ब्लॉगर के लिए इनकम टैक्स रिटर्न

Written by-Khushboo

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अभी इनकम टैक्स भरने का समय है तथा उचित माध्यमों से अर्जित किए गए धन के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना हम सभी भारतवासियों का एक कर्तव्य है । ऐसे में हमने एक ब्लॉगर अथवा डिजिटल कंटेंट क्रिएटर को इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax for bloggers India)कैसे फाइल करना है ? विषय पर हल्की रोशनी डालने की कोशिश की है ।

हालांकि अमूमन ब्लॉगर्स को इनकम टैक्स भरने की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि भले ही ब्लॉगर या वीडियो ब्लॉगर बनने का सिलसिला अभी Trend में हो लेकिन ब्लॉग से अच्छी आमदनी करने वाले लोगों की संख्या बहुत कम है । मेरी जानकारी व अनुभव के आधार पर मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि ब्लॉग से कमाने के बजाय लोग ब्लॉगिंग कैसे करते हैं (how to blog) पर काम करके ज्यादा कमा रहे हैं ।

अब ब्लॉगर बन के तो नहीं कमाया जा सकता है इसलिए ब्लॉगर बनवा कर कमाने का धंधा चल पड़ा है और संबंधित क्षेत्रों के बहुत सारे एफिलिएट कमिशन वगैरह एक नामी ब्लॉगर को बहुत वित्तीय लाभ दे रहें हैं ।

एक तो यह क्षेत्र saturate हो चुका है और दूसरा न्यूज़ चैनल जैसी बड़ी संस्थाओं ने पूरे इकोसिस्टम को अपनी गिरफ्त में ले रखा है । ऐसे में भले ही 97% से अधिक ब्लॉगर सिवाय पैसा और समय खर्च करने के कुछ भी नहीं कमा पा रहे हो लेकिन दो-तीन पर्सेंट लोग ठीक-ठाक आमदनी कर ले रहे और गिनती के कुछ लोग अच्छा भी कमा रहे हैं ।

ऐसे में ब्लॉगिंग से थोड़ी बहुत आमदनी करने वाले लोगों के लिए यह लेख किंचित अर्थों में ही सही लेकिन उपयोगी जरूर होगा । इनकम टैक्स भरकर एक तो हम अपने कर्तव्य का निर्वहन करेंगे, अपने दबाव को घटाएंगे तथा यदि आय निर्धारित सीमा से अधिक है तो नियमानुसार देश के विकास में अपना योगदान भी देंगे…..

मुद्दे पर आने से पहले थोड़ा जानिए कि आखिर blogger होता कौन है

Blogger कौन है ?

ब्लॉग सूचना प्रदान करने का एक स्वतंत्र जरिया है जहां पर ब्लॉगर अपने विचार अनुभव तथा अवलोकन को अपने पाठकों के साथ साझा करता है । सामान्य रूप से ब्लॉग (content + Audio Visuals ) पर नियमित रूप से किसी खास विषय पर या फिर मिश्रित विषयों पर आर्टिकल्स प्रकाशित किए जाते हैं ।

एक ब्लॉगर या डिजिटल कंटेन्ट क्रीऐटर के लिए आय के मुख्य स्रोत को इन 4 बिंदुओं में समझा जा सकता है

एफिलिएट सेल विज्ञापन, पेड रिव्यू तथा अन्य

  1. एफिलीएट सेल
  2. विज्ञापन
  3. पेड रिव्यू और
  4. अन्य

Bloggers के लिए आय के प्रमुख स्त्रोत

एफिलीएट सेल

बहुत सारे ब्लॉगर अपना ब्लॉग प्रोडक्ट अथवा सर्विस के आसपास फोकस रखते हैं । वे लगातार विभिन्न उत्पादों से संबंधित इनफॉरमेशनल और ट्रांजैक्शनल विषयों को लक्ष्य करके आर्टिकल लिखते हैं तथा इन्हीं आर्टिकल्स में संबंधित उत्पादों अथवा सेवाओं की खरीददारी के लिए affiliate purchase link भी डालते हैं ।

जब कोई श्रोता दर्शक अथवा पाठक इनके द्वारा दिए गए एफिलिएट लिंक पर क्लिक करके कोई सामान खरीदा है तो उस सामान के मूल्य का कुछ प्रतिशत कमीशन के रूप में इन content creator के हिस्से में भी आता है । हालांकि इसके लिए खरीदने वाले को कोई अतिरिक्त भुगतान नहीं करना पड़ता ।

पेड रिव्यू

एक जमाने में जहां आम लोगों तक अपने उत्पाद की जानकारी पहुंचाने के लिए कंपनियां फिल्म अभिनेताओं और क्रिकेटर को अपने ब्रांड प्रमोशन के लिए बुलाते थे वही सोशल मीडिया के इस दौर में social influencers का दबदबा बढ़ा है ।

विभिन्न कंपनियां अपने उत्पाद को ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों के सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर का यूज कर रही हैं । जहां एक एडवरटाइजमेंट के लिए किसी एक्टर या क्रिकेटर को हायर करने में कंपनी को करोड़ों रुपए देने पड़ते हैं वही एक इनफ्लुएंसर कुछ लाख या जो छोटे influencer है वह कुछ हजार में ही उनका रिव्यू तथा प्रोमोशन करने के लिए तैयार हो जाते हैं ।

विज्ञापन

ब्लॉगर के लिए सबसे प्रचलन में एवं सबसे आसान आय का जरिया ऐड प्लेसमेंट ही है । ब्लॉग विभिन्न सेवाओं व उत्पादों के प्रचार का एक जरिया बनता है तथा कंपनियां उस एड स्पेस का उपयोग अपने प्रोडक्ट का विज्ञापन के लिए करती हैं । बदले में एक बहुत ही साधारण सी छोटी रकम ब्लॉगर को भी थमा दिया जाता है जो आज भी भारत में कुछ पैसों से लेकर कुछ रुपए तक है ।

कुछ बहुत प्रचलित ऐड नेटवर्क है Adsense, Ezoic आदि आदि

अन्य

ऊपर बताए गए तीन तरीकों के अतिरिक्त किसी भी ब्लॉगर या डिजिटल कंटेंट क्रिएटर के लिए आय का मुख्य साधन संबंधित क्षेत्र के विषय में उसका ज्ञान भी हो सकता है । अच्छी जानकारी हो जाने के बाद कंटेंट क्रिएशन के क्षेत्र में या ब्लॉगिंग या डिजिटल मार्केटिंग के क्षेत्र में एक फ्रीलांसर अथवा कंसल्टेंट के रूप में भी अपनी सेवाएं देकर अच्छी आमदनी की जा सकती है ।

अब जान लेते हैं इनकम टैक्स के बारे में थोड़ी बहुत बातें-

Tax के मुख्य बिन्दु

जिस तरह से हमने ब्लॉगिंग के प्रमुख आय के स्रोतों का जिक्र ऊपर किया है उसे इनकम टैक्स एक्ट में बताए गए इन हेड के अंतर्गत समायोजित किया जा सकता है ।

व्यापार अथवा व्यवसाय से आय ( Income From Business/Profession )

कुल आय में से लाभ और हानि की गणना करते हुए अपनी नेट आय पर आपको इनकम टैक्स का भुगतान करना होता है ।… और आप अपने नेट आय की गणना अपने कुल राजस्व एवं खर्च को ध्यान में रखते हुए करेंगे ।

स्वीकार्य व्यय

ब्लॉगिंग से होने वाली आय को व्यापार से होने वाले आए की तरह माना जाएगा । इसके तहत कुछ खर्चों को आय से घटाया जा सकता है तथा इसके बाद बचने वाले नेट इनकम पर ही आपको इनकम टैक्स देने पड़ेंगे । इनमें से कुछ स्वीकृत खर्च हो सकते हैं –

  1. फ्रीलांसर अथवा कंसल्टेंट्स को किया गया भुगतान
  2. कन्वीनियंस फीस
  3. किराया मकान किराया अथवा अन्य
  4. होस्टिंग और डोमेन पर आने वाला खर्च
  5. बिजली टेलीफोन सहित अन्य यूटिलिटी पर किया गया खर्च
  6. इसके अतिरिक्त और कोई दूसरा खर्च जिसे इस आय को अर्जित करने के लिए खर्च किया गया हो ।

एक महत्वपूर्ण बात यह है कि जो भी आप खर्च कर रहे हैं उन सभी का बिल और रिसिप्ट आपके पास होना चाहिए ताकि आपके द्वारा किए गए खर्चों का सत्यापन किया जा सकता है । इसके अतिरिक्त जो भी खर्चा दिखा रहे हैं वह आपकी रेवेन्यू को बढ़ाने में सहायक हो रहा है यह भी सिद्ध होना चाहिए ।

विमूल्यन (Depreciation)

अन्य बिजनेस की तरह ही सही तरीके से ब्लॉगिंग करने के लिए विभिन्न प्रकार के Equipments खरीदने की जरूरत पड़ती है जैसे कि ऑफिस इक्विपमेंट, फर्नीचर, लैपटॉप, प्रिंटर सहित अन्य चीजें ।

विशेषज्ञों के अनुसार इन सभी आवश्यक उपकरणों को खरीदने में किए गए खर्च को एक ही बार दिखाने से बढ़िया है इक्विपमेंट के पूरे लाइफ टाइम में कॉस्ट को डिस्ट्रीब्यूट कर दिया जाए । Asset के डेप्रिसिएशन को एक्सपेंस किस तरह रिटर्न में दिखाया जा सकता है । इस तरह से एक ब्लॉगर अपने ग्रॉस रिवेन्यू में से इस depreciation को घटाकर अपने नेट इनकम को कम कर सकता है ।

निवेश पर लाभ

एक ब्लॉगर भी अन्य लोगों की तरह अपने द्वारा किए गए म्यूच्यूअल फंड, एलआईसी या पीपीएफ सहित अन्य निवेश में आयकर की धारा 80C सहित अन्य धाराओं के अंतर्गत निर्धारित छूट प्राप्त करने की स्वतंत्रता है ।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • अपने आयकर रिटर्न को भरने के लिए आपके पास एक वैध पैन कार्ड (PAN CARD) होना चाहिए ।
  • एक ब्लॉगर को होने वाली आय पर प्रायः बिजनेस से होने वाली आयकर की धाराएं ही लगती हैं ।
  • यदि एक ब्लॉगर की आमदनी आयकर के निर्धारित छूट सीमा से अधिक हो रही है तो वह अपने आयकर को अग्रिम रूप से किस्तों में भर सकता है नियत दिनांक (due date ) से पहले…उसके बाद आपको कुछ विलंब शुल्क का भुगतान करना पड़ सकता है ।
  • इसके अतिरिक्त यदि एक ब्लॉगर की आय के साधन ब्लॉगिंग के अतिरिक्त अन्य भी हैं तो उसको उसके अनुकूल भी आयकर का भुगतान करना होगा । ब्लॉगर भी जीएसटी टीडीएस सहित अन्य भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होता है ।
  • एक ब्लॉगर को अमूमन ITR- 3 यदि ब्लॉगिंग बिजनेस के अतिरिक्त किसी प्रकार से उसकी आए हैं तो फिर ITR- 2 भरना चाहिए ।

उम्मीद है इस लेख में उपलब्ध की गई सारी जानकारियां पसंद आई होगी तथा इससे आपको एक ब्लोगर को लगने वाले इनकम टैक्स तथा इनकम टैक्स बचाने के लिए स्वीकृत व्यय (Expense Head ) तथा इनकम टैक्स भरने से संबंधित कुछ मौलिक बातों की जानकारी हुई होगी .

लेख (Income Tax for bloggers India) में आवश्यक संशोधन हेतु सुझाव अथवा इस लेख पर अपने विचार नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर भेजिए । फिर भेंट होगी किसी अन्य लेख में आने वाला समय आपके जीवन में शुभ हो इसी शुभकामना के साथ

अस्वीकरण:- इस लेख को मुख्यतः प्राथमिक स्तर की सूचना उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लिखी गई है । यहां लिखी गई सूचनाओं को एक कानूनी या पेशेवर सलाह की तरह नहीं माना जा सकता है । किसी भी कानूनी प्रक्रिया में आगे बढ़ने से आप इनकम ट्रैक्स विभाग के विशेषज्ञ पेशेवरों एवं कानूनी जानकारों से सहयोग एवं मार्गदर्शन जरूर प्राप्त करें ।

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