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पंडित जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय |Jawahar Lal Nehru Hindi-Biography

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भारत के पहले प्रधानमंत्री का नाम क्या है ? जिनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है …यह प्रश्न, बचपन में सबसे अधिक पूछे जाने वाले कुछ विशेष प्रश्नों में से एक है । इसका सीधा सा जवाब है – पंडित जवाहर लाल नेहरू । पंडित जवाहरलाल नेहरू न सिर्फ भारत के पहले प्रधानमंत्री थे बल्कि भारत में सबसे अधिक दिनो तक प्रधानमंत्री पद पर रहने का रिकॉर्ड आज भी उन्हीं के नाम है ।  जिसकी चर्चा हमने आगे की है ।

आज भले ही नेहरू के ऊपर हजारों प्रश्न उठाए जा रहें हों लेकिन नेहरू जी एक महान दूरदर्शी राष्ट्र निर्माता थे, इसमें तनिक भी संदेह आपको भी नहीं रह जाएगा, जब आप उनके द्वारा किए गए कार्यों का अवलोकन करेंगे । 

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आज के मजबूत भारत को इस ऊंचाई तक लाने में उनका योगदान अतुलनीय है । इस लेख में नेहरू जी की संक्षिप्त  जीवनी को आप तक पहुंचाने के प्रयास में हम कितना सफल हुए हैं कृपया इसके बारे में कमेंट बॉक्स में अपने विचार लिख कर… हम तक जरूर भेजिए । आगे पढिए नेहरू जी की संक्षिप्त जीवनी …

जवाहर लाल नेहरू

पंडित जवाहर लाल नेहरू का प्रारम्भिक जीवन

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 ईसवी को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था । उनके पिता का नाम   मोती लाल नेहरू , और माता का नाम स्वरूप रानी था । पंडित जवाहरलाल लाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू अपने जमाने के एक सुप्रसिद्ध वकील थे ।  मोतीलाल नेहरू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अहम सदस्यों में से एक थे और स्वतंत्रता संग्राम   के  लंबे संघर्ष में उन्हें कांग्रेस ने दो बार अपना अध्यक्ष चुना था । 

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नेहरू जी तीन बहनों के अकेले भाई थे  और उनका परिवार तो धनाढ्य था ही !  इसलिए   जवाहरलाल नेहरु की परवरिश बिल्कुल एक राजकुमार की तरह हुई ।  उनके पिता ने अपनी छत्रछाया में उन्हें कभी मुश्किलों का सामना करने नहीं दिया था । 

पंडित जवाहर लाल नेहरू की शिक्षा दीक्षा 

जवाहर लाल नेहरू की शुरुआती शिक्षा उनके घर पर ही हुई । फिर बाद में उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा फेमस स्कूल हैरो से पूरी की । आगे कॉलेज की शिक्षा उन्होंने लंदन के प्रसिद्ध ट्रिनिटी कॉलेज में पाई और कैंब्रिज विश्वविद्यालय से उन्होंने लॉ की डिग्री पूरी की । इंग्लैंड में बिताए गए समय में ही  समाजवाद के प्रति उनकी धारणा और समझ मजबूत हुई , जिसकी उन्होंने जीवन भर वकालत की ।  आधुनिक भारत का लोकतांत्रिक समाजवाद बहुत हद तक नेहरू की परिकल्पनाओं पर ही आधारित है । 

पंडित जवाहरलाल नेहरू सन 1912 में अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद भारत वापस आए । भारत में ही उन्होंने अपनी वकालत शुरू की । सन् 1916 में उनका विवाह कमला जी से हुआ ।

स्वतंत्रता संग्राम में नेहरू जी का योगदान

सन् 1917 में वे होमरूल लीग में शामिल  हुए । सन 1919 में उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई ,जब गांधी जी रॉलेट एक्ट के खिलाफ पूरे भारत में  सविनय अवज्ञा आंदोलन चला रहे थे ।  

नेहरू महात्मा गांधी के विचारों से खासे प्रभावित और उनके व्यक्तित्व के प्रति बहुत आकर्षित हुए ।  नेहरू जी सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल हुए  और बाद के सभी प्रमुख आंदोलनों में महात्मा गांधी की छाया की तरह उनके साथ बने रहे । 

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असहयोग आंदोलन 1920 से 22 तक चला ।  इस आंदोलन में नेहरू की सक्रिय भूमिका रही जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार भी किया गया और फिर कुछ महीनों बाद उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया । 

1924 में उन्हें इलाहाबाद नगर निगम का अध्यक्ष भी चुना गया । अध्यक्ष के रूप में उन्होंने 2 वर्ष तक सेवा भी की लेकिन उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों के असहयोग का  हवाला देकर 1926 में  त्याग पत्र भी दे दिया ।

1929 के वार्षिक अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू को कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया ।  इसी सत्र में पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव भी पारित हुआ ।  26 जनवरी 1930 को भारत की आजादी की घोषणा करते हुए नेहरू जी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया ।  

तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने जब 1935 में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट लागू किया  तो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने  इस चुनाव में भाग लेने का निर्णय लिया । देश के सभी प्रांतों और केंद्रीय असेंबली में भारी संख्या में सीटें जीतकर राष्ट्रीय कांग्रेस ने सरकारों का गठन किया । 

पंडित नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर 1936 , और 1937 में भी चुने गए थे । 1942, में नेहरू जी को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गिरफ्तार भी किया गया और वे पूरे 3 साल तक जेल में रहे । इसमें उनकी रिहाई 1945 में ही संभव हो  सकी । 15 अगस्त सन् 1947 को भारत की आजादी के बाद जवाहर लाल नेहरू ने भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लिया ।

पंडित जवाहर लाल नेहरू एक प्रधानमंत्री के रूप में

सन 1947 में भारत की आजादी के पश्चात जब प्रधानमंत्री पद की बात हुई तो कांग्रेस में मतदान करवाया गया । इसमें सर्वाधिक मत सरदार पटेल को मिला उसके बाद आचार्य कृपलानी जी को समर्थन मिला था । 

इन दोनों व्यक्तियों ने गांधीजी के अनुरोध पर अपना नाम वापस ले लिया और इस तरह जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हुआ । 

 एक प्रधानमंत्री के रूप में देश के 500 से अधिक प्रिंसली स्टेट को  एक भारत के झंडे के नीचे  लाने का काम हो या भविष्य के भारत के निर्माण की योजना बनाने की … तमाम योजनाओं के निर्माण में उनकी अहम भूमिका रही ।  देश को आधुनिकता की राह पर मोड़ने के लिए  उन्होंने अनेकों प्रौद्योगिकी कॉलेज की स्थापना  की ।  देश में कल कारखानों की नींव डाली । देश की प्रगति को दिशा देने के लिए योजना आयोग की स्थापना की जिसमें रूस से प्रेरित होकर पंचवर्षीय योजनाओं के आधार पर देश को प्रगति के पथ पर चलाने की कोशिश की गई  । भारत के भविष्य को निर्धारित करने के लिए उन्होंने कई ऐसे कार्य किए जिसके दीर्घकालिक परिणाम आज भारत को मिल रहा है । 

( हालांकि योजना आयोग का नाम बदल कर अब नीति आयोग कर दिया गया है )

नेहरू जी के जीवन को ठीक से पढ़ने पर ऐसा लगता है कि वो कई सारे मामलों में अति आदर्शवादी थे ।   चीन और पाकिस्तान  के  प्रति उनका निर्णय सही साबित नहीं हुआ । इन दोनों देशों  के प्रति उनका नजरिया यथार्थ से काफी दूर मालूम पड़ता है ।   जब नेहरू जी अपने पंचशील और गुटनिरपेक्ष आंदोलन के द्वारा अपने को एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित कर रहे थे।   चाउ एन लाई  के साथ हिंदी-चीनी भाई-भाई का नारा दे रहे थे , ठीक उसी समय चीन ने 1962 में भारत पर हमला कर भारत को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया । 

मृत्यु : 

27 मई 1964 को पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपनी आखिरी सांस ली । पंडित नेहरू भले ही हमारे बीच में नहीं है लेकिन  उनके योगदान को भारत के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा ।  जब भी जहां भी एक मजबूत भारत की बात होगी… नेहरू की चर्चा के बिना वो बात मुक्कमल ही नहीं होगी !

देश और दुनिया के लिए पंडित नेहरू का योगदान

नेहरू जी के जीवन और व्यक्तित्व  को समग्रता में देखते हुए यदि  नेहरू जी के द्वारा देश और दुनिया में उनके योगदान की बात करें तो उनमें से कुछ प्रमुख योगदान ये होंगे –

  1. नेहरू शायद भारत के उन कुछ चुनिंदा नेताओं में से एक थे जो अपने समय से आगे की सोच रखते थे ।  भारत में व्याप्त सामाजिक असमानता , गरीबी और सांप्रदायिक सोच  के उन्मूलन को उन्होंने अपनी राजनीति का आधार बनाया ।  जन कल्याणकारी राज्य की स्थापना में उनकी सोच का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है । 
  2. नेहरू ने भारत को एक आधुनिक राज्य बनाने के लिए विभिन्न उद्योगों की स्थापना की ।  इन उद्योगों में उचित मानव संसाधन की उपलब्धता के लिए विभिन्न इंजीनियरिंग महाविद्यालय एवं संस्थानों की स्थापना की ।  चाहे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी हो , इसरो(ISRO) या डीआरडीओ(DRDO) इन सब की स्थापना में नेहरू  जी   का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष योगदान है । 
  3.  भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों की शुरूआत भी नेहरू जी के कार्यकाल में ही हुई थी। 1948 में परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना की गई तथा 1954 में परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना भी की गई ।  हालांकि भारत ने शुरू से ही परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग की ही बात कही है लेकिन आज भारत एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र है तो इस उपलब्धि तक आने में परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता । 
  1.  वैश्विक परिप्रेक्ष्य में देखें तो नेहरू जी को पंचशील के सिद्धांत और गुटनिरपेक्ष आंदोलन का जनक माना जाता है । जहां उन्होंने  तीसरी दुनिया के देशों को एकजुट किया और तत्कालीन शीत युद्ध से प्रत्यक्ष रूप से इन देशों को अलग रखा । 
  2. नेहरू जी एक उत्कृष्ट श्रेणी के लेखक थे –  जहां उनके द्वारा लिखे गए पत्र और पुस्तकों में उनकी वैश्विक राजनीति और इतिहास के समझ की स्पष्ट झलक मिलती है । उनकी कुछ प्रमुख पुस्तकें हैं विश्व इतिहास की झलक ग्लिम्पस ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री,  पिता के पत्र पुत्री के नाम,  एन  ऑटोबायोग्राफी, द डिस्कवरी ऑफ इंडिया आदि … । 

नेहरू जी के जीवन से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें

  1. नेहरू जी का जन्म 14 नवंबर 1889 को हुआ था  और उनकी मृत्यु 27 मई 1964 को 74 वर्ष की अवस्था में हुई थी
  2. उनकी शिक्षा-दीक्षा भारत और फिर ब्रिटेन में हुई थी । 
  3. सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान वर्ष 1919-20 में वह गांधी जी के संपर्क में आए और फिर पूरी जिंदगी गांधी के सच्चे अनुयायी बने रहे । 
  4.  26 जनवरी 1930 को नेहरू जी के नेतृत्व में ही भारत के पूर्ण स्वराज्य की घोषणा करते हुए देश का झंडा फहराया गया । 
  5.  भारत की आजादी से लेकर अपनी मृत्यु तक वे भारत के प्रधानमंत्री बने रहे । 
  6.  उन्होंने कई महत्वपूर्ण पुस्तकों की रचना की जिनमें से विश्व इतिहास की झलक और भारत एक खोज  डिस्कवरी ऑफ इंडिया प्रमुख है । 
  7.  हर साल 14 नवंबर को नेहरू के जन्म दिवस  को  बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है । 
  8.  सच्चे अर्थों में नेहरू ने ही देश में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत की थी और अनेकों कल कारखानों की स्थापना की थी । 
  9. वे करीब 17 साल (15 अगस्त 1947 से लेकर 27 मई 1964 ) तक प्रधानमंत्री रहें  ।

मित्र  तो यह थी देश के सबसे पहले प्रधानमंत्री   जवाहरलाल नेहरू की एक संक्षिप्त जीवनी ।  भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में वो हमेशा चर्चित व्यक्तित्व ही रहेंगे ,  ऐसे में उनके जीवन के कुछ पक्षों को जानना आपके लिए उपयोगी रहा होगा ।  


हमें पूरा विश्वास है कि आपको जवाहर लाल नेहरू की जीवनी लिखने का हमारा यह प्रयास पसंद आया होगा ,त्रुटि अथवा किसी भी अन्य प्रकार की टिप्पणी नीचे कमेंट बॉक्स में सादर आमंत्रित हैं …लिख कर जरूर भेजें ! इस (jawahar lal nehru hindi) लेख को अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल्स पर शेयर भी करे क्योंकि Sharing is Caring !

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