मंगलवार, अप्रैल 9, 2024
होमeducationसरकारी बैंक और प्राइवेट बैंक की सूची एवं अन्य विवरण

सरकारी बैंक और प्राइवेट बैंक की सूची एवं अन्य विवरण

आप इस लेख में मुख्य रूप से भारत के बैंकों की सूची (List of Banks in India ) को पढ़ना चाहते हैं ऐसा हमें पता है लेकिन इससे पहले हम थोड़ी भूमिका।  भारत सरकार ने 30 अगस्त 2019 को सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों को 4 सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में विलय कर दिया । इस तरह देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटकर 12 रह गई  जो वर्ष 2017 प्रायः 27 हुआ करती थी ।

बैंकों की सूची तो हम तुरंत उपलब्ध करवा ही रहे हैं लेकिन उसके पहले, क्या आप बैंक के बारे में कुछ जानना चाहेंगे – कि आखिर बैंक होते क्या है ?

बैंक क्या होते हैं?

बैंक एक वित्तीय संस्था होता है जो मुख्य रूप से पैसों के लेनदेन की प्रक्रिया को अंजाम देता है। किसी भी वित्तीय संस्था के बैंक होने के लिए मुख्य रूप से तीन शर्तों को पूरा करना जरूरी हो जाता है पहला #1. डिमांड डिपॉजिट को स्वीकार करता हो #2. जहां से अपनी संपत्ति को मॉर्गेज कराकर (गिरवी रख कर ) के लोन मिलता हो और #3. जिसके माध्यम से पैसे को एक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर किया जाता हो।

बैंक जनता की बचतों पर उन्हें ब्याज, ऋण और निवेश की सुविधा देती है। साथ ही बैंक के माध्यम से आप अपना रुपया जमा कर सकते हैं और जरूरत के वक़्त पर आसानी से निकाल भी सकते हैं।

जिसके लिए आपको देश के निजी और सरकारी किसी भी बैंक में जाकर खाता खुलवाना पड़ता है। बैंक रुपए के लेन-देन के अलावा भी कई सारे काम करते हैं, जिनके बारे में हम आगे तो जरूर जानेंगे लेकिन, आगे बढ़ने से पहले जान लीजिए अपनी मूल प्रश्न का उतर – यानि भारत के बैंकों की सूची

अलग-अलग प्रकार के बैंकों की अलग-अलग सूची

आगे आपकी सुविधा के लिए विभिन्न क्षेत्र के बैंकों की सूची (List of Government & Private Banks in India) दी गई है । पहले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सूची फिर प्राइवेट बैंक (जो भारत में कार्यरत हैं ) की सूची –

सार्वजनिक बैंक -list of government banks in india

सार्वजनिक बैंकमुख्यालय
 पंजाब नेशनल बैंक (1908) नई दिल्ली
 इंडियन बैंक (1907) चेन्नई
 स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (1955) मुंबई
 केनरा बैंक (1906) बंगलौर
 यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (1919) मुंबई
 इंडियन ओवरसीज़ बैंक  (1937) चेन्नई
 यूको बैंक (1943) कोलकाता
 बैंक ऑफ महाराष्ट्र (1935) पुणे
 पंजाब और सिंध बैंक (1894) नई दिल्ली
 बैंक ऑफ इंडिया (1906) मुंबई
 सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (1911) मुंबई
 बैंक ऑफ बड़ौदा (1908) गुजरात

सार्वजनिक क्षेत्र के बाद अब भारत में काम करने वाले निजी क्षेत्र के बैंक की सूची आपके सामने है –

प्राइवेट बैंक -list of private banks in india

प्राइवेट बैंक के नाम मुख्यालय
एक्सिस बैंक (1993) मुंबई, महाराष्ट्र
 बंधन बैंक (2015) कोलकाता, पश्चिम बंगाल
 सीएसबी बैंक (1920) त्रिसूर ,केरल
 सिटी यूनियन बैंक (1904) कुंभकोणम, तमिलनाडु
 डीसीबी बैंक (1930) मुंबई, महाराष्ट्र
 धनलक्ष्मी बैंक (1927) त्रिसूर ,केरल
 फेडरल बैंक (1931) अलुवा, कोच्चि
 एचडीएफसी बैंक (1994)  मुंबई, महाराष्ट्र
 आईसीआईसीआई बैंक (1994)  मुंबई, महाराष्ट्र
 आईडीबीआई बैंक (1964)  मुंबई, महाराष्ट्र
 जम्मू और कश्मीर बैंक (1938) श्रीनगर , जम्मू और कश्मीर
 कर्नाटक बैंक (1924) मंगलुरु, कर्नाटक
 कोटक महिंद्रा बैंक (2003)  मुंबई, महाराष्ट्र
 करूर वैश्य बैंक करूर, तमिलनाडु
 नैनीताल बैंक (1922) नैनीताल , उत्तराखंड
 आरबीएल बैंक (1943) मुंबई, महाराष्ट्र
 साउथ इंडियन बैंक (1929)  त्रिसूर ,केरल
 तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक (1921) तूतीकोरिन ,तमिलनाडु
 येस बैंक (2004) मुंबई, महाराष्ट्र
आईडीएफसी बैंक (2015)मुंबई, महाराष्ट्र
इंडसइंड बैंक (1964)मुंबई, महाराष्ट्र

अब तक आपने बैंकों के नाम क्रमशः उनके नियंत्रण के आधार पर पढ़ लिया यानि आपने सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बैंकों के नाम एवं उनके मुख्यालय के बारे में जान लिया । आगे पढिए बैंकों से जुड़े कुछ अन्य तथ्यों के बारे में … । आगे जानिए बैंकों के कार्य के विषय में लेकिन उसके पहले बात बैंक के फुल फॉर्म की ।

फुल फॉर्म से मतलब BANK में प्रयुक्त चार अक्षरों से बनने वाले शब्द जिससे किसी संस्था के बैंक होने का अर्थ प्रतीत होता हो ।

  • B (Borrow) – उधार लेना
  • A (Accept) – स्वीकारना
  • N (Negotiate) – बातचीत
  • K (Keep) – रखना

ऐसे में कहा जा सकता है कि बैंक एक बेहद ही उपयोगी संस्था है । तो आइए जान लेते हैं बैंकों द्वारा किए जाने वाले कार्यों को बिन्दुवार –

बैंकों के कार्य-

  1. जमा पर ब्याज देना
  2. ऋण देना
  3. खाता खोलना
  4. सरकारी योजनाओं का लाभ देना
  5. ओवरड्राफ्ट की सुविधा
  6. लॉकर्स प्रदान करना
  7. देश के आर्थिक विकास में सहायक
  8. चेक, पासबुक, डेबिट और क्रेडिट कार्ड की सुविधा
  9. इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग
  10. विदेशी लेन-देन की सुविधा

बैंकों के प्रकार

लेख में इसके पहले सार्वजनिक बैंक निजी बैंक की सूची से संबंधित आपकी मूल जिज्ञासा का उत्तर तो मिल गया !लेकिन क्या ऊपर की सूची में सार्वजनिक बैंक, प्राइवेट बैंक इन शब्दों पर आपने गौर किया और यदि आपने गौर किया तो क्या आपके मन में कोई प्रश्न उठा कि आखिर ये सार्वजनिक बैंक क्या हैं ? और प्राइवेट बैंक का उपयोग शब्द का उपयोग क्यों किया गया है ? यदि नहीं उठा तो सोचिए और यदि प्रश्न उठे हैं तो आपके प्रश्न का समाधान है अगली लाइनों में …

जैसे वित्तीय संस्था दो प्रकार के होते हैं Banking और Non – Banking । उसी तरह बैंक के भी कई प्रकार होते हैं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक का नियंत्रण सरकार के पास और प्राइवेट बैंक वो बैंक वो होते हैं जिनका स्वामित्व निजी हाथों में होता है ।

हमारे देश में भी बैंकों के अलग अलग वर्गीकरण है या कहें कि भारत में भी अन्य देशों की तरह कई प्रकार के बैंक मौजूद है, जिनमें प्रत्येक का अपना अलग अलग कार्य एवं महत्व है। आगे प्रस्तुत है विभिन्न कार्य एवं स्वामित्व के आधार पर बैंकों के प्रकार एवं उनपर एक संक्षिप्त चर्चा –

वाणिज्यिक बैंक

जिन बैंकों का उद्देश्य लाभ कमाना होता है और जो जनता को बचत के लिए प्रोत्साहित करते हैं। साथ ही सरकार को आर्थिक विकास हेतु ऋण प्रदान करते हैं, उन्हें वाणिज्यिक बैंक कहा जाता है।

सार्वजनिक बैंक

जिन बैंकों पर 50% सरकार का स्वामित्व होता है, वे सार्वजनिक बैंक होते हैं।

निजी बैंक

जो बैंक पूर्णतया अंशधारियों के स्वामित्व में होते हैं, वे निजी बैंक होते हैं।

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक

जो बैंक राज्यों में क्षेत्रीय स्तर पर काम करते हैं, या कहे ग्रामीण जनता को बचत के लिए प्रोत्साहित करते हैं, उन्हें क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक कहा जाता है।

विदेशी बैंक

इन बैंकों का मुख्यालय देश के बाहर विदेशों में होता है, जोकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नियंत्रण में रहते हैं, ऐसे बैंक विदेशी बैंक कहलाते हैं।

अनुसूचित बैंक

जो बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की 2nd अनुसूची के अंतर्गत आते हैं, जिन्हें अपनी पूंजी का 5 लाख रुपए रखना होता है, ऐसे बैंक अनुसूचित बैंक कहलाते हैं।

सहकारी बैंक

जो बैंक छोटे उद्यमियों, व्यापारियों और किसानों को ऋण की सुविधा प्रदान करते हैं, वह सहकारी बैंक कहलाते हैं।

विकास बैंक

जिन बैंकों का उद्देश्य विकास के लक्ष्य को पाना होता है, और जो की दीर्घकालीन ऋण की सुविधा प्रदान करते हैं, ऐसे बैंक विकास बैंक की श्रेणी में आते हैं।

विनिमय बैंक

जो बैंक विदेशी मुद्रा को देशी मुद्रा में बदलने का काम करते हैं, यानी कि मनी एक्सचेंज का काम करते हैं, उन्हें विनिमय बैंक कहा जाता है।

पेमेंट बैंक

जो बैंक देश के कोने कोने में लोगों को लेनदेन की सुविधा प्रदान करते हैं और उन तक बैंकिंग सुविधाओं को पहुंचाते हैं, वह पेमेंट बैंक कहलाते हैं।

औद्योगिक बैंक

जो बैंक देश के उद्योग और उद्योग पतियों को ऋण की सुविधा प्रदान करते हैं, वे औद्योगिक बैंक की श्रेणी में आते हैं।

केंद्रीय बैंक

जो बैंक संपूर्ण देश की बैंकिंग प्रणाली को दिशा निर्देश देते हैं और सभी बैंकों पर अपना नियंत्रण रखते हैं। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक सरकार को पूर्णता सहायता देते हैं, देश में केवल एक केंद्रीय बैंक होता है, जो कि सभी बैंकों को संचालित करता है।

अब तक आपने बैंकों की सूची एवं उनके प्रकार के विषय में जानकारी प्राप्त कर ली । अब थोड़ी बात बैंकों की उत्पति एवं उनके विकास के बारे में –

आखिर बैंक की उत्पति कैसे हुई

बैंक’ शब्द की उत्पति को लेकर थोड़ी सी मतभिन्नता है । कुछ लोग इसे जर्मन शब्द से उत्पन्न हुआ मानते हैं तो कुछ लोग इसकी उत्पत्ति फ्रांसीसी शब्द ‘‘Banqui’ ‘ और इतालवी शब्द ‘‘Banca’’ से मानते हैं ,जिसका अर्थ बैंच होता है। यानि पुराने दौर में व्यापारी बैंच पर बैठकर व्यापार और रुपए आदि का लेन-देन किया करते थे, वहीं से परिवर्तित होकर कालांतर में बैंक शब्द चलन में आया है।

बैंक को विशुद्ध हिंदी में अधिकोष कहा जाता हैलेकिन प्रचलित हिन्दी में बैंक के लिए बैंक शब्द का ही उपयोग होता है ।

वर्ष 1640 से पहले ‘बैंकिंग’ जैसा कोई शब्द चलन में नहीं था । हालांकि सब पूर्व 2000 में भी बेबीलोन के मंदिरों में धन को सुरक्षित रखने की परंपरा का उल्लेख मिलता है। 300 ईसा पूर्व में चाणक्य पंडित द्वारा लिखे गए अर्थशास्त्र में भी ऋण के लेनदेन एवं हुंडी जारी करने से संबंधित संस्था का उल्लेख है  तथा जैन शास्त्रों में भी कुछ ऐसे झलक मिलते हैं ऐसा विद्वानों का मानना है । 

भारत में बैंकिंग की शुरुआत

भारत में बैंकिंग प्रणाली की शुरुआत प्रायः 1770 ईस्वी में हुआ बैंक ऑफ हिंदुस्तान की स्थापना के साथ । बैंक ऑफ हिंदुस्तान को एक ब्रिटिश संस्था अलेक्जेंडर एंड कंपनी द्वारा शुरू किया गया था । यह बैंक खोलने का प्रयास विफल रहा और 1782 में अलेक्जेंडर एंड कंपनी के बंद होने के साथ ही यह बैंक भी बंद हो गया ।

और फिर 1806 ईस्वी में तत्कालीन बंगाल प्रेसिडेंसी में बैंक ऑफ कोलकाता की शुरुआत हुई इसी बैंक को 1809 में Bank of Bengal के नाम से परिवर्तित कर दिया गया । फिर वर्ष 1935 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और 1 जुलाई 1955 को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अस्तित्व में आया।

Bank FAQ

भारत में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों के बीच क्या अंतर है?

Ans – सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी सरकार के पास होती है जबकि प्राइवेट  बैंकों में अधिकांश हिस्सेदारी बैंक के निजी शेयर धारकों के पास होती है।

प्राइवेट सेक्टर के बैंकों की संख्या भारत में कितनी है ? 

Ans- भारत में प्राइवेट सेक्टर के बैंकों की संख्या  21 बैंक हैं। ये बैंक हैं – एचडीएफसी बैंक,आईसीआईसीआई बैंक,धनलक्ष्मी बैंक, डीसीबी बैंक, सिटी यूनियन बैंक,आरबीएल बैंक,तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक,करूर वैश्य बैंक,आईडीबीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक,बंधन बैंक,फेडरल बैंक,एक्सिस बैंक आदि

भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या कितनी बैंक हैं?

भारत में 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैं। स्टेट बैंक इंडिया,सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया,केनरा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक  यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक,इंडियन बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और बैंक ऑफ हैं। बड़ौदा।

रिजर्व बैंक की स्थापना कब हुई थी

Ans- रिजर्व बैंक की स्थापना 1935 ईस्वी को हुई थी

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना कब हुई ठि

Ans – स्टेट बैंक की स्थापना 1 जुलाई 1955 ईस्वी को हुई थी । यह भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में से एक हैं ।

निष्कर्ष एवं सारांश

सरल शब्दों में, बैंक के माध्यम से व्यक्ति अपने कमाए हुए धन को आसानी से संचित कर पाता है। अपने लिए मॉर्गेज और मनी ट्रांसफर का काम कर पाता है इतना ही नहीं, इतना ही नहीं –  जमा धन पर बैंक आपको ब्याज भी देती है। 

बैंक के माध्यम से सरकार जनता के मध्य कई सारी लाभकारी योजनाओं को भी प्रसारित करती है। साथ ही जरूरत पड़ने पर बैंक ऋण और ओवरड्राफ्ट व मॉर्गेज आदि की सुविधा प्रदान कर वित्तीय प्रबंधन में हमारी मदद करती है । भारत में बैंकिंग की विधिवत शुरुआत ब्रिटिश काल में हुआ और 1935 में रिजर्व बैंक एवं आजादी के बाद 1 जुलाई 1955 को हमारे देश का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का गठन हुआ ।

आपने बैंकों की सूची को तो पढ़ लिया इसमें आपके लिए नया क्या था कमेन्ट बॉक्स में जरूर लिखिए ।

HDFC Bank भारत में सबसे बड़ा निजी बैंक है पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भारत का सबसे बड़ा बैंक है जो सरकार के कामकाज में वित्तीय आदान प्रदान को भी संभालती है । हालांकि सारे यहां वित्तीय फैसले का नियमन तो रिजर्व बैंक ही करती है ।

दोस्त ऊपर बताई गई सूची समय समय पर बदलती रहती है और भविष्य में भी बदलेगी । हम यहाँ विचारक्रान्ति वेबसाईट पर हैं इसे अपडेट करने के लिए ।

बड़े प्रेम से इस आर्टिकल भारत के बैंकों की सूची (List of Banks in India ) एवं उनसे जुड़े अन्य तथ्यों को पूरा पढ़ने के लिए आभार ! आप अपने जीवन में नई ऊंचाईयां प्राप्त करें इन्हीं शुभकामनाओं के साथ आप विचारक्रान्ति के motivational या career section पर जा कर अच्छे आर्टिकल पढ़ सकते हैं ।

Sources-

Khushbu
Khushbuhttps://vicharkranti.com/education
विचारक्रांति टीम के सदस्य के रूप में लिखने के अलावा इस ब्लॉग के संचालन को भी देखती हूँ । पढ़ने लिखने का शौक है। एक फुल टाइम गृहणी एवं पार्ट टाइम ब्लॉगर के रूप में अन्य सहयोगियों के साथ आप तक प्रामाणिक तथ्यों को प्रस्तुत करने के अभियान पर अग्रसर हूँ ..
आपके के लिए कुछ Articles :-

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

नवीनतम पोस्ट