सर्व मंगल मांगल्ये मंत्र (Sarva Mangala Mangalye mantra) यह मंत्र नवदुर्गा में मां महागौरी को समर्पित मंत्र है । ऐसी मान्यता है कि इस मंत्र के उच्चारण से जीवन में जहां कष्ट क्लेश का निवारण होता है वहीं जीवन में सुख शांति और समृद्धि आती है।
आज वर्ष 2023 का शारदीय नवरात्र समाप्त हो रहा है । समूचे भारतवर्ष सहित विश्व के विभिन्न स्थानों पर रहने वाले सनातन धर्मावलंबी लोग दुर्गा पूजा को अत्यंत श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाते हैं।
सनातन परंपरा में संस्कृत को देवभाषा की संज्ञा प्राप्त है तथा पूजा पाठ के कार्यक्रमों के दौरान संस्कृत के मंत्रों से हम देवी देवताओं का अर्चन और वंदन करते हैं।
दुर्गा पूजा में हम सभी लोग शक्तिस्वरुपा मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा अर्चना करते हैं। दुर्गा पूजा में दुर्गा सप्तशती के पाठ की परंपरा है और इसमें ही सर्व मंगल मांगल्ए संस्कृत श्लोक आता है।
सर्व मंगल मांगल्ए श्लोक का अर्थ Sarva Mangala Mangalye mantra
Topic Index
देवी को प्रसन्न करने के लिए पूजा में संस्कृत श्लोको का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है। जिसमे से एक श्लोक के अर्थ को हम यहाँ विस्तार से बतायेंगे ताकि आप सब इसे पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से पढ़े व देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करें।
सर्व मंगल मांगल्ये मंत्र
ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥
मंत्रों में प्रयुक्त शब्दों का अर्थ –
संस्कृत शब्द | हिन्दी अर्थ |
---|---|
ॐ सर्वमंगल मांगल्ये( ॐ सर्व मंगल मांगल्ये ) | सभी मंगलों में मंगल |
शिवे | कल्याणकारी |
सर्वार्थसाधिके (सर्व अर्थ साधिके ) | सभी मनोरथों को सिद्ध करने वाली |
शरण्ये | शरणागत वत्सला , शरण ग्रहण करने योग्य |
त्रयम्बके | तीन नेत्रों वाली |
गौरी | शिव पत्नी |
नारायणी | विष्णु की पत्नी |
नमोस्तुते (नमः अस्तु ते ) | तुम्हे नमस्कार हैं |
सर्व मंगल मांगल्ए मंत्र में प्रयुक्त शब्दों का अर्थ
ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥
हिन्दी भावार्थ – हे माता गौरी आप ही सभी कार्यों को मंगल करने वाली , सभी साधनाओं को सुफल करने वाली परम कल्याणकारिणी हो । जीवन के सभी मनोरथ को पूर्ण करने वाली हो । तीन नेत्रों वाली, हे माता गौरी ! मैं आपकी शरणागति में हूं । हे माता! आप को मेरा नमस्कार है ।
यहां Sarva Mangala Mangalye mantra त्र्यंबके अथवा तीन नेत्रों वाली माता से तात्पर्य भूत भविष्य और वर्तमान तीनों कालों को प्रत्यक्ष देखने वाली माता से संबंधित है ।
सर्व मंगल मांगल्ये मंत्र इन हिंदी
शक्ति उपासना का यह मंत्र सर्वत्र सुनाई देता है । नवरात्रि की महा शक्ति आठवीं महागौरी को समर्पित यह मंत्र अत्यंत शुभ, सौभाग्य और समृद्धि प्रदान करने वाला है।
यह मंत्र मां दुर्गा के विभिन्न मंत्रों में से एक है, सर्व मंगल मांगल्ये मंत्र। यह मंत्र इतना शुभफलदायी माना जाता है कि इसे किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले पढ़ा जाता है।
हम अपने दैनिक जीवन में भी इस मंत्र को पढ़ करके इसका पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इस मंत्र का जाप दिन में कम से कम 108 बार (नवरात्रि के 9 दिनों तक) करना चाहिए।
नवरात्रि के उपरांत भी अगर आप इसे जपना चाहते हैं तो इसे लिख कर रख सकते हैं। या आप हमारे इस पोस्ट को बुकमार्क करके रख सकते हैं । आप की सुविधा के लिए इस मंत्र को हमने एक बार और यहां लिख दिया है –
ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥
अन्य संस्कृत श्लोक अर्थ सहित
दुर्गा सप्तशती से इस श्लोक का विस्तृत रूप जहां माता दुर्गा के विभिन्न रूपों और शक्तियों की वंदना की गई है , इस प्रकार है-
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ – सभी भूत यानि सभी प्राणियों में शक्ति के रूप में विराजमान देवी को मेरा नमस्कार नमस्कार और बारंबार नमस्कार है
या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभि-धीयते ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ – सभी जीवो में चेतना के रूप में विराजमान देवी को मेरा बारंबार नमस्कार है
या देवी सर्वभूतेषु मातृ-रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ – सभी प्राणियों में मातृ शक्ति के रूप में विराजमान देवी स्वरूप को हमारा बारंबार नमस्कार है ,नमस्कार है, नमस्कार है।
या देवी सर्वभूतेषु दया-रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ – सभी जीवो में दया के रूप में विशेष रूप से स्थित माता महागौरी को मेरा नमस्कार है, नमस्कार है बारंबार नमस्कार है ।
या देवी सर्वभूतेषू क्षमा रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ – जो देवी सभी प्राणियों में क्षमा रूप में सहनशीलता के रूप में स्थित हैं उनको मैं बारंबार नमस्कार करता हूं उनका मैं बारंबार नमस्कार करता हूं ।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि-रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ –जो देवी सभी प्राणियों में बुद्धि के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।
या देवी सर्वभूतेषु विद्या-रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ – सभी जीवो में विद्या के रूप में विराजमान मां दुर्गा देवी को मेरा बारंबार अभिनंदन नमस्कार है । हे माता मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ।
या देवी सर्वभूतेषु स्मृति-रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ –सभी जीवो में स्मृति अर्थात स्मरण शक्ति के रूप में विद्यमान रहने वाली देवी को मेरा बारंबार नमस्कार है ।
या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धा-रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ – सभी जीवो में जो देवी श्रद्धा, आदर, सम्मान के रूप में विराजमान हैं, उनको मेरा बारंबार नमन है। मैं उनको बारम्बार प्रणाम करता हूँ।
या देवी सर्वभूतेषु भक्ति-रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ – सभी जीवो में ,सभी प्राणियों में भक्ति, निष्ठा और अनुराग के रूप में स्थित रहने वाली देवी को मेरा बारम्बार नमस्कार है । आपको मेरा बार-बार प्रणाम है।
या देवी सर्वभूतेषु शांति-रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ –जो देवी सभी जीवो में सभी प्राणियों में शान्ति के रूप में स्थित हैं, उनको मेरा बारम्बार अभिनंदन है । मेरा बारम्बार नमस्कार है ।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी-रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ – जो देवी सभी ,सब प्राणियों में लक्ष्मी, वैभव के रूप में स्थित हैं, उनको मेरा बारम्बार अभिनंदन है । मेरा बारम्बार नमस्कार है ।
या देवी सर्वभूतेषू जाति रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ – जो देवी सभी प्राणियों के सृजन का मूल कारण है, उनको नमस्कार, बारंबार नमस्कार है ।
या देवी सर्वभूतेषू कान्ति रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ –जो परमशक्ति परम्बा देवी सभी प्राणियों में तेज, दिव्यज्योति और सकारात्मक उर्जा रूप में विद्यमान हैं, ऐसी माता को मेरा बारंबार नमस्कार है।
या देवी सर्वभूतेषु तृष्णा-रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ – सभी जीवो ,सभी प्राणियों में जो देवी तृष्णा के रूप में विराजमान हैं सभी प्राणियों में ईच्छा के रूप में अवस्थित हैं ऐसी परमशक्ति पराम्बा माता दुर्गा को मेरा बारम्बार नमस्कार है ।
या देवी सर्वभूतेषु क्षुधा-रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ –सभी जीवो ,सभी प्राणियों में जो देवी क्षुधा (भूख ) के रूप में विराजमान हैं, उनको नमस्कार, है उनको मेरा बारंबार नमस्कार है।
या देवी सर्वभूतेषू भ्रान्ति-रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ –जो देवी सभी जीवो ,सभी प्राणियों में भ्रान्ति रूप से स्थित हैं, ऐसी माता को मेरा बारम्बार नमस्कार है । उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।
या देवी सर्वभूतेषु वृत्ति-रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ – सभी जीवो ,सभी प्राणियों में जो देवी वृत्ति अर्थात सहज प्रवृत्ति व व्यवहार के रूप में अवस्थित हैं ऐसी परम शक्ति माता को मेरा बारम्बार नमस्कार है।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टि-रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ – सभी जीवो ,सभी प्राणियों में जो देवी तुष्टि अर्थात संतोष के रूप में विराजमान हैं उनको मेरा बारम्बार नमस्कार है । ऐसी देवी को मेरा बारम्बार अभिनंदन है ।
या देवी सर्वभूतेषु निद्रा-रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थ – सभी जीवो ,सभी प्राणियों में जो देवी जीवन के परम तत्व अर्थात निद्रा के रूप में विराजमान हैं, उनको मेरा नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है ।
सर्व मंगल मांगल्ये मंत्र जपने का लाभ
- ॐ सर्व मंगल मांगल्ए शिवे सर्वार्थ साधिके – इस मंत्र का जाप करने से जीवन में संकट और क्लेश का नाश होता है।
- पूर्ण भक्तिभाव श्रद्धा पूर्वक इस मंत्र का जाप करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है तथा साधक को जीवन के सभी क्षेत्रों में अपेक्षित सफलता प्राप्त होती है।
- इस मंत्र के पाठ से शरीर निरोग होता है।
- जीवन में स्वास्थ्य का आगमन होता है।
- इसके साथ ही इस मंत्र के जाप से भौतिक तथा धार्मिक क्षेत्र में अन्य लाभ प्राप्त होते हैं ।
उम्मीद है यह लेख जिसमें हमने सर्व मंगल मांगल्ये मंत्र (Sarva Mangala Mangalye mantra) से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें और इसके अर्थ आदि को समझाने का प्रयास किया है आपको पसंद आया होगा । इसमें समीचीन संसोधन हेतु सुझाव अथवा इस लेख पर अपने विचार नीचे कमेन्ट बॉक्स में लिख कर जरूर भेजें ।
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