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Google ने याद किया 1200 kg उठाने गामा पहलवान को पढिए गामा पहलवान की जीवनी 

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गामा पहलवान के 144वें जन्मदिन पर गूगल ने खास doodle बनाकर गामा को याद किया है । gama pehlwan के इस डूडल को बनाने वाली आर्टिस्ट का नाम है वृंदा जावेरी और इस लेख में जानिए – कि क्या था गामा पहलवान में खास..  जिसने उनको सभी भारतवासी का चहेता बना दिया था । आज भी हम अनजाने में किसी को कह बैठते हैं – खुद को गामा समझते हो क्या ?  इस पोस्ट में आपके लिए गामा पहलवान से जुड़ी बेहद खास बातें – 

गामा पहलवान की प्रारम्भिक जानकारी 

उपलब्ध जानकारी के अनुसार गामा पहलवान का जन्म 22 मई 1878 को कपूरथला जिले के जब्बोवाल गांव के एक कश्मीरी मुस्लिम परिवार हुआ था । गामा के पिता मोहम्मद अजीज बख्श ने गामा को पहलवान बनने का सपना दिखाया था जिसे साकार किया उसके मामा और नाना ने.. 

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आज गामा पहलवान के 144वें जन्मदिन पर google ने खास doodle बनाकर गामा को याद किया है । आईए जानते हैं – गामा के बारे में 

दारा सिंह (Dara Singh) से भी पहले ‘रुस्तम-ए-हिन्द’ (Rustam-e-Hind) का खिताब अपने नाम करने वाले गुलाम मोहम्मद बख्श उर्फ गामा वो शख्स हैं जिन्होंने वर्ल्ड चैंपियन (Wrestling world champion) बनने के साथ ही बड़े-बड़े दिग्गजों को पहलवानी में आने के लिए प्रेरित किया था।

गामा पहलवान
Google doodle of gama – Image credit to the original owner

महाराज भवानी सिंह जी का दरबार

गामा के पिता मोहम्मद अज़ीज़ बख्श Mohammad ajij Baksh Butt) दतिया के महाराज भवानी सिंह जी के दरबार में कुश्ती लड़ते थे। और उनकी बड़ी इच्छा थी कि उनका बेटा उनकी जगह ले लेकिन बदकिस्मती से जब गामा सिर्फ 6 साल के थे तो उनके पिता की मौत हो गई । जिसके बाद उनके नाना नून पहलवान और फिर उनके मामा ईदा  पहलवान से गामा और उनके भाई ने कुश्ती के पैंतरे सीखे।

गामा पहलवान से जुड़े कुछ प्रमुख बिन्दु 

  •  गामा पहलवान सबसे पहले उस समय चर्चा में आए जब जोधपुर महाराज द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में 450  पहलवानों में से प्रथम 15 में आए ।  जिसके बाद 10 साल के बच्चे का साहस देखकर तत्कालीन जोधपुर रियासत के महाराज ने उन्हें इस प्रतियोगिता का विजेता घोषित कर दिया । बाद में दतिया के महाराज भवानी सिंह  ने उनका पालन पोषण आरंभ किया ।
  • 1895 में उस समय के प्रसिद्ध पहलवान रहीम बख्श सुल्तानीवाला  जिसकी हाइट 7 फीट थी को 5 फुट 7 इंच के गामा ने बराबरी पर रोक दिया । सन 1910 तक एक रहीम बख्श सुल्तानीवाला को छोड़कर अन्य सभी पहलवान गामा से हार चुके थे । इसके बाद कुछ अन्य कुश्ती चैंपियनशिप जीतने के लिए गामा अपने भाई के साथ लंदन चले गए । 
  • इंग्लैंड में यूरोप के प्रसिद्ध पहलवान स्टैनिस्लॉस ज़ैविस्को को कुश्ती में हराया और लगभग सभी कुश्ती के बड़े खिताब अपने नाम किए । जिसमें 1910 में वर्ल्ड हैवीवेट चैम्पियनशिप का इंडियन वर्जन और 1927 में वर्ल्ड रेसलिंग चैम्पियनशिप भी  शामिल हैं. हालांकि भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय गामा पहलवान अपने परिवार के साथ लाहौर चले गए थे और उन्होंने उस वक्त की हिंसा में कई हिंदू परिवारों की जान बचाई थी।

गामा पहलवानअन्य तथ्य 

कुश्ती यानि पहलवानी जो अब केवल हरियाणा,पंजाब और थोड़ी बहुत यूपी जैसे राज्यों में सिमट के रह गया है।  कभी हमारे पूरे देश में मनोरंजन का प्रमुख साधन हुआ करता था। आज भी लोग किसी की ताकत की तुलना करते हुए पूछ बैठते हैं क्या तुम खुद को गामा समझते हो !

किसी जमाने में पहलवानों को समाज में वही रुतबा हासिल था जो आज समाज में कम से कम उत्तर भारतीय समाज में आईएएस और आईपीएस को हासिल है या स्टार्टअप शुरू करने वाले युवाओं को आगे हासिल होगा ऐसा प्रतीत होता है । 

हर परिवार जिसमें पहलवान होता था वह खुद को गौरवान्वित अनुभव करता था देश के सभी राजा रजवाड़े या  रियासत और जमींदार अपने यहां पहलवानों को बड़ा ही सम्मान दिया करते थे। 

गामा पहलवान
Gama Pehlwan (Image credit- Wikipedia)

गामा पहलवान का व्यायाम 

दतिया के महाराजा भवानी सिंह  के दरबार में पहलवान बनने के बाद गामा पहलवान आदतन 12 घंटे से अधिक समय तक अभ्यास किया करते थे। ऐसा कहा जाता है कि वह नियमित रूप से दो से तीन हजार दंड बैठक और एक दिन में लगभग 3000 पुश-अप किया करते थे। इतना ही नहीं गामा पहलवान भी अपनी पीठ पर 50 किलो वजन का पत्थर बांधकर नियमित रूप से 1 से 2 किमी दौड़ता था।

गामा पहलवान का आहार 

गामा पहलवान के आहार के बारे में अपनी किताब  The Wrestler’s Body: Identity and Ideology in North India’ में जोसफ ऑल्टर ने गामा की डाइट को लेकर विस्तार से लिखा है।  गामा पहलवान की डाइट की बात करें तो गामा पहलवान रोजाना वह कम से कम 6 देशी मुर्गी, 10 लीटर दूध, करीब 1 लीटर घी पी जाते थे। हो सकता है कि इस diet को सुनकर कई लोग दांतों तले उँगलियाँ दबा लें लेकिन पहलवान कुछ इसी तरह का आहार लेते थे । ये अलग बात है कि शाकाहारी पहलवान अपने हिसाब से घी दही मक्खन ज्यादा लेते थे ।

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गामा पहलवान का निधन 

गामा पहलवान ने अपने जीवन के आखिरी सात साल पाकिस्तान में बिताए, जहां सरकार ने गामा पर कोई ध्यान नहीं दिया। 1960 में 82 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। गामा पहलवान को ‘रुस्तम-ए-हिंद’ के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें कि महान मार्शल आर्टिस्ट और अभिनेता ब्रूस ली भी गामा के फैन थे । गामा से ही प्रेरित होकर ब्रूसली ने अपनी एक्सरसाइज में दंड-बैठक को शामिल किया था । 

उपसंहार 

हमारा अद्भुत देश भारत में  ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं है जिन्होंने अपनी उपलब्धि जिन्होंने अपनी महान उपलब्धि और बड़े-बड़े कारणों से दुनिया में देश का नाम रोशन किया है।आज इस लेख में हम जिस मशहूर पहलवान का जिक्र कर रहे थे मशहूर गामा पहलवान को जिनकी उपमा हम सभी कहीं न कहीं जाने-अनजाने में किसी न किसी को देते ही रहते हैं।

क्या सोचते हैं आप गामा पहलवान और उनके द्वारा किए गए कारनामों पर , साथ ही इस लेख पर अपने विचार नीचे कमेन्ट बॉक्स में जरूर लिखिए ।

 

 

 

 

 

 

 

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Khushboo
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