जल ही जीवन है

जल से ही जीवन है ! जल के बिना हमारा अस्तित्व ही खतम !

Written by-VicharKranti Editorial Team

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जल ही जीवन है इसमें कोई संशय और किन्तु परंतु की गुंजाईश ही नहीं बनती है । हमारे सदग्रन्थों ने तो ये तक कहा है कि – ” क्षिति जल पावक गगन समीरा । पंच रचित अति अधम शरीरा ॥ “ हमारे चिंतकों ने ऋषियों ने जल की महत्ता को समझते हुए इसके संरक्षण को धर्म से जोड़ दिया था

लेकिन आज इस घोर भौतिकवादी युग में भोग की आग में फंस कर हमने जलसंरक्षण के अपने कर्तव्य योग से खुद को दूर कर दिया और आने वाले समय में जल संकट एक विकराल किन्तु अवश्यंभावी समस्या बनने जा रही है ।

हमें जल संरक्षण के जरूरत की अनिवार्यता को ध्यान देना ही पड़ेगा नहीं तो कुछ भी बचेगा नहीं !

इस संक्षिप्त लेख –जल ही जीवन है में हम जल की जीवन और जगत के लिए उपयोगिता के महत्व को रेखांकित करने की कोशिश करेंगे । साथ ही जल संकट के कारण और निवारण सहित अन्य प्रमुख तथ्यों पर भी विचार करेंगे । बिना वजह के इस लेख को बड़ा करने की बजाय इसे संक्षिप्त और तथ्यपूर्ण रखने की कोशिश करेंगे । हमारा पूरा प्रयास रहेगा कि यह लेख(jal hi jeevan hai) विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगे छात्रों के अलावा हमारे अन्य जिज्ञासु पाठकों के लिए भी महत्वपूर्ण हो !

जल है तो कल है ऐसा आपने बहुत सुना होगा लेकिन जल के बिना कल क्यों नहीं है ? आगे हम इस विषय पर बात करेंगे तथा जल संकट के कारण और जल संकट के निवारण पर भी संक्षिप्त चर्चा करेंगे । मुझे उम्मीद है कि आप लेख को पूरा पढ़ने के बाद आप धरती पर जीवन के अस्तित्व के लिए जल की अनिवार्यता को पूर्ण रूप से स्वीकार करेंगे । चलते हैं विषय की ओर –


भारतीय संस्कृति की पहचान बन चुके रामचरितमानस में तुलसीदास कहते है-

क्षिति जल पावक गगन समीरा ।
पंच रचित अति अधम शरीरा ॥

अपने इस छंद के माध्यम से तुलसीदास जी ने भारतीय चिंतन में प्राचीन काल से सर्वस्वीकार्य जल के महत्व को पुनः रेखांकित किया है । ऋग्वेद में लिखा गया है – “ अप्सु अन्तः अमृतम् अप्सु भेषजम् । ” इसमें जल को अमृत के समान और जल को औषधि कहा गया है । 

आचार्य चाणक्य ने जल के महत्व को रेखांकित करते हुए लिखा है –

अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम् ।
भोजने चामृतं वारि भोजनान्ते विषप्रदम् ॥

आपको जल के संबंध में ऐसे सैकड़ों श्लोक और सूत्र वाक्य मिल जाएंगे जहां हमारे महान ऋषियों और  विद्वानों ने जीवन और जगत के लिए जल की अनिवार्यता को अनुभव करते हुए अपने संदेशों में समाज को जल के महत्व के प्रति जागरूक किया है ।  

लेकिन क्या हम सिर्फ इसलिए जल को महत्वपूर्ण मान ले क्योंकि कि हमारी परंपराओ में जल को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है ! या हमारे महापुरुषों ने इसे हमारे लिए महत्वपूर्ण माना है ! या जल की स्वच्छता को केंद्र में रख कर हमारा समाज अनेकों त्योहार मनाता  है ?  नहीं , ऐसा बिल्कुल नहीं है ! 

ये सारे तथ्य  जरूर हैं  लेकिन इसके इतर आगे इस लेख में आपको कई सारे वैज्ञानिक तथ्य मिलेंगे जिसे पढ़ने के बाद आप स्वतः ही इस बात को मानने हेतु विवश होंगे कि जल ही जीवन है और जल से ही हमारा कल है ।

सबसे पहले मानव जीवन फिर अन्य जीव जगत के लिए जल की उपयोगिता पर बात करेंगे । इसके बाद जल संकट के कारण और निवारण पर भी नजर डालेंगे ।

मानव जीवन में जल का महत्व 

पानी धरती पर जीवन के लिए तो उपयोगी है ही .. धरती पर पानी के बिना मानव जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है । हमारे  दैनिक जीवन में नहाने धोने के अतिरिक्त कृषि और कल कारखाने सहित अन्य कार्यों के लिए जल की उपलब्धता अनिवार्य है  । 

दोस्त ! विज्ञान के अत्यंत विकसित हो जाने के बावजूद भी जीवन का अस्तित्व प्रकृति पर पूर्णतः निर्भर है । भोजन के साथ प्राणवायु और जल जीवन के अस्तित्व के लिए परम आवश्यक है । मानव शरीर का 70 प्रतिशत भाग जल है वैसे तो पूरी धरती का 71 प्रतिशत हिस्सा जलाच्छादित है लेकिन इस जल का 97 प्रतिशत हिस्सा हमारे किसी काम का नहीं है ! बचे हुए 3 प्रतिशत में से महज 1 प्रतिशत जल ही मानव जीवन के विभिन्न क्रियाकलापों के लिए उपलब्ध है । 

जल ही जीवन है -कुछ तथ्य

आगे हम कुछ सर्वमान्य वैज्ञानिक तथ्यों को रख रहे हैं जो जीवन के लिए जल की अनिवार्यता को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त हैं –

  • मानव शरीर के कुल वजन में लगभग 60 से 75% योगदान जल का है । 
  • हमारे बोन सेल का 20 प्रतिशत तथा ब्रेन सेल का 85 प्रतिशत हिस्सा जल से ही बनता है । 
  •  आदमी बिना भोजन किए तो लगभग 1 महीने तक जीवित रह सकता है लेकिन बिना पानी के सिर्फ 3 दिन तक जीवित रहा जा सकता है । 
  •  शरीर में उपलब्ध जल में से किसी भी कारण से यदि 4 प्रतिशत जल बाहर निकल जाए तो हमें डिहाइड्रेशन हो जाता है और यदि शरीर से 15% से अधिक जल निकल जाए तो यह व्यक्ति के लिए प्राणघातक होता है । 
  • जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कोशिका किसी भी जीव के निर्माण की मूल इकाई है।  कोशिका के निर्माण के लिए जल परम आवश्यक है ।  कोशिका के बाहर की झिल्ली जो कोशिका को बाहरी अणुओं के आक्रमण से बचाता है के निर्माण में भी जल की अहम भूमिका है। 
  • जल, DNA के डबल हेलिक्स स्ट्रक्चर को बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो कोशिका के निर्माण में अहम है । 
  • जल अपने ध्रुवीय संरचना (polar structure) के कारण सार्वभौमिक विलायक (universal solvent ) की श्रेणी में रखा जाता है । 
  •  जल जीव शरीर में विभिन्न तत्वों को एक जगह से दूसरे जगह तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । 
  • पेड़-पौधों में प्रकाश संश्लेषण, पेड़ पौधों के जीवित रहने के लिए बहुत आवश्यक है । प्रकाश संश्लेषण में  अन्य खनिज लवणों के साथ जल की उपलब्धता भी अनिवार्य है  । 

मोटे तौर पर कहें तो चाहे शरीर की लाली हो या हमारे आसपास की  हरियाली हर चीज के लिए जल एक आवश्यक तत्व है । 

जल जीवन और जल संकट

ऊपर उपलब्ध कराए गए महत्वपूर्ण आंकड़ों और तथ्यों के आधार पर अब यह तो मानेंगे कि जल जीवन के लिए अनिवार्य है । और जल है तो कल है यह बात अक्षरशः यानि सोलह आने सच है ।  आगे हम थोड़ी चर्चा कर लेते हैं दुनिया पर मंडरा रहे जल संकट पर- 

पिछले दिनों यूनिसेफ़ ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए दुनिया का ध्यान इस ओर आकर्षित करने की कोशिश की है- कि दुनिया के हर पाँच बच्चें में से एक बच्चा ऐसे क्षेत्र में निवास करने को मजबूर है जहां पानी की भारी किल्लत है । 

जल संकट से जूझने वाले यूनिसेफ़ द्वारा चिन्हित  35 देशों में भारत भी एक है । भारत के अतिरिक्त अन्य देश हैं -केन्या, नाइजीरिया, पाकिस्तान, पापुआ न्यू गिनी, सूडान, तंजानिया ,अफगानिस्तान, बुर्किना-फासो, इथियोपिया, हैती और यमन सहित अन्य देश ।

भारत में जल संकट

वैसे तो जल संकट कोई भारत में ही है ऐसी बात नहीं है । जल संकट एक वैश्विक समस्या है और एक बड़ी आबादी को इस समस्या से दो चार होना पड़ रहा है । 

दोस्त , भारत में दुनिया का कुल 4 प्रतिशत उपयोग में आने लायक स्वच्छ जल ही उपलब्ध है जबकि इस 4 प्रतिशत जल पर दुनिया की कुल 18 % आबादी का जीवन निर्भर है । चूंकि भारत की कुल जनसंख्या (जो कि पूरी वैश्विक आबादी का लगभग 18 प्रतिशत है ) के लिए सिर्फ 4 प्रतिशत स्वच्छ जल ही उपलब्ध है । इस तरह हम भारत में आने वाले जल संकट का अनुमान सहज ही लगा सकते हैं ।

हाल के वर्षों में पानी की किल्लत काफी ज्यादा बढ़ गई है । भारत में चेन्नई ऐसा पहला शहर बन गया है , जहां स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं होने के कारण पिछले दिनों जन जीवन पूरी तरह से ठप्प हो गया था । ग्रउन्ड वाटर सामान्य स्तर से काफी नीचे चला गया या कहें कि भूजल खत्म ही हो गया था ।

अगर ऐसा ही हाल रहा तो विशेषज्ञों ने आने वाले दिनों में ऐसी ही स्थिति में और 20 से 21 शहरों के पहुँचने का अनुमान लगाया है । आने वाले वर्षों में चेन्नई जैसी हालत में और भी शहर  पहुंच जाएंगे । 

पिछले दिनों नीति आयोग द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की लगभग 45% आबादी गंभीर जल तनाव या पानी के संकट का सामना कर रही है। 

वर्ष 2030 तक भारत में कुल 40 प्रतिशत आबादी को पीने योग्य पानी उपलब्ध नहीं हो पाएगा और वर्ष 2050 तक संभावित जल संकट के कारण भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 6 प्रतिशत का नुकसान होने की भविष्यवाणी भी इस रिपोर्ट में की गयी है ।

जल संकट का कारण 

अन्य उपलब्ध प्राकृतिक संसाधन की तरह जल की उपलब्धता भी सीमित है  जिसका विवेकपूर्ण उपयोग संसार में जीवन की अस्तित्व की अनवरतता के लिए आवश्यक है । जीवन के लिए आवश्यक है । 

लेकिन समाज के बड़े हिस्से द्वारा जल के  अंधाधुंध दोहन और निर्मम उपयोग के कारण आने वाले दिनों में जल संकट निश्चित रूप से इस धरती पर एक बड़ी तबाही का कारण बनने जा रही है इसमें किसी को दो राय नहीं होना चाहिए । 

शहरों में जहां गाड़ी धोने से लेकर स्विमिंग पूल तक में पानी का अनियमित और अविवेकपूर्ण उपयोग किया जाता है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी  सिंचाई के गलत तकनीक और अन्य कारणों से जल की बर्बादी होती है । 

इसके अलावा सीमित मात्रा में उपलब्ध इस जल में अपशिष्ट पदार्थों, कीटनाशकों तथा फैक्ट्रियों से निकलने वाले कचरे को डालने से भी जल की गुणवत्ता प्रभावित होती है। लोहा और आर्सेनिक सहित अन्य खतरनाक तत्व की मौजूदगी जल को विषैला बनाता है ।

ऐसे जल को पीने से जहां गंभीर बीमारियां होती हैं वहीं इस प्रदूषित विषैले जल ने पारिस्थितिक तंत्र को बुरी तरह से प्रभावित किया है । आज लगभग 1600 जीवों की प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर पहुँच गईं हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पिछले दिनों उपलब्ध करवाए गए आंकड़ों के अनुसार दुनियाँ में होने वाले 86 प्रतिशत से अधिक बीमारियों की वजह यही असुरक्षित दूषित और विषैला जल है ।  

जीवन रक्षक जल की सुरक्षा

जल जीवन के अस्तित्व के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसलिए भविष्य में आने वाली जल संकट से स्वयं को तथा अपनी भावी पीढ़ियों को बचाने के लिए हमें जल के विवेकपूर्ण उपयोग को अपने जीवन में शामिल करना ही होगा । 

जहां हम जल के पुनर्चक्रण, वर्षा जल का भंडारण तथा अधिक संख्या में हरे पेड़ पौधे लगाकर अपनी भावी पीढ़ियों के लिए स्वच्छ जल की उपलब्धता को सुनिश्चित कर पाएंगे । जिस जगह अधिक संख्या में हरे भरे पेड़ होते हैं वहां वर्षा का जल बर्बाद नहीं होता तथा भू-जल के स्तर में भी वृद्धि होती है । जल पर्यावरण और पारिस्थितिकी संतुलन के लिए आवश्यक है । 

 यदि आप जल संकट और समाधान के विषय में अधिक पर जानना चाहते हैं तो अगला लेख आपके लिए महत्वपूर्ण है। 

अंत में अपनी बात

जीवन के लिए जल की अपरिहार्यता या जीवन की जल पर निर्भरता को आप ने भली भांति जाना ।  दोस्त , सांस्कृतिक परंपराओं और वैज्ञानिक आंकड़ों के आधार पर भी आपने देखा कि हमारे सुरक्षित भविष्य के लिए जल बहुत आवश्यक है । अतः जल है तो कल है या जल ही जीवन है इसे आप स्वीकार करेंगे और अपने जीवन में जल के सदुपयोग और जल की सुरक्षा को सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे । 

हमें पूरा विश्वास है कि हमारा यह लेख- जल ही जीवन है आपको पसंद आया होगा । इस लेख(jal hi jeevan hai) के बारे में तथा जल संकट एवं जल की सुरक्षा पर यदि कुछ कहना चाहते हैं तो भी आपके विचारों का नीचे कॉमेंट बॉक्स में  स्वागत है  …लिखकर जरूर भेजें ! इस लेख को अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल्स पर शेयर भी करे क्योंकि Sharing is Caring !

बने रहिये Vichar Kranti.Com के साथ । अपना बहुमूल्य समय देकर लेख पढ़ने के लिए आभार ! आने वाला समय आपके जीवन में शुभ हो ! फिर मुलाकात होगी किसी नए आर्टिकल में .

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संदर्भ (Reference) :-

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