प्रेरक लघु कथाएं (motivational story in hindi) पढ़ने में रुचिकर होती हैं , छोटी कहानियों को पढ़ना सुखद और सरल रहता है। इन कहानियों के अंत में संदेश अत्यंत गूढ़ रहतें हैं , जो कई बार पढ़ने वाले को जीवन जीने हेतु कुछ नए सूत्र दे जाते हैं।
इन प्रेरणादायक कहानियों(motivational stories) का अपना एक व्यक्तित्व और आभामंडल होता है, जिस कारण ये पीढ़ियों से मानव जीवन को प्रेरित(motivate) करतीं आ रहीं हैं, और आगे भी युग-युगान्त तक जीवन प्रश्नों के हल लोग इन कहानियों के माध्यम से पाते रहेंगे।
अपनी अस्वस्थता में पढ़ने के सिवा और कुछ किया नहीं जा सकता तो मैंने इन सप्ताहों के दरम्यान सैकड़ों कहानियां पढ़ डाली जिनमें से कुछ सबसे ज्यादा पढ़ी और सुनी जाने वाली कहानियां आपको भी अपने अंदाज में सुनना चाहता हूं … आपके लिए लिख रहा हूँ।
इंसान जितना इन कहानियों से सीखता है शायद ही किसी और चीज से सीखता हो ! इन कहानियों (inspirational story in hindi language) में गजब के सन्देश छुपे हुए हैं। ये सन्देश न सिर्फ जीवन संघर्षों में आगे बढ़ने की प्रेरणा देतें हैं बल्कि कई बार तो चुनौतियों से बाहर निकलने का मार्ग भी प्रशस्त करती हैं। शीर्षक के आगे ही कोष्ठक में कहानी के मुख्य सीख (सूत्र) को भी लिख दिया गया है जबकि कहानी से मिलने वाली सीख(learning from the story) की संक्षिप्त विवेचना प्रत्येक कहानी के अंत में लिखी गयी है। हमें विश्वास है आप इस प्रयास को सार्थक कहेंगे .!
01 Motivational Story Hindi-नन्हीं तितली (#Struggle)
एक बच्चा बगीचे में खेल रहा था, उसने देखा कि तितली अपने खोल (प्यूपा) से बाहर निकलने की कोशिश कर रही है ।
बच्चे के लिए यह एक अनोखी अनदेखी घटना थी। बच्चा यह देखने में काफी मगन हो गया । उसने देखा नन्हीं सी जान तितली निकलने के लिए काफी कोशिशें कर रही है पर उसको बाहर निकलने में काफी दिक्कत आ रही है, काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है ।
बच्चा तितलियों से काफी प्रेम करता था उससे तितली की यह पीड़ा देखना सहा नहीं जा रहा था। छोटे बच्चे ने तितली की मदद करने की सोची , दौड़ कर अपने घर गया और वहां से एक छोटी सी कैंची ले आया। बड़े ही प्रेम से खोल के उस हिस्से को जहां तितली के पंख फसें हुए थे थोड़ा काट दिया।
बच्चे को यह देख कर बहुत संतोष हुआ कि अब उसकी प्यारी तितली बड़ी आसानी से बाहर निकल आयी लेकिन अगले ही पल वह संतोष दुःख में बदल गया क्योंकि उसकी वह तितली अब उड़ नहीं पा रही थी। शायद बच्चें की इस हमदर्दी ने उससे उड़ने का हुनर हमेशा के लिए छीन लिया था …।
सीख
जीवन के संघर्ष से ही आगे जीवन जीने के लिए शक्ति मिलती है। बिना संघर्ष के जीवन में आगे बढ़ा ही नहीं जा सकता। इसलिए चुनौतियों का सामना स्वयं कीजिए और सीखिए इससे बाहर आने की कला, जो आपको अपने सपनों के नीले आसमान में उड़ना सिखाएगी।
यह उसके लिए एक कुतूहल का विषय था कि आखिर इतनी छोटी रस्सी से विशालकाय और अत्यंत शक्तिशाली हाथी को कैसे बांधा जा सकता है ?
अपनी जिज्ञासा के वशीभूत होकर वह उस कैंप में गया और वहां मौजूद ट्रेनर से पूछा – इन हाथियों के पैरों में इतनी छोटी रस्सी से क्यों बांधा गया ? जिसे ये झटके में तोड़ सकतें हैं।
ट्रेनर ने उत्तर दिया -जब यह हाथी बहुत छोटे थे तो इनको ऐसे ही छोटी रस्सियों से बांधा जाता था. जो उस समय उनके आकार और ताकत के हिसाब से सही था। तब लाख कोशिशों के बावजूद भी वह इन रस्सियों को नहीं तोड़ पाए और उनके मन में यह बात बैठ गई कि इन्हें नहीं तोड़ा जा सकता। इसलिए हम अभी भी उसी प्रकार के रस्सियों का उपयोग कर रहे हैं इन्हें काबू में रखने के लिए…।
सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमारे जीवन में धारणा का Belief System का बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थान है। हम आज जो भी हैं, जहां भी हैं अपनी धारणाओं की वजह से अपने Belief System की वजह से ही हैं। हमारी धारणा में वो बल है जो हमारे जीवन की कायापलट कर दे ।
जीवन में जिस किसी भी चीज को पाना चाहते हैं उसके प्रति आस्थावान बने रहिए। अपने मन में यह विश्वास दृढ़ कीजिये कि उसे प्राप्त करना सरल और संभव है। फिर दुनियाभर की बदनीयती भी आपको सफल होने से रोक नहीं सकती !
मेंढ़क की यात्रा (#Encouragement)–Motivational Story Hindi
एक बार सुंदरवन में मेढकों का एक समूह वनयात्रा पर निकला । जंगल में आगे जाते हुए उनके दो साथी एक गहरे गड्ढे में गिर पड़े। जैसे ही मेढकों को यह बात पता लगी सब ने उस गड्ढे को चारों ओर से घेर लिया और कहने लगे कि अब इन दोनों का निकलना असंभव है !
बहरहाल दो मेढ़क जो उस गहराई में फंस गए थे ,उन्होंने लोगों के द्वारा की जा रही बातों को नज़रअंदाज़ करना ही उचित समझा और बाहर निकलने का प्रयास करने लगे। दोनों ने ऊपर की ओर छलांगें लगाना शुरू किया। प्रारंभिक असफलताओं के बावजूद भी प्रयास जारी रखा, और हर बार गिरने के बाद वह ऊपर की ओर छलांग लगाते। धीरे-धीरे दोनों ऊपर की ओर बढ़ने लगे।
दोनों मेंढ़क ऊपर की ओर छलांग लगाते लेकिन फिसल कर थोड़ा नीचे भी आ जाते इस प्रकार हर नए छलांग में वह अपने नए जगह से थोड़ा ऊपर जरूर पहुंच जाते थे।
अथक प्रयास करते करते हुए ऊपर तक पहुंच गए जहां से कुछ और गिनती के छलांग के सहारे वो उस गड्ढे से बाहर निकलने में कामयाब हो जाते। इस जगह से उन्हें अपने साथियों की आवाजें भी सुनाई पड़ने लगीं थी।
जहां उनके साथी कह रहे थे कि प्रयास मत करो ! तुम्हारा बाहर निकलना मुश्किल ही नहीं असंभव है ! तुम बाहर नहीं निकल सकते !
थोड़ी देर के बाद एक मेंढक छलांग लगाना छोड़ दिया और पुनः नीचे गहराई में जा गिरा…। परन्तु दूसरे ने और घनघोर प्रयास शुरू कर दिए महज 10 से 20 छलांग में दूसरा मेंढ़क उस गड्ढे से बाहर निकल आया।
उसके साथियों ने कहा – तुमने कैसे कर लिया यह तो असंभव था !
पूछताछ करने पर पता चला कि जो मेढ़क गड्ढे से बाहर निकलने में कामयाब हो पाया वह सुन नहीं सकता था। उसने अपने साथियों के निराशा पूर्ण वचनों को भी उत्साह का उदबोधन समझा था।
सीख
मेरे प्रिय दोस्तों शब्दों का मन मस्तिष्क पर अमोघ प्रभाव पड़ता है ,इसलिए किसी को कुछ कहते वक्त शब्दों को सोच समझकर उपयोग में लाना चाहिए। आपके उत्साह पूर्ण वचनों से किसी को नई जिंदगी मिल सकती है तो आपके ही वचनों से किसी की जान भी जा सकती है किसी का सब कुछ नष्ट भी हो सकता है। इसलिए वाणी का प्रयोग सदा सहज और संतुलित होकर ही करें …।
छोटी लड़की(#Creative Thinking)-Inspiring Hindi Story
इस Motivational Story Hindi में आप को पढ़ने को मिलेगा कि कैसे लीक से हट कर सोचने से कई बार भयंकर लगने वाले समस्याओं के समाधान भी चुटकियों में निकल आते हैं। पढ़िए आगे…
इटली के वेनिस नगर में एक व्यापारी था। एक बार उसे परिस्थितिवश अपने छोटे से व्यापार को चलाने के लिए शहर के एक बड़े व्यापारी से कर्ज लेना पड़ गया। कर्ज की रकम धीरे-धीरे इतनी बड़ी हो गई कि इस छोटे व्यापारी के लिए कर्ज चुकाना अब असंभव सा हो गया। दूसरी ओर क्रूर कर्ज दाता व्यापारी कर्ज चुकता करने के लिए लगातार दबाव बना रहा था।
छोटा व्यापारी जिसने कर्ज लिया था की एक छोटी बेटी भी थी, जिस पर उस क्रूर व्यापारी कर्ज माफ़िया की नजर अच्छी नहीं थी।
भयंकर दबाव में जब कर्जदार छोटे व्यापारी ने अदायगी में अपनी असमर्थता जताई तो बड़े व्यापारी की बांछे खिल गयीं। पहले तो उसने काफी गुस्सा किया भला बुरा कहा ,फिर बाद में उसने अपने कर्जदार व्यापारी को एक प्रस्ताव दिया ।
उसने कहा- ” ऐसा तो नहीं हो सकता, लेकिन फिर भी मैं तुमको एक मौका देता हूं परन्तु तुम्हें मेरी शर्त माननी होगी। “
मजबूर छोटे व्यापारी के पास सिवाय शर्त मानने के कोई चारा नहीं था।
छोटे व्यापारी ने कहा -” मुझे मंजूर है। ” बड़े व्यापारी ने कहा -” मैं एक बोरी में एक काला और एक सफ़ेद पत्थर चुन कर लाऊंगा और तुम्हारी बेटी को उसमें से एक पत्थर उठाएगी।
अब यहां सिर्फ दो बातें होंगी यदि तुम्हारी बेटी ने झोले में से काला पत्थर उठाया तो तुम्हारी बेटी मेरी पत्नी बनेगी और तुम्हारा कर्ज मैं माफ कर दूंगा। यदि उसने सफेद पत्थर उठाया तो तुम्हारा कर्ज माफ हो जाएगा उसे मुझसे शादी करने की भी जरूरत नहीं होगी। ”
एक पल के लिए कर्ज लेने वाला व्यापारी बेहोश हो गया लेकिन कोई दूसरा रास्ता तो था नहीं !
फैसले के लिए और लोग वहां जमा हुए। कर्ज देने वाले व्यापारी ने वही पास के बगीचे से पत्थर ढूंढना शुरू किया, लेकिन इस छोटे व्यापारी की बेटी ने देखा कि उसने दो काले पत्थर चुने और उसे अपनी बोरी में डाल लिया।
यहां उसके(छोटी लड़की) लिए तीन विकल्प हो सकते थे –
- या तो वह इस घटना की जानकारी सबको दे और व्यापारी की गलत मंशा का पर्दाफाश कर दे।
- दूसरा बोरी में से पत्थर उठाने से मना कर दे और
- तीसरा बड़े व्यापारी द्वारा किये जा रहे अन्याय को स्वीकार कर ले ।
लड़की ने पत्थर का टुकड़ा चुनने का निर्णय लिया ।
लड़की ने झोले में हाथ डाला पत्थर का टुकड़ा उठाया और बाहर की ओर फेंक दिया। लोगों ने कहा तुमने ऐसा क्यों किया इसमें तुमने कौन सा पत्थर उठाया यह तो पता ही नहीं चलेगा…। थोड़ी सी हलचल बढ़ गयी। बड़ा व्यापारी भी कहने लगा कि नहीं इसने तो कुछ गड़बड़ी की है।
लड़की ने बड़े प्रेम और शांति से जवाब दिया – “इसमें घबराने की क्या बात है? इसमें दो ही पत्थर थे एक सफेद और दूसरा काला मैंने एक को बाहर फेंक दिया। अब आप बोरी देख लीजिए कि दूसरा इसमें कौन सा बचा है ?और अंदाजा लगा लीजिए कि मैंने कौन से पत्थर का उठाया है। “
कर्ज देने वाला व्यापारी जो खुद को बहुत बड़ा सूरमा समझ रहा था चारों खाने चित हो गया। वह अपने द्वारा की जा रही चालाकियां तो लोगों को बता नहीं सकता था लड़की की युक्ति से उसकी सारी योजना निष्फल हो गई।
सीख
इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि जरूरी नहीं जीवन की समस्याओं का हल सिर्फ वहां बताए जा रहे विकल्पों से ही दिया जाए। कई बार समस्याओं को अलग दृष्टि से देखने पर सहजता से शानदार समाधान निकल आते है। लीक से हटकर(Out of the Box) लिए गए निर्णयों से कई बार अचंभित करने वाले परिणाम सामने आतें हैं।
एक पाव मक्खन(#Honesty)–Life story in Hindi
इस Hindi Motivational story में आप को पढ़ने को मिलेगा कि कई बार हमारे द्वारा किये गए कार्य के परिणाम कैसे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से हम तक लौट कर आते हैं। पढ़िए आगे…
एक दूध वाले की एक बेकर से दोस्ती थी। दूध वाला प्रतिदिन बेकर को एक पाव मक्खन देता और बदले में उस से पावभर डबल रोटी ले आता। दोनों बहुत आराम से समय व्यतीत कर रहे थे।
एक दिन बेकर के मन में ख्याल आया चलो मक्खन को तराजू से तौलते हैं। मक्खन पाव से कम था। सालों से यह आदमी मुझे कम मक्खन देता आ रहा है यह सोंच कर बेकर काफी क्रोधित हुआ, और उसने दूध वाले पर मुकदमा कर दिया।
जब कोर्ट में हाजिरी लगी तो जज ने दूध वाले से पूछा – ” तुमने इसे इतने सालों से कम मक्खन क्यों दिए ? “
कोर्ट में दूध वाले ने जज की ओर हाथ जोड़ते हुए कहा – ” माई बाप ! मैं अनपढ़ आदमी हूं, मुझे वजन का कोई हिसाब नहीं आता। और तो और इन सारी चीजों के लिए यह बेकर ही जिम्मेदार है। “
जज ने पूछा-” कैसे ”
दूध वाले का जवाब हक्का बक्का करने वाला था। उसने कहा -” मैं प्रतिदिन इससे पावभर डबलरोटी ले जाता हूँ उसे ही तराजू पर वाट की तरह उपयोग करता हूँ। जज साहब अब बताइये मैं कैसे दोषी हूँ ? “
सीख
जिंदगी हमें कुछ अलग नहीं देती है,जिंदगी लौटाती है। हम जिंदगी को जो देतें हैं वही जिंदगी हमें लौटाती है। हम जैसा कर्म करेंगे उसके अनुरूप हमें फल की प्राप्ति जरूर होगी। इसलिए हमें किसी को ठगने की मुर्ख बनाने की जरूरत नहीं है क्योंकि ऐसा करके हम अंततोगत्वा स्वयं को ही धोखा दे रहे होते हैं।
रास्ते का पत्थर (#Opportunity)-Motivational Story Hindi
एक राजा ने एक बार अपने लोगों की परीक्षा लेनी चाही। सुबह सवेरे उठकर वह अपने राजमहल से बाहर निकला और राजमहल की ओर आने वाले रास्ते पर एक बड़ा सा पत्थर रखकर स्वयं बगल की झाड़ियों में जा छिपा।
सुबह राज दरबार में आने वाले लोगों का क्रम प्रारंभ हुआ, नगर के बड़े-बड़े व्यापारी, संभ्रांत लोग उधर से गुजरे। लोग उस पत्थर को हटाने की बजाय बगल से निकलने लगे कुछ तो जमकर राजा के बारे में भला बुरा कहते हुए वहां से निकला लेकिन पत्थर हटाने की कोशिश किसी ने नहीं किया।
फिर भी राजा थोड़ी दूर पर झाड़ियों में छिपा बैठा रहा। थोड़ी देर बाद गांव का एक किसान अपनी काठगाड़ी पर सब्जियां लेकर आया। उसने देखा कि आगे रास्ते पर एक विशाल पत्थर रखा हुआ है। किसान ने अपनी गाड़ी को सड़क के किनारे लगाया और पत्थर को हटाने लगा । पत्थर भारी था… उसे बहुत ज्यादा परिश्रम करनी पड़ी तब कहीं अंत में पत्थर हटाने में कामयाब हो पाया।
पत्थर हटाकर अपने हाथों को झाड़ता हुआ वह किसान अपनी गाड़ी पर जा बैठा। तभी उसकी नजर सड़क पर पड़ी एक पोटली पर गई जो ठीक पत्थर वाली जगहपर थी। उसी पत्थर के नीचे जिसे अभी उसने हटाया, लेकिन वह पत्थर को हटाने में इतना मशगूल था कि उसकी नजर पोटली पर नहीं गयी।
किसान उस पोटली के पास गया पोटली खोला तो उसमें ढेर सारी स्वर्ण मुद्राएं थी और साथ ही एक कागज पर लिखा हुआ संदेश भी था -“यह स्वर्ण सिक्के यह धन उस व्यक्ति के लिए है जिसने इस पत्थर को हटाया है ! “
किसान का दिन बन गया वह झूमता हुआ गाड़ी लेकर आगे की ओर बढ़ चला।
सीख
दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख लेनी चाहिए कि जीवन में प्रश्न कितने भी गंभीर क्यों ना हो ? चुनौतियां कितने भी कठिन क्यों न हो लेकिन हर चुनौती हमें कुछ अच्छी बातें जरूर सीखा जाती हैं। हर चुनौती में एक अवसर छुपा होता है आवश्यकता उसे पहचानने की है।
Motivational Hindi Story-दीवार की सुराख़(#Anger)
एक पिता अपने पुत्र के क्रोध से अत्यंत विचलित रहा करता था। वह देखता था कि उसका बेटा बाकी सब चीज में बहुत अच्छा है बहुत आज्ञाकारी है बहुत मधुर भाषी है लेकिन उसे क्रोध बहुत आती है । और यदि उसे किसी बात पर क्रोध आ जाए तो फिर वह किसी को भी भला बुरा कहने में संकोच नहीं रखता था।
पिता ने अपने पुत्र को समझाने का एक तरीका ढूंढा उसने अपने पुत्र को एक सुबह अपने पास बुलाया और उसे कुछ काटियों /कील से भरा हुआ एक डब्बा दिया। डब्बा देते हुए उसने अपने पुत्र से इतना पूछा – ” बेटा तुम मेरी एक छोटी सी बात मानोगे ? “
पुत्र ने कहा – “जरूर मानेंगे, क्या चाहते हैं आप ?” तो उसने अपने बेटे को कहा -” तुम्हें जब भी क्रोध आए तो क्रोध पर काबू करने की कोशिश करो। लेकिन यदि फिर भी क्रोध करते हो तो एक कील ( आंगन की दीवार को बताते हुए कहा ) इस दीवार में ठोक दो। तुम्हें दिन में जितनी बार गुस्सा आए उतनी बार इसी तरह करो। “
लड़के ने हामी भर दी। पहले ही दिन लड़के को बहुत क्रोध आया। उसने दीवार में एक ही दिन में लगभग 20 के आसपास काटियाँ ठोक दी। लेकिन आगे आने वाले दिनों में दीवार पर लगने वाले कील की संख्या घटने लगी।
एक दिन ऐसा भी आ गया जब उसे दीवार में एक भी कील ठोकने की जरूरत नहीं पड़ी। चूंकि लड़के ने समझ लिया था कि कील ठोकने से आसान है क्रोध को रोक लेना। जब यह स्थिति दो-चार दिन बनी रही तो उसने अपने पिता से जाकर इस बात को कहा कि अब उसे दीवार में कील ठोकने की जरूरत नहीं पड़ती है।
पिता ने उसे शाबाशी दी और कहा -” अब जब तुम्हें कोई कुछ कहता है और तुम्हें लगता हो कि तुमने उस ख़राब लगने वाली बात पर भी क्रोध करने से रोक लिया स्वयं को , तो ऐसे हर प्रयास के लिए दीवार से एक कील निकल लो। “
दिन बीतते गए। एक दिन ऐसा भी आ गया जब बेटे ने दीवार से सारी कीलें हटा दी। फिर पिता को जाकर सारी बातें कही।
पिता दीवार के पास आये और अपने बेटे को समझाते हुए कहा -” बेटे ! शब्दों के पास एक अपनी शक्ति होती है और वो शक्ति यह है कि ये वापस नहीं लिए जा सकते। किसी को भला बुरा कहने के बाद तुम उससे लाख माफ़ी मांग लो लेकिन इन दीवारों में बनी सुराख़ की तरह घाव फिर भी बना रहता है। इसलिए किसी को भी क्रोध में कुछ बुरा कहने से बचो !”
बेटा अपने पिता की दी हुई सीख से गदगद हो गया। उसने आगे से अपने क्रोध और वचन पर नियंत्रण करने की प्रतिज्ञा ले ली।
सीख
हमें उत्तेजना के क्षणों में किसी को भी अपशब्द तथा अप्रिय नहीं कहना चाहिए। इससे बनने वाला घाव हजार माफ़ी मांगने से भी जीवन पर्यन्त भरता नहीं है। जिह्वा की चोट (वाणी से) से बना घाव कभी भरता नहीं है…!
सीखने की प्रक्रिया कभी खत्म नहीं होती,आदमी जीवन पर्यंत सीखता रहता है। कुछ अपने अनुभवों से कुछ दूसरों को देखकर तथा कुछ किताबों को पढ़कर। मुझे पूरा विश्वास है आपने इन कहानियों के माध्यम से कुछ तो जरूर सीखा होगा। क्या है वह सूत्र ? जो आपने सीखी इन कहानियों (motivational story Hindi) के माध्यम से कृपया कमेंट बॉक्स में लिखकर हम तक जरूर भेजिए !
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