इच्छा ने बहुत विकट स्थिति पैदा कर दी है। जिसकी वजह से इस तरह‌ की योजना चलाने की जरूरत महसूस की गई । 

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान केवल एक योजना या अभियान मात्र नहीं है अपितु यह लोगों की सोच में बदलाव से जुड़ा हुआ एक बड़ा सामाजिक आंदोलन भी है। हम सभी को मिलकर इस क्षुद्र और मलिन सोच को बदलना है । यह काम बहुत बड़ा और मुश्किलों से भरा है । 

इस योजना का मकसद केवल बेटियों की संख्या में वृद्धि करना ही नहीं है बल्कि बेटियों और स्त्रियों के खिलाफ हो रहे सामाजिक अपराधों को रोकना भी इस अभियान का एक बड़ा उद्देश्य है। 

यह तो सभी जानते हैं कि जितना हमारा देश विकास  के पथ पर प्रगति करता जा रहा है । महिला अधिकार और महिला सुरक्षा और अधिक प्रासंगिक विषय   बनता जा रहा है । देश जहां तकनीकी सहित अन्य क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है वहीं महिलाओं के खिलाफ अपराध में भी वृद्धि हो रही है ।

जरा सोचिए महिलाओं के बिना हमारा समाज कैसा होगा या समाज होगा भी कि नहीं ! धरती पर जीवन का अस्तित्व व्यापक अर्थों में महिलाओं से जुड़ा हुआ है । तनिक सोचने मात्र से तस्वीर साफ हो जाएगी  ।  तस्वीर खुद ब खुद आपके सामने आ जाएगी।

मित्र ,पूरी दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं है जो कि स्त्री नहीं कर सकती। आधी आबादी की भागीदारी के बिना हम कौन सा विकास और किसका विकास करेंगे ।  देश की उन्नति समाज से और समाज की उन्नति व्यक्ति से जुड़ा हुआ है ।

देश के विकास के लिए भी स्त्रियों की भागीदारी अपने आप में अहम है । हमारे देश में अलग-अलग क्षेत्रों में प्रतिदिन लड़कियां उभर कर सामने आ रही हैं। विभिन्न क्षेत्रों में देश का नाम रोशन कर रही हैं।

योजना का शुभारंभ

इस योजना का शुभारंभ 2015 में हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने हरियाणा के पानीपत जिले से किया था । इसका मुख्य उद्देश्य देश में लैंगिक संतुलन को बनना एवं बेटियों  के शिक्षण-प्रशिक्षण की समुचित व्यवस्था करना है ।

नारियों के विरुद्ध हो रहे अत्याचार को समाप्त करना एवं नारी सशक्तिकरण के लिए नियम और योजनाओं को धरातल पर उतारना है ।  इस योजना का उद्देश्य स्त्रियों की गरिमा, शिक्षण,स्वतंत्रता, अस्मिता, कौशल व सम्मान के लिए प्रयत्न करना व कुरीतियों को खत्म करना है। 

विज्ञान का दुरुपयोग

आज के समय में जितना विज्ञान हमारे लिए वरदान है उतना अभिशाप भी है। मेडिसिन में तकनीकी प्रगति एवं दवाइयां मनुष्यों के हित के लिए बनाई गई हैं । लेकिन कई जगहों पर इसका दुरुपयोग हो रहा है।

 इसका सबसे बड़ा उदाहरण अल्ट्रासाउंड और सोनोग्राफी मशीन है। जिसके चलते गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग पता किया जा सकता है। इसकी वजह से अक्सर गर्भ में पल रही बच्ची के बारे में पता चलते ही कई लोग उस नन्ही जान को दुनिया में आने से पहले ही मार देना चाहते हैं। यह गलती विज्ञान की नहीं है। यह गलती विज्ञान को ग़लत तरह से उपयोग करने वालों की है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का इतिहास

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नामक इस निबंध में आगे पढिए इस योजना के लिए सहयोग प्रदान करने वाले मंत्रालयों के बारे में ।

1- यह योजना भारत सरकार के तीन मंत्रालयो के आपसी सहयोग  के आधार पर बनाई गई थी।

  • (क)- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
  • (ख)- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
  • (ग)- शिक्षा मंत्रालय (पूर्व में मानव संसाधन विकास मंत्रालय)

2- 2015 में इस योजना को देश भर के 100 जिलों में लागू किया गया था। इसमें अधिकतर जिले वो थे जहां स्त्रियों की स्थिति दयनीय थी। इसमे सबसे अधिक 12 जिले हरियाणा राज्य के थे,जबकि 11 पंजाब के। कुछ समय बाद इसे और 61 जिलों में लागू कर दिया गया था।

3- 2015 में इस योजना के निर्माण के साथ ही भारत सरकार ने इस योजना के लिए 100 करोड़ का फंड दिया था।

4- 2016 के ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली साक्षी मलिक को इस योजना का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया।

5- 2019 के बाद इस योजना को समस्त प्रदेशो के सभी जिलों में लागू कर दिया गया है।

बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ के अंतर्गत मुख्य योजनाएं

  1. सुकन्या समृद्धि योजना
  2. बालिका समृद्धि योजना 
  3. लाडली लक्ष्मी योजना
  4. कन्याश्री प्रकल्प योजना
  5. धन लक्ष्मी योजना

बेटी बचाओ व बेटी पढ़ाओ की मुख्य रणनीतियां

  • जिला पंचायत व ग्राम पंचायत जैसे लोकल सरकारी विभागों को समाज सुधार के लिए प्रशिक्षण देना।
  • लिंग के आधार पर सामाजिक भेदभाव करने वाले लोगों के विरुद्ध उचित  नियम बनाना।
  • पुत्री के जन्म के लिए लोगों को जागरूक करना, तथा पुत्री को शिक्षा का अधिकार दिलाना।
  • गैर सरकारी संस्था तथा अन्य संस्थाओं के द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को बढ़ावा दिलाना।
  • स्थानीय  जनता को नए तरीकों से जागरूक करना।
  • शहरों व गांवों में लोगों को लिंगानुपात के प्रभाव और महत्व के  विषय में समझाना।
  • लिंगानुपात के नकारात्मक प्रभाव से ग्रसित जिलों पर ध्यान रखकर वहाँ की स्थिति में सुधार करने तथा ऐसे जिलों की संख्या कम करने के उपाय ढूंढना।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के कुछ पहलु

✓ देश की हर लड़की को शिक्षा का सामान अधिकार और शिक्षा के लिए उसको प्रेरित करना। शिक्षा बालिकाओं के  भविष्य लिए एक बुनियादी पहलु है।

✓ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के अभियान के तहत युवाओं को इस तरह की शिक्षा देना कि वह महिलाओं के सम्मान और उनके अधिकारों के लिए बात करें।

✓ बेटी बचाओ बेटी बचाओ अभियान में बालिकाओ के गिरते लिंगानुपात के लिए जरुरी कदम उठाना।

✓ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में बेटियों को अच्छी शिक्षा देना एवं सभी बालिकाओं को शोषण से बचाने और उन्हें सही और गलत की जानकारी देना है।

✓ शिक्षा के साथ अन्य क्षेत्रों में भी लड़कियों की भागीदारी बढ़ाना और सभी बालिकाओं को विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ने की शिक्षा देना भी इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है।

✓ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में देश की सभी बालिकाओं के लिए सुरक्षात्मक वातावरण को बढ़ावा देना भी बहुत अहम है।

राज्य में अभियान के परिणाम

2015 में स्त्रियों की अस्मिता से जुड़ा यह अभियान राज्यों में अपने मूल उद्देश्य को पूर्ण करने में सफल रहा। अभियान के 6 साल बाद अभियान से जुड़े कुछ बेहतरीन परिणाम सामने आए। ऐसे राज्य जहां स्त्रियों और पुरुषों का लिंग अनुपात मे अधिक अंतर था वह अंतर 2021 में कम होता दिखाई दिया।

2014-15 में प्रति 1000 पुरुषो में स्त्रियो की संख्या 917 थी। जबकि 2019-20 में स्त्रियों की संख्या 917 से बढ़कर 933 हुई।

लिंगानुपात की समस्या से ग्रसित कुछ प्रदेश हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश आदि के लिंगानुपात मे सुधार देखने को मिला है। हरियाणा में 876 से ब़़ढकर 924, चंडीग़़ढ में 874 से 935, उत्तर प्रदेश में 885 से 928, पंजाब में 892 से 920, हिमाचल प्रदेश में 897 से 933, राजस्थान में 929 से ब़़ढकर 948 हुआ है । कुछ राज्यों मे यह अनुपात नीचे भी गया है परन्तु समाज मे अभियान के प्रति जागरूकता को देखते हुए लगता है कि उन राज्यो मे भी इस अभियान का उद्देश्य जल्द ही सफल होता दिखाई देगा । 

प्रेरणादायक बेटियां

भावना कंठ , अवनि चतुर्वेदी, मोहना सिंह, दीपा करमाकर, साक्षी मालिक, पूजा बिश्नोई, मिताली राज, हरमनप्रीत कौर, गीता फोगाट, बबीता फोगाट, साइना नेहवाल, पी.वी. सिंधु, मैरी कॉम, किरण वेदी, पी.टी. उषा, प्रतिभा पाटिल, कल्पना चावला, आदि अनेक महिलाओं  की सफलता ने  समाज के नजरिए को बहुत बदला है । इन सफल महिलाओं का उभार, इनकी स्वीकृति और लोकप्रियता को  नारी सशक्तिकरण के लिए किए जा रहे प्रयासों की सफलता का मानक कहा जा सकता है ।

उपसंहार

केंद्र सरकार के इस अभियान में प्रत्येक राज्य एवं जिलों ने हिस्सा लिया तथा राज्य के मुख्यमंत्री एवं जिलों के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने अपने अपने स्तर पर  राज्यों और जिलों में विभिन्न योजनाएं प्रारंभ की। जिसका एक बड़ा असर प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना में दिखा जिसमें शिक्षा से वंचित रह गई महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया तथा सिलाई, संगीत और  कला के रूप में नये कौशल प्राप्त कर खुद को आत्मनिर्भर बना सम्मान प्राप्त करने की लड़ाई लड़ी।

 देशवासियों के समर्थन व स्त्रियों के साहस ने इस अभियान को एक सोच के रूप में समाज में विकसित कर दिया है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान लोगों को जागरूक करने के लिए है । आगे इस योजना के दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे और सच में समाज स्त्रियों के अस्तित्व और उनकी आँकक्षाओं को पूर्णता में स्वीकार करेगा ।


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विचारक्रान्ति के लिए
लेखिका – अंशिका जौहरी

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VicharKranti Editorial Team
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