शिवाजी महाराज की जीवनी

शिवाजी महाराज की जीवनी | Shivaji Maharaj Biography in Hindi

Written by-VicharKranti Editorial Team

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भारत वीरों की भूमि है । इस धरती पर एक से बढ़ कर एक वीर ने जन्म लिया है जिनके कृतत्वों से इतिहास के पन्ने दैदीप्यमान हो रहें हैं । शिवाजी महाराज उन्हीं महान सपूतों में से एक थे । इससे पहले हमने महाराणा प्रताप ,चंद्रशेखर आजाद , भागत सिंह , सरदार वल्लभ भाई पटेल सहित अन्य महान व्यक्तियों के बारे में लिखा है । इस अंक में हमारा प्रयास है भारत के महान सपूत शिवाजी महाराज की जीवनी से आपको संक्षेप में रूबरू करवाना । वैसे तो शिवाजी के बारे में आप सब कुछ जानते ही होंगे लेकिन चूंकि शिवाजी महाराज अपने आप में भारतीय इतिहास के एक अध्याय हैं ऐसे में उनके बारे में जानना महत्वपूर्ण हो जाता है । उनके बारे में कहा जाता है –

वीर शिवाजी सिर्फ नाम नहीं, वीरता की अमर कहानी है ।
वह भारत का वीर, क्षत्रियता की अमिट निशानी है ॥

शिवाजी महाराज की जीवनी

मराठा राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज भारतवर्ष के महान राजाओं में से एक थे। इन्होंने अकेले ही अपनी सेना के साथ मिलकर मुगल शासक औरंगजेब के खिलाफ मोर्चा खोला था। शिवाजी महाराज एक कुशल राजा होने के साथ-साथ एक अच्छे रणनीतिकार भी थे। जिन्होंने मुगलों के चंगुल से भारतवर्ष को आजाद कराने के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन त्याग दिया ।  इसलिए इन्हें हिंदूओं का नायक भी कहा जाता है। छत्रपति शिवाजी महाराज एक निडर, बहादुर, साहसी योद्धा और लोकप्रिय राजा थे।

ऐसे में आज हम आपको शिवाजी महाराज के प्रेरक जीवन के बारे में बताने जा रहे हैं। जिससे आप अवश्य ही इनके गौरवशाली इतिहास को जान पाएंगे।

शिवाजी महाराज का संक्षिप्त परिचय

आगे प्रस्तुत है शिवाजी महाराज की संक्षिप्त जीवन परिचय जिसमें हमने उनसे संबंधित सभी मुख्य तथ्यों को एक जगह लिख दिया है ।

पूरा नामशिवाजी भोंसले
जन्म तिथि19 फरवरी 1630 
जन्मस्थानशिवनेरी किला, पुणे, महाराष्ट्र 
माता का नाम जीजाबाई
पिता का नामशाहजी भोंसले 
जीवनसाथीसाईबाई, सोयाराबाई, पुतलाबाई, लक्ष्मीबाई, सकवरबाई, काशीबाई 
संतान संभाजी, राजाराम, सखुबाई निम्बालकर, रणुबाई जाधव, अंबिकाबाई महादिक और राजकुमारबाई शिर्के 
राज्यरायगढ़ किला, महाराष्ट्र 
सिक्के का नामस्वर्ण मुद्रा को ‘होन’ तथा ताम्र मुद्रा को ‘शिवराई’ 
शासनकाल  1674-1680
उत्तराधिकारीसांभजी भोंसले
शिवाजी जयंती19 फरवरी
मृत्यु तिथि  3 अप्रैल 1680

शिवाजी महाराज के जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु

  1. शिवाजी महाराज का नाम उनके माता-पिता ने भगवान शिव के नाम पर रखा था। उन्हें इतिहास और राजनीति की अच्छी समझ थी।
  2. इनके पिता शाहजी भोंसले एक प्रभावशाली सामंत थे जिन्होंने अलग अलग समय पर अहमदनगर , बीजापुर और मुगलों के लिए अपनी सैन्य सहायता दी थी ।
  3. शिवाजी की माता धार्मिक विचारों की महिला थी। जिस कारण इन्होंने बचपन में ही रामायण और महाभारत का अध्ययन कर लिया था।
  4. इनके पिता शाहजी भोंसले ने तुकाबाई नामक स्त्री से दूसरा विवाह किया था। इस दौरान इनकी माता जीजाबाई और शिवाजी का संरक्षण दादोजी  कोंणदेव ने किया था।
  5. दादोजी कोंणदेव से ही शिवाजी ने घुड़सवारी, तलवारबाजी और निशानेबाजी सीखी थी। साथ ही इनके गुरु का नाम रामदास था।
  6. इन्होंने मात्र 16 वर्ष की आयु में तोरण दुर्ग  पर विजय प्राप्त कर ली थी। इसके बाद रायगढ़ और प्रतापगढ़ को भी शिवाजी ने अपने अधिकार में ले लिया था।
  7. इनका प्रथम विवाह साईबाई निम्बालकर से वर्ष 1640 में हुआ था। इसके बाद इन्होंने राजनीतिक संबंधों के आधार पर कुल 8 विवाह किए।
  8. वर्ष 1674 में शिवाजी महाराज को छत्रपति के सम्मान से नवाजा गया। हालंकि इनको राजा मानने से कुछ लोगों ने सदैव ही इंकार किया। उनका मानना था कि शिवाजी क्षत्रिय नहीं थे। जिसके बाद इनके क्षत्रिय होने के प्रमाण को सिद्ध किया गया और इनका राज्याभिषेक हुआ। इसी साल 4 अक्तूबर को इनकी माता जीजाबाई की मृत्यु के कारण इनका दूसरी बार राज्याभिषेक किया गया।
  9. इनके राज्य में अष्ट प्रधान को मान्यता दी गई। जिसमें 8 मंत्रियों समेत पेशवा,अमात्य, मंत्री ,सचिव, सुमंत, सेनापति, पण्डितराव, न्यायाधीश को शामिल किया गया था।
  10. शिवाजी अपनी गुरिल्ला (छापामार) युद्ध रणनीति के लिए जाने जाते हैं। जिसमें छापा मारना, पहले छोटे समूहों पर हमला करना आदि मुख्य था।
  11. शिवाजी को हिंदू धर्म का रक्षक कहा गया है। जिसके तहत वह उन्हें भू राजस्व और कर लगाने का अधिकार प्रदान करती है।

आदिलशाह और शिवाजी का युद्ध

शिवाजी ने आदिलशाह के कोंढाणा किले पर आक्रमण कर दिया था। जिसके बाद आदिलशाह ने इनके पिता को बंदी बना लिया था। क्योंकि इस समय शिवाजी के पिता आदिलशाह की सेना के सैन्य अभ्यासों का ही हिस्सा थे। ऐसे में शिवाजी ने किले से अपनी सेना हटा ली थी । लेकिन रिहाई के बाद इनके पिता की मृत्यु भी हो गई। तब शिवाजी ने दुबारा कोंढाणा किले पर हमला करके उसे अपने अधीन कर लिया था।

अफजल खान और शिवाजी का युद्ध

वर्ष 1659 में आदिलशाह ने शिवाजी से बदला लेने के लिए अपने सेनापति अफजल खान को भेजा। तब शिवाजी ने अफजल खान को हराकर उसे मौत के घाट उतार दिया था। इसी दौरान शिवाजी की सेना ने बीजापुर पर हमला किया था। जिसमें काफी संख्या में सैनिक और अफजल खान के पुत्रों की मौत हो गई। इसके बाद मुगल शासक शिवाजी को अपना सबसे बड़ा शत्रु मानने लगे थे।

मुगल शासक औरंगजेब और शिवाजी का युद्ध

जब मुगल शासक औरंगजेब अपने सेना के साथ दक्षिण भारत की ओर बढ़ रहा था। तब उसका सामना शिवाजी महाराज से हुआ। तब औरंगजेब का मामा शाइस्ता खान सेना के साथ पुणे पहुंचा। इस दौरान शाइस्ता खान को शिवाजी से करारी हार मिली और वह अपनी 4 कटी उंगलियों और हारी हुई सेना के साथ वापिस लौट गया।

इस युद्ध के बाद से शिवाजी का यश भारतवर्ष में फैल गया। लेकिन मुगल शासक औरंगजेब इतने से हार नहीं मानने वाला था। उसने शिवाजी से बदला लेने के लिए उनके क्षेत्र में लूटपाट शुरू कर दी। जिसके बदले में शिवाजी ने भी औरंगजेब की सेना को करारा जवाब दिया।

हालंकि इस युद्ध के बाद औरंगजेब ने शिवाजी को आगरा बुलाकर उन्हें बंदी बना लिया था। जहां शिवाजी के पुत्र संभाजी ने वेश बदलकर शिवाजी को औरंगजेब की जेल से आजाद कराया।

इसके बाद साल 1688 में शिवाजी ने मुगल शासक औरंगजेब से संधि की। तब शिवाजी को मुगल शासक औरंगजेब ने राजा मान लिया गया और उनका राज पाट लौटा दिया गया। उनके पुत्र शम्भाजी को 5000 की मनसबदारी दी गई एवं सुपा चाकन एवं पुना शिवाजी को वापिस कर दी गई ।

वर्ष 1670 में शिवाजी ने सूरत को दुबारा लूटकर एक बार फिर मुगल सैनिकों को युद्ध में धूल चटाई। इसके बाद शिवाजी ने अपने राज्य का विस्तार किया और उनकी प्रसिद्धि संपूर्ण भारत वर्ष में फैल गई।

शिवाजी महाराज के जीवन का अंतिम समय

शिवाजी महाराज एक लंबे अरसे से बीमार चल रहे थे और 50 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई। भारत माता का यह लाल 3 अप्रैल 1680 को सदा के लिए संसार को अलविदा कह गया।

भारतवर्ष की समस्त जनता और हमेशा छत्रपति शिवाजी महाराज एक महान् शासक के रूप में सम्मान देती रहेगी और उनके योगदान के लिए उनके प्रति सदैव कृतज्ञ रहेगी।


इति

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विचारक्रांति के लिए :- आंशिका

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