ingredient-of-success,vicharkranti.com

सफल होने के लिए सही मार्गदर्शन आत्मविश्वास और अभ्यास है जरूरी

Written by-आर के चौधरी

Updated on-

सफल कौन नहीं होना चाहता? हम सभी के भीतर मौजूद होती है कुछ larger than life, कुछ बड़ा करने की चाहत.ये अलग बात है कि क’र, बहुत कम आदमी पाता है !  सही मार्गदर्शन ,स्वयं पर विश्वास और गुरु के इशारे पर अभ्यास आपकी जिंदगी में क्या परिवर्तन कर सकता है? जानना चाहते है ? आज एक कहानी हम आप से शेयर करना चाहते है,जिसे लगभग कुछेक साल पहले हमने पढ़ा था. आप भी पढ़िए..अंत तक

एक हाथ वाला जुडो चैंपियन

यह कहानी है जापान के एक बच्चे की… बच्चा जब 10 वर्ष का हुआ तो किसी हादसे में उसने अपना बाया हाथ गंवा दिया. उसे Judo सीखने की बहुत इच्छा थी. लगातार अपने माता-पिता से अनुरोध करता, कि उसे Judo सीखना है लेकिन उसकी शारीरिक अक्षमता को सोचकर उसके पिता उसे जूडो(Judo) नहीं सीखने देना चाहते थे. 

समय बीतता गया और बच्चे का यह अनुरोध जिद में बदल गया. हारकर पिता ने उसे जूडो क्लास ज्वाइन करवाने के लिए
हामी भर दी. पिता बच्चे को लेकर अपने आसपास के प्रसिद्ध Judo सिखाने वाले गुरुओं के पास गए. चूकि जूडो एक ऐसा खेल है जिसमें शारीरिक बल और कौशल की जरूरत ज्यादा पड़ती है, हर बार गुरुओं को उस बच्चे की अक्षमता नजर आ जाती  और वह उसे अपने यहां लेने से मना कर देते. 

पिता पुत्र काफी परेशान हो गए. उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिरकार बच्चे के सपनों को पंख कैसे लगेंगे? लेकिन एक कहावत है ना जहां चाह वहां राह. अंत में उन्हें एक गुरु मिल गया, जिसने उस बच्चे को अपने आश्रम में प्रशिक्षित करने का आग्रह स्वीकार कर लिया. 

लेकिन गुरु ने उस बच्चे के पिता से इस बात की अनुमति ले ली थी, कि उनका बच्चा अपने प्रशिक्षण के दौरान गुरु से किसी प्रकार का प्रश्न नहीं पूछेगा. पिता और पुत्र दोनों ने इसके लिए अपनी स्वीकृति भी दे दी. मरता क्या नहीं करता ? क्योंकि उन्हें कोई गुरु मिल नहीं रहा था. 

गुरु ने बच्चे को अपने शिष्य के रूप में स्वीकार करने के बाद उससे एक खास Move सिखाया. बच्चा उसी का अभ्यास करता रहा दिन सप्ताह और महीने बीतते गए.साल बीत गया. बच्चे के मन में कभी-कभी शंकाओं की तरंगे उठ भी जाती, लेकिन उसने अपने गुरु के प्रति अपने आप को समर्पित कर दिया था.  समर्पण से उत्पन्न विश्वास की नौका पर सवार होकर वह उसी अभ्यास को लगातार करता रहा. 

एक दिन गुरु आए और उन्होंने बच्चे का हाथ थामा और कहा-“चलो जूडो प्रतियोगिता में चलते हैं.” बच्चा अपने गुरु के पीछे पीछे चल पड़ा. प्रतियोगिता आरंभ हुई बच्चे ने पहली, दूसरी, तीसरी प्रतियोगिताओं में विजय प्राप्त करते हुए फाइनल में प्रवेश कर लिया. जहां उसका प्रतिद्वंदी काफी हट्टा कट्टा और तगड़ा था. 

इस प्रतियोगिता में वह बुरी तरह घायल भी हुआ. एक आध बार तो निर्णायक को बीच में आकर मैच को रोकना भी पड़ गया. निर्णायक को लगा कि दोनों के बीच में बहुत अंतर है और कहीं यह तगडा प्रतिद्वंदी इसकी ,इस बच्चे की जान ना ले ले. .

बच्चा चोट खाकर गिरता लेकिन गिरते ही उसे याद आ जाती गुरु की वह बात , जिसमें उन्होंने उस बच्चे को बताया था कि अपने ऊपर भरोसा रखना है और हर बार गिरकर उठना है. असहय पीडा के बाबजूद वह बच्चा खडा हो जाता . ऐसा बहुत देर तक होता रहा अंत में एक बार उसका प्रतिद्वंदी झल्ला कर उस पर आक्रमण किया. 

बच्चे को यहां मौका मिल गया गुरु द्वारा बताए गए एकमात्र चाल(move) को प्रयोग में लाने का. उसने अपने चाल(move) का प्रयोग किया, तगड़ा पहलवान पछाड़ खाकर गिर पड़ा फिर उसकी उठने की हिम्मत नहीं हुई. अंततः यह बच्चा चैंपियन साबित हुआ. 

प्रतियोगिता स्थल से जब गुरु और शिष्य अपने आश्रम की तरफ लौट रहे थे, तो इस शिष्य से रोका नहीं गया .उसने अपने गुरु से प्रश्न किया-” गुरुजी मेरे साथ ऐसा आश्चर्य कैसे हो गया. आपने मुझे सिर्फ और सिर्फ एक ही चाल बताइ और मैं इतने बड़े-बड़े प्रतिद्वंद्वियों को धूल चटा कर विजेता बन गया?”

गुरु ने उत्तर दिया-” बेटा जिस दिन तुम हमारे पास सीखने के लिए आए थे. मैंने तभी तुम्हारी कमजोरी को पहचान लिया. फिर सोच समझकर तुझे ऐसी चाल का अभ्यास करवाया कि तुम्हारी कमजोरी तुम्हारी सबसे बड़ी ताकत बन जाए. जिस दाव से तुम ने अपने प्रतिद्वंदी को पटखनी दी. उसका एकमात्र काट यही था कि वह तुम्हारी बाएं हाथ को पकड़कर तुम्हारी चाल से खुद को बचा सके.उसके पास ऐसा करने का कोई विकल्प नहीं था.”

शिष्य भाव-विह्वल हो गया उठा उसके आंखों से आंसुओं की धारा बह चली.वह बस सोचता ही जा रहा था -“कल तक जिस कमजोरी की वजह से लोग उसे अपने पास प्रशिक्षित नहीं करना चाहते थे आज वह उसके लिए विजेता बनने का कारण बन गया.”

सफल होने के सूत्र:-

हरेक पत्थर में भगवान बनने की संभावना है लेकिन वह अपने गंतव्य पर पहुंचेगा की नहीं यह उस शिल्पी की दक्षता और निष्कलुष भाव पर निर्भर करता है जिस के हाथ में वो पडा है.अगर जीवन में ऊंचाइयों को छूना चाहते है तो तलाशिये उस शिल्पी को जो लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए आपका ही इंतजार कर रहा है..

Friends इस दुनिया में कोई भी इंसान सर्वगुण संपन्न नहीं है. अपूर्णता ही हमारी जीवन को दिशा देने वाला एक inspiring factor भी है. लेकिन अपनी सीमाओं को हमने अगर अपनी कमजोरी मान लिया तो हम उस महान कार्य को कभी नहीं कर पाएंगे जो करने के लिए हमको यहां भेजा गया है. अंग्रेजी में खूबसूरत कहावत है ना God never creates Garbage. 

अपने इरादों को मजबूत करिए,हौसले को बड़ा करिए,जुनून को थोड़ा और बढ़ाइए, अपने ऊपर विश्वास कीजिए और ऊपर वाले पर भरोसा रखिए. एक दिन ऐसा भी आएगा जब कामयाबी की मंजिल आपकी कदमों में होगी. 

इस संसार का हर एक बच्चा ऐसी ही अप्रतिम कामयाबी का हकदार है. अपने सपनों के कैनवास पर सुंदर चित्र उकेरने का नैसर्गिक अधिकार सबको है. परंतु आवश्यकता है,उन्हें अपने सपनों के शिखर को पाने के लिए उचित एवं कुशल मार्गदर्शन की. एक गुरु की. अगर आप अपने जीवन में अद्भुत करना चाहते हैं तो तलाश करिए एक ऐसे गुरु की जो वाकई आपको सपनों की मंजिल से रूबरू कर सके.

आप अपने जीवन में और कामयाबी हासिल कर पाए इन्हीं प्रार्थनाओं के साथ फिर मिलेंगे…

Leave a Comment

Related Posts