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2022 में रक्षाबंधन कब है और क्यों मनाते हैं रक्षा बंधन ?

Written by-Khushboo

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vicharkranti.com के इस लेख में बात इस साल रक्षा बंधन के शुभ मुहूर्त, रक्षाबंधन कब है (rakshabandhan kab hai) का एवं क्यों मनाते हैं रक्षाबंधन के विषय में संक्षिप्त परंतु सारगर्भित तथ्यों की । चूंकि रक्षाबंधन कब है के विषय में इस बार काफी कन्फ़्युजन है तो हमने सोचा कि आप जैसे अपने प्रिय पाठकों के लिए क्यूँ न इस समस्या का समाधान कर दिया जाए ।

हमारी संस्कृति में व्यक्ति से बढ़कर परिवार और परिवार से बढ़कर समाज को महत्व दिया जाता है । हम भारतीय लोग संबंधों को जीने वाले लोग हैं। संबंधों की सहज अनुपालना और समुचित सम्मान हमारी आत्मा में रचा बसा है । हमारा जीवन संबंधों की मर्यादाओं से होकर ही अपने गंतव्य तक पहुंचता है।

इन संबंधों में भाई बहन का संबंध अद्भुत पवित्र प्रेममय संबंध है । रक्षाबंधन भाई-बहन के इसी अनोखे संबंध की उत्सवधर्मिता को मनाने वाला पर्व है । जिसे हमार समाज बहुत प्राचीन काल से मनाता चला आ रहा है ।

आगे बढ़ने से पहले जान लेते हैं “इस वर्ष 2022 में कब मनाया जाएगा रक्षाबंधन को ” के विषय में

रक्षा बंधन 2022 शुभ मुहूर्त | Raksha Bandhan 2022 Date


वैसे तो प्रत्येक मास की पूर्णिमा को हमारी धर्म संस्कृति में किसी न किसी उत्सव के रूप में ही मनाया जाता है लेकिन रक्षाबंधन को हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।

हिन्दू पंचांग व कैलेंडर के विषय में अधिक जानने के लिए पढिए vicharkranti.com पर यह लेख

रक्षा बंधन 2022 शुभ मुहूर्त

विभिन्न पंचांग के अनुसार सावन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त से शुरू होकर 12 अगस्त को सुबह 7:06 तक रहने वाली है। लेकिन 11 अगस्त को पूर्णिमा शुरू होते ही भद्रा काल का योग बन रहा है। इसलिए अधिकांश विद्वान लोग 12 तारीख को ही रक्षाबंधन मनाने का विचार दे रहे हैं। भद्रा काल के विषय में पढिए आगे ..

हालांकि पूर्णिमा तो केवल 7 बजे सुबह तक रह रहा है 12 तारीख को, लेकिन उदयकाल के हिसाब से इसे पूरा दिन माना जा सकता है । 12 अगस्त को धनिष्ठा नक्षत्र के साथ सौभाग्य योग एवं सिद्ध योग भी विद्यमान रहेंगे। इस उत्तम संयोग में 12 अगस्त को राखी बांधने से ऐश्वर्य और सौभाग्य की वृद्धि होगी ऐसा विभिन्न आचार्यों का कहना है ।

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भद्रा काल में रक्षा बंधन क्यों नहीं

भद्रा काल में रक्षा बंधन या कोई अन्य मांगलिक कार्य नहीं करने के पीछे कुछ पौराणिक कथाएं हैं। ऐसी एक कथा में बताया गया है की लंकापति रावण की बहन ने उसकी कलाई पर राखी भद्रा काल में ही बांधी थी और 1 वर्ष के अंदर रावण के पूरे साम्राज्य का नाश हो गया।

प्रचलित मान्यताओं के अनुसार भद्रा शनिदेव की बहन हैं और उन्हें ब्रह्मा जी से प्राप्त शाप के कारण भद्रा काल में की गई किसी भी शुभ मांगलिक कार्य का परिणाम अशुभ ही प्राप्त होगा। इसलिए विभिन्न ज्योतिष आचार्यों ने भद्रा काल में रक्षाबंधन करने की मनाही की है ।

पौराणिक आख्यान(rakshabandhan essay in hindi)

अब संक्षेप में आपको जानकारी दे देते हैं रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं कि विषय में । रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति में बहुत प्राचीन काल से मनाया जाता रहा है। इसके आरंभ के पीछे कई सारी पौराणिक कथाएं हैं तथा इससे कुछेक ऐतिहासिक घटनाएं भी जुड़ी हुई हैं। इस तरह यह रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति का, तथा दुनिया में अपने आप में एक अनूठा त्यौहार है,जहां भाई बहन के पवित्र सम्बन्ध को एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है ।

रक्षाबंधन मनाने के प्रमुख पौराणिक आख्यान मुख्य रूप से तीन है जिसकी चर्चा हम नीचे कर रहे है-

प्रसंग I-देवासुर संग्राम

सबसे पहला प्रसंग देवासुर संग्राम से है। भविष्य पुराण की एक कथा के अनुसार देवासुर संग्राम में वृत्रासुर से युद्ध में देवराज इंद्र को पराजय से बचाने के लिए उनकी पत्नी इंद्राणी शची ने उनके हाथ में अपने तपोबल से अभिमंत्रित कर एक रक्षा सूत्र बांधा था , इस युद्ध में इंद्र विजय हुए। यह घटना सतयुग की है। जिस दिन शची ने इंद्र के हाथ में रक्षा सूत्र बांधा था वह श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था , तभी से रक्षाबंधन का त्यौहार मानाने की परंपरा है।

प्रसंग II -कृष्ण और द्रौपदी का प्रसंग

रक्षाबंधन से संबंधित दूसरा आख्यान भगवान श्री कृष्ण से संबंधित है। भगवान कृष्ण ने जब शिशुपाल का वध किया तो सुदर्शन चक्र चलाते समय उनके दाएं हाथ की तर्जनी उंगली कट गई। श्री कृष्ण की घायल उंगली को द्रौपदी ने अपनी साड़ी से एक टुकड़ा फाड़कर बाँध दिया था । इस उपकार के बदले श्री कृष्ण ने द्रौपदी को किसी भी संकट मे सहायता करने का वचन दिया था। भगवान कृष्ण ने चीर हरण में द्रौपदी की रक्षा कर अपने वचन का मान रखा था।

प्रसंग III-राजा बलि व माता लक्ष्मी की कथा

रक्षाबंधन से जुड़ा तीसरा प्रसंग श्रीमद् भागवत तथा पद्म पुराण के अनुसार राजा बलि से जुड़ा हुआ है ,जो पहलाद के पौत्र थे। भगवान विष्णु स्वयं वामन अवतार लेकर उनसे भिक्षा मांगने आए। राजा बलि ने गुरु शुक्राचार्य द्वारा मना करने के बावजूद उन्हें दान दिया । जिसमें भगवान विष्णु ने अपने दो पग में धरती और आकाश को नाप लिया तीसरे में राजा को नापकर उसे पाताल लोक का राजा बना दिया।

पाताल लोक में राजा बलि ने भगवान विष्णु की घोर तपस्या की और उनसे सदा-सर्वदा अपने साथ रहने का वर मांगा भगवान ने यह वर दे दिया। जब काफी दिनों तक वह अपने घर गोलोक नहीं पहुंचे तब नारद की मदद से माता लक्ष्मी राजा बलि के पास पहुंची । उसे रक्षा सूत्र बांधकर अपना भाई बनाया तथा अपने पति भगवान विष्णु को मुक्त करा अपने साथ ले गयी। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी।

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ऐतिहासिक प्रसंग

इसके साथ ही यदि ऐतिहासिक प्रसंगों की बात करें ऐतिहासिक घटनाओं की बात करें तो सिकंदर और राजा पुरू  का प्रसंग , रानी कर्णावती और हुमायूं  का प्रसंग जिसमें रानी कर्णावती ने तत्कालीन गुजरात के शासक बहादुर शाह के खिलाफ संघर्ष के लिए हिमायू से सहयोग मांगा था।  1905 का बंग भंग आंदोलन में रविंद्र नाथ टैगोर के आह्वान पर हिंदू मुसलमानों ने दूसरे को राखी बांधकर बंगाल के विभाजन का विरोध किया था , प्रमुख हैं ।

लेकिन इस पर्व को मनाने के पीछे मुख्य रूप से सांस्कृतिक तथ्य व कारण ही महत्वपूर्ण हैं , ऐसा कहने में हमें कोई संकोच नहीं है ।


उम्मीद है यह लेख आपके लिए उपयोगी रहा होगा और इससे आपको ‘रक्षाबंधन कब है ‘ के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली होगी। इस रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं विषयक लेख पर अपने विचार नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर हम तक से जरूर भेजें ।

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