विक्रम साराभाई का जीवन परिचय | Vikram Sarabhai Biography Hindi

Written by-VicharKranti Editorial Team

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डॉ. विक्रम साराभाई ना केवल एक प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक थे, बल्कि वह एक महान् शिक्षविद और आविष्कारक भी थे। जिन्होंने अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत का परचम सम्पूर्ण विश्व में लहराया। इनकी वैज्ञानिक उपलब्धियों के चलते भारत सरकार द्वारा इन्हें कई महत्वपूर्ण पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया । ऐसे में इनके बारे में जानना महत्वपूर्ण हो जाता है । चलिए आगे संक्षेप में पढ़ते हैं विक्रम साराभाई का जीवन परिचय … !

भारतीय अंतरिक्ष जगत में इन्हें समस्त वैज्ञानिक क्रियाकलापों का जनक माना गया है। ऐसे में वर्तमान और आने वाली पीढ़ी के लिए इनके जीवन के बारे में जानना अति आवश्यक है। इसलिए आज हम आपको अपने उपरोक्त लेख के माध्यम से महान् भारतीय वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई के जीवन (Vikram Sarabhai Biography Hindi) से रूबरू कराने जा रहे हैं।

डॉ. विक्रम साराभाई का संक्षिप्त परिचय

डॉक्टर साराभाई का जन्म अहमदाबाद के एक सम्पन्न जैन परिवार में हुआ था । उनकी प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा उनके पारिवारिक स्कूल में ही हुई ,जिस स्कूल को उनकी माता ने मैडम मारिया मोन्टेसरी से प्रेरणा लेकर शुरू किया था । उनसे संबंधित अन्य जानकारियां आगे दी गईं हैं –

पूरा नामडॉ विक्रम अंबालाल साराभाई
जन्म तिथि12 अगस्त 1919 
आयु52 
जन्म स्थानअहमदाबाद, गुजरात
पिता का नामअंबालाल साराभाई 
पिता का व्यवसायउद्योगपति, खगोलशास्त्री, भौतिक विज्ञानी
माता का नामसरला साराभाई
माता का व्यवसायशिक्षिका
भाई और बहन7
आरंभिक शिक्षागुजरात कॉलेज
स्नातककैंब्रिज यूनिवर्सिटी, इंग्लैंड 
पसंदीदा विषय पुस्तकें पढ़ना और खोज करना
धर्म जैन
व्यवसायभारतीय वैज्ञानिक
संस्थापकइसरो (ISRO)
जीवनसाथीमृणालिनी
संतानएक बेटा और एक बेटी मल्लिका (नृत्यांगना व अभिनेत्री), कार्तिकेय (वैज्ञानिक) 
मृत्यु तिथि  30 दिसंबर 1971

डॉ. विक्रम साराभाई के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण पहलू

  • इनका जन्म गुजरात के एक धनी परिवार में हुआ था। विक्रम साराभाई अपने माता-पिता की आठवीं संतान थे।
  • इन्टरमेडीएट से आगे की पढ़ाई इन्होंने वस्तुतः इंग्लैंड से ही की
  • द्वितीय विश्व युद्ध के समय भारत लौटकर इन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान(बंगलौर) में सर सी. वी रमन के नेतृत्व में रहकर ब्रह्मांडीय किरणों पर शोध करना आरंभ कर दिया था। 
  • साल 1942 में विक्रम साराभाई का पहला वैज्ञानिक पत्र कॉस्मिक किरणों का समय वितरण नाम से प्रकाशित हुआ था। आगे चलकर इन्होंने कॉस्मिक किरणों का निरीक्षण करने वाली दूरबीनों का भी निर्माण किया था।
  • साल 1945 में पीएचडी पूरी करने के लिए साराभाई कैंब्रिज यूनिवर्सिटी, इंग्लैंड चले गए थे।
  • इंग्लैंड से जब विक्रम साराभाई अपने देश वापिस लौटे। तब भारत देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो चुका था। इस दौरान विक्रम साराभाई ने भी भारत देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
  • देश में विक्रम साराभाई द्वारा अनेक शोध संस्थानों का निर्माण किया गया।
  • विक्रम साराभाई ने भारत में प्रथम रॉकेट लॉन्चिंग सेंटर की भी स्थापना की थी। इस दौरान डॉ. होमी जहांगीर भाभा के सहयोग से इन्होंने तिरुवनन्तपुरम में अरब सागर के तट के समीप एक रॉकेट लॉन्च इंप्रेशन का निर्माण किया।
  • डॉक्टर विक्रम साराभाई ने नासा के साथ मिलकर भारत में सफल सैटेलाइट टेलीविजन का परीक्षण किया था। वस्तुतः 1966 में ही उन्होंने नासा से बात की थी जिसका परिणाम यह निकला कि 1975 में भारत में सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविज़न एक्सपेरिमेंट (SITE) शुरू किया गया, जिससे ग्रामीण भारत में केबल टेलीविजन पहुँच पाया ।
  • इनके द्वारा भारतीय प्रबंधन संस्थान और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की भी स्थापना की गई थी।
  • हर साल 12 अगस्त को डॉ. विक्रम साराभाई के जन्मदिवस को अंतरिक्ष विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। साथ ही इनकी स्मृति के तौर पर भारतीय डाक विभाग द्वारा एक डाक टिकट भी जारी किया गया है।

डॉ. विक्रम साराभाई का वैज्ञानिक योगदान

साल 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian space and research organisation) की स्थापना विज्ञान के क्षेत्र में डॉ. विक्रम साराभाई की भारत को प्रमुख देन हैं। इसके अतिरिक्त साल 1975 में इनके द्वारा दिए गए निर्देश और बनाई गई योजनाओं के आधार पर ही प्रथम भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट कक्षा में स्थापित किया गया था।

डॉ. विक्रम साराभाई ने अपने सम्पूर्ण जीवन में करीब 86 वैज्ञानिक शोध पत्र लिखे हैं। जिनमें सौर भूमध्यरेखा, भू मंडलीकरण, भू चुम्बकत्ब, और अंतर भूमंडलीय अंतरिक्ष विषय पर किए गए शोध शामिल हैं। डॉक्टर विक्रम सर भाई ने अपने जीवनकाल में कई सारे वैज्ञानिक संस्थाओं का निर्माण किया जो आज विज्ञान के क्षेत्र में भारत देश की प्रगति में नए आयाम स्थापित कर रहे हैं। इनमें से कुछ प्रमुख संस्थाएं इस प्रकार हैं:-

  • स्पेस एप्लीकेशन सेंटर  (अहमदाबाद),
  • विक्रम साराभाई विज्ञान केंद्र (अहमदाबाद),
  • दर्पण अकादमी फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (अहमदाबाद),
  • कम्युनिटी साइंस सेंटर (अहमदाबाद),
  • यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (झारखंड),
  • भौतिकी अनुसंधान प्रयोगशाला (अहमदाबाद),
  • वेरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रॉन प्रॉजेक्ट (कोलकाता),
  • विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ( तिरुअनंतपुरम),
  • इलेक्ट्रानिक्स कारपोरेशन आफ इंण्डिया लिमिटेड(हैदराबाद )
  • फास्टर ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर (कल्पकम) आदि।

डॉ. विक्रम साराभाई ने सामाजिक क्षेत्र में काफी अतुलनीय योगदान दिया है। इन्होंने विज्ञान के साथ विभिन्न सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं की स्थापना के साथ ही समाज सेवा का महान कार्य किया है ।

डॉ. विक्रम साराभाई के पुरस्कार और सम्मान

  1. वर्ष 1962 शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार
  2. वर्ष 1996 पदम् भूषण
  3. वर्ष 1972 पदम् विभूषण(मरणोपरांत)

इसके अलावा, चंद्रयान-2 मिशन में भेजे गए भारतीय रोवर का नाम भी डॉक्टर विक्रम साराभाई के नाम पर ही रखा गया ।

डॉ. विक्रम साराभाई की मृत्यु

30 दिसंबर 1971 को केरल के तिरुअनंतपुरम में डॉ. विक्रम साराभाई का दिल का दौरा पड़ने की वजह से देहांत हो गया था। हालांकि इन्होंने भारतीयों का परिचय ना केवल अंतरिक्ष विज्ञान से कराया अपितु इनके ही कारण कृषि क्षेत्र में मौसम का पूर्वानुमान, ग्रामीण इलाकों में तकनीक का विकास, भारतीय उपग्रहों का आविष्कार, दवाइयों का निर्माण, परमाणु ऊर्जा और भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में क्रांति का सूत्रपात हुआ है। इनके महान कार्यों और प्रयासों की वजह से ही भारत आज एक शक्तिशाली देश के रूप मे पूरी दुनियाँ में खुद को स्थापित कर पा रहा है ।

आज डॉ. विक्रम साराभाई हमारे मध्य नहीं है, लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्य और उनके विचार सदैव भारतीयों के लिए सम्मानीय रहेंगे।


इति

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