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Communication Skill सुधारने के 9 टिप्स हिन्दी में

Written by-आर के चौधरी

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Communication Skill in Hindi: इस लेख में आप जान पाएंगे कम्यूनिकेशन स्किल से संबंधित कुछ प्रश्नों के उत्तर जैसे कि कम्यूनिकेशन स्किल क्या है ? कम्यूनिकेशन स्किल क्यों जरूरी है ? अच्छी कम्यूनिकेशन स्किल में बाधाएं क्या-क्या आती हैं ? साथ ही आप जान पाएंगे कम्यूनिकेशन स्किल को सुधारने संबंधित टिप्स एवं अन्य  महत्वपूर्ण तथ्य भी। 

वसीम बरेलवी का एक शेर है :-

कौन-सी बात कहाँ, कैसे कही जाती है ।
ये सलीक़ा हो, तो हर बात सुनी जाती है ।।

जी हां दोस्त ठीक से बोलने में आप ठीक हो जाएं तो फिर किसी भी क्षेत्र में  सफलता आपके कदमों से दूर नहीं है । ठीक से बोलना और अपने संवाद को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करना दोनों दो चीजें हैं । यदि आप अपने जीवन में सफलता अर्जित करना चाहते हैं तो प्रभावी संवाद कला में आपको माहिर बनना ही पड़ेगा । 

ईफेक्टिव कम्यूनिकेशन या  प्रभावी संवाद कला का हमारे जीवन और उपलब्धि को  निश्चित ही प्रभावित करती हैं । शिवखेड़ा कहते हैं – people are hired for their skills but fired for their attitude. और हमारा यह attitude लोगों तक पहुंचता है हमारे संवाद कौशल से । 

भारतीय चिंतन में सभी प्रमुख मनीषीयों ने सही से बोलने को लेकर बहुत कुछ कहा है । गीता में स्वयं भगवान कृष्ण कहते हैं –

अनुद्वेगकरं वाक्यं सत्यं प्रियहितं च यत्।
स्वाध्यायाभ्यसनं चैव वाङ्मयं तप उच्यते ।।

गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं –

तुलसी मीठे वचन ते सुख उपजत चहुँ ओर
बसीकरन इक मंत्र है परिहरू बचन कठोर ।।

महर्षि मनु ने कहा है – सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियम्यानि प्रिय असत्य और अप्रिय सत्य दोनों को ही बोलने से मना किया गया है । भारत के सभी प्रमुख ग्रंथ में हमें attitude और good communication skill को लेकर अनेकों-अनेक प्रसंग मिल जाएंगे । 

लेकिन यह विषयांतर हो जाएगा हम लौट चलते हैं अपने मूल विषय की ओर जो है कि कम्यूनिकेशन स्किल को कैसे सुधारें ? चलिए बिना किसी भटकाव के इस विषय पर हम (यानि आप और मैं ) बिंदुवार चर्चा (point to point discussion ) करते हैं, प्रश्नोत्तरी के रूप में ।

क्या है कम्यूनिकेशन ? 

कम्यूनिकेशन एक लैटिन शब्द है जिसका(Meaning of communication in Hindi) अर्थ होता है स्थापित मानकों के अनुरूप अपनी बात और अपने मनोभावों को अपने श्रोताओं तक  अपने लक्ष्य तक पहुंचाना ।  हिन्दी में मुझे संवाद थोड़ा अधिक सटीक लगता है इसलिए आगे हम कम्यूनिकेशन के लिए संवाद शब्द का उपयोग करेंगे । 

Communication (from Latin communicare, meaning “to share”) is the act of conveying meanings from one entity or group to another through the use of mutually understood signs, symbols, and semiotic rules. (Source: Wikipedia )

ऐसा हो सकता है कि सूचनाओं विचारों के आदान प्रदान में एक व्यक्ति अथवा समूह जो अपने सामने वाले से कुछ कहना चाहता हो ऐसा ठीक से नहीं कर पाए । इस तरह के संवाद को जिसमें आधी अधूरी जानकारी शेयर होती है को हम संवाद कह सकते हैं लेकिन वह प्रभावी संवाद नहीं होगा । फिर प्रश्न उठता है प्रभावी संवाद(Communication Skill Hindi) क्या है ? 

क्या है प्रभावी संवाद कला (What is Effective Communication Skill )

Communication Skills Kya Hai

प्रभावी संवाद (Effective Communication) का मतलब है अपनी बात को अपने श्रोताओं (targeted audience) तक सही तरीके से और अपने मूल रूप में (जैसे का वैसा) पहुंचा देना ।

  • प्रभावी संवाद निश्चित रूप से एक कला है जो जीवन की तथाकथित सफलता या तरक्की के लिए परम आवश्यक है । चूंकि कला है तो सीखने का क्रम अनवरत जारी रहता है । 
  • प्रभावी संवाद दूसरे व्यक्ति के बारे में सही से समझना है , यह कोई बहस नहीं है जहां किसी को हारना पड़े और किसी को जीतना पड़े । इसलिए कई बार आपको दूसरे के नजरिए से भी चीजों को देखना पड़ेगा । 

क्यों जरूरी है प्रभावी संवाद 

प्रभावी संवाद इसलिए जरूरी है ताकि वक्ता जो कहना चाह रहा है, उसको श्रोता ठीक उन्हीं भावों में समझ ले जिसमें वक्ता कहने की कोशिश कर रहा है । प्रभावी संवाद के बहुत सारे फायदें हैं जिसकी चर्चा हम आगे करेंगे ।

प्रभावी संवाद में बाधाएं क्या क्या हैं ?

प्रभावी संवाद स्थापित करने  में मुख्य बाधाओं की बात करें तो वो हैं -ध्यान से नहीं सुनना ,बातचीत  को लेकर तनावग्रस्त होना और अनुचित भाव भंगिमा के साथ नकारात्मक शारीरिक हावभाव का होना ।

ध्यान से नहीं सुनना

 ध्यान से अपने सामने वाले व्यक्ति की बात नहीं सुनना प्रभावी संवाद स्थापित करने में सबसे बड़ी बाधा है । जब आप से कोई अपनी बात कह रहा हो तो उसको ध्यान से सुने । ऐसा नहीं हो कि सामने वाला आपसे अपनी बात कहता जा रहा है और आप अपने फोन या किसी और काम में डूबे हुए हैं । 

बातचीत  को लेकर तनाव

कई बार जब हम पहले पहल कहीं अपनी बात रखने के लिए जा रहे होते हैं तो मन में एक भय जरूर रहता है लेकिन इस डर से उत्पन्न तनाव को अपनी बातचीत में हावी नहीं होने दें  क्योंकि ऐसा देखा गया है कि जब आप भावनात्मक रूप से अस्थिर या तनवग्रस्त होते है तो लोगों की पृष्ठभूमि का आकलन करने में गलती हो जाती है । 

फिर कई बार हमारा हावभाव भी हमारे शाब्दिक संवाद या बातचीत से तालमेल नहीं खाता है । इसे लेकर सामने वाला सवेदनशील हो सकता है । उत्कृष्ट संचार कौशल या प्रभावी संवाद कला(communication skill in hindi) को सीखने से आप ऐसी समस्याओं से बाहर आ पाएंगे ।

नकारात्मक शारीरिक हावभाव 

नकारात्मक शारीरिक हावभाव से हमारा तात्पर्य यह है कि जब आप किसी से संवाद कर रहे हों तो सीधे आँखों के संपर्क से बचना या अपना हाथ पैर हिलाते रहना ,सामने वाले को सुनते हुए भी अनदेखा करने का अभिनय करना । इन सब चीजों से बचना चाहिए । 

संवाद का मतलब केवल अपनी बातों को मनवाना ही नहीं होता कई बार इस बात पर भी राजी होना पड़ता है कि दोनों किसी किसी मुद्दे पर राजी नहीं भी हो सकते हैं । 

प्रभावी संवाद के टिप्स : 

आगे हम चर्चा करने जा रहे हैं 9 मुख्य बिंदुओं की जिनको अपनाकर आप अपने संचार कौशल को उत्कृष्ट और प्रभावी बना सकते हैं । इन टिप्स (how to improve communication skills in hindi) को जानना आपके सम्प्रेषण की क्षमता और प्रामाणिकता को बढ़ाएगी ऐसा मेरा मानना है । बाकी आप इन प्रभावी संवाद कला के टिप्स को कितना महत्वपूर्ण मानते हैं कृपया कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं ।

अपने श्रोताओं की जानकारी

कहीं भी प्रभावी संवाद स्थापित करने में इस बात का सबसे अहम रोल होता है। आपको किस से बात करनी है । उनकी पारिवारिक सामाजिक बौद्धिक और व्यावसायिक स्थिति को यदि एक वक्ता के रूप में आप भली प्रकार से समझ जाते हैं, तो आपको निश्चित रूप से अपने लक्षित श्रोताओं तक अपनी बात पहुचाने में आसानी होगी । 

अपने बच्चों से या अपने पति अथवा पत्नी या परिवार के अन्य सदस्यों से जिस प्रकार का संवाद हम करते हैं ,बातचीत हम करते है उसी तरह से हम किसी सरकारी अधिकारी या फिर अपने सहकर्मियों से बात नहीं कर सकते ।

 इसलिए अपने सुनने वालों के बारे में अच्छी तरह से जानना अपने संवाद को प्रभावी बनाने के लिए बहुत आवश्यक है । 

ध्यान से सुनना

सुनना और ध्यान से सुनने में बहुत अंतर है ।   विशेष रूप से फिर पढिए ध्यान से सुनना । जब आप किसी की बातों को ध्यान से सुनते हैं तो उस  व्यक्ति का आप पर थोड़ा भरोसा और बढ़ता है । किसी व्यक्ति को पूरे ध्यान या  पूर्ण मनोयोग (undivided attention) से सुनकर आप उसके मन तक पहुंच सकते हैं । 

वैसे भी भगवान ने सुनने के लिए दो कान दिए हैं और बोलने के लिए मुंह एक ही है । तो एक बेहतरीन वक्ता बनने के लिए प्रकृति के संदेश को भी अपने लिए समझिए । 

सही भाषा का प्रयोग

सही भाषा के प्रयोग का मतलब यह कि आप जिस ऑडियंस ग्रुप अथवा स्रोत समूह को संबोधित कर रहें हैं , यदि आप अपने शब्दों से उनकी भावनाओं तक पहुंच पाए तो आपको एक उत्कृष्ट संवाद(Better Communication Skill in Hindi) स्थापित करने से कोई रोक नहीं सकता । 

आखिरकार किसी के मन तक पहुचने के लिए सवारी तो शब्दों की ही करनी पड़ेगी । सो आपकी भाषा और शब्दावली ऐसी जरूर होनी चाहिए जिसे आपके targeted audience को आपकी बातों को समझने में आसानी हो । 

विश्वासपूर्वक बोलना

किसी भी वक्ता की विश्वसनीयता उसके आत्मविश्वास पर बहुत हद तक निर्भर करती है ।  आप जो बोल रहें हैं उस पर यदि आपको ही भरोसा नहीं है तो फिर कोई और उस पर क्यों भरोसा करेगा । अतः आपके बोलने में आपका विश्वास भी झलकना चाहिए । 

गैरमौखिक संवाद 

जैसा कि हमने ऊपर बताया प्रभावी संवाद स्थापित करने में शारीरिक भाव भंगिमा का भी अत्यधिक महत्व है । शारीरिक भाव-भंगिमा (body language -बॉडी लैंग्वेज ) की अनुकूलता संवाद की विश्वसनीयता को और अधिक प्रामाणिक बनाता है । जबकि बेमेल बॉडी लैंग्वेज संवाद को बिल्कुल निष्प्रभावी बना देता है। 

उदाहरण के लिए जब आप किसी को बधाई दे रहें हैं और आंखे कुछ और बता रहीं हैं तो आपका वह बधाई देना कितना विश्वसनीय रह जाएगा आप ही बता पाएंगे !! 

विचारों की स्पष्टता 

एक अच्छे संवाद कला (communication skill in hindi ) और बेहतर संवाद के लिए आप जो भी बात रख रहें हैं उससे आपका एक स्पष्ट दृष्टिकोण सामने आना चाहिए । यदि आप कही किसी विषय पर अपनी बात रख रहे हैं तो ऐसा नहीं होना चाहिए कि दस मिनट में पहले 5 मिनट आप कुछ और बोलें और अगले 5 मिनट कुछ और …. ! 

जिससे कुल मिला कर आप की बातों का कोई स्पष्ट मतलब ही नहीं निकले । यह एक तरह से संवादहीनता की स्थिति बन जाती है और यदि आप एस करते हैं तो आपके संवाद कौशल(communication skill) को  किसी भी स्थिति में अच्छा नहीं कहा जा सकता है ।

समय की पहचान 

किसी के मन तक पहुचने के लिए शब्द एक आसान माध्यम है, लेकिन यदि सही समय पर सही शब्द का उपयोग किया जाए तो यह संवाद को बेहद प्रभावशाली बनाता है और वक्ता को एक आकर्षक वक्ता । 

कम शब्दों में रखें बात 

यदि आप कहीं अपनी बात रखना चाहते हैं तो कोशिश करें कि कम शब्दों में अधिक बातें कह दी जाय । हमेशा ऐसा देखा गया है कि कम समय  और  शब्दों में कही गयी बातें अधिक प्रभावकारी होती हैं । इससे वक्ता के प्रति आकर्षण भी बना रहता है । 

संवाद में अपने श्रोताओं को करें शामिल 

सभी विशेषज्ञों का कहना है कि एक प्रभावी संवाद स्थापित करने के लिए वक्ता को अपने श्रोताओं को बीच-बीच में अपने प्रस्तुति में शामिल  करना चाहिए।  

यदि बातचीत के बीच संभव हो तो हल्के-फुल्के मज़ाक को शामिल किया जा सकता है । उनको प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित किया जा सकता है या छोटे-छोटे अन्य क्रियाकलापों के द्वारा भी उन्हें संवाद में अधिक संलग्न किया जा सकता है । 

इन सभी क्रियाकलापों के द्वारा एक वक्ता के रूप में आप अधिक प्रभावी और प्रामाणिक ढंग से अपनी बात रख सकतें हैं । इसमें मैंने मुख्य बिंदुओं को समेटने की कोशिश की है जिनको अपनाकर आप  प्रभावी संवाद और उत्कृष्ट सम्प्रेषण को सुनिश्चित कर पाएंगे और आपका संचार कौशल भी निश्चित ही उतरोत्तर बेहतर होता चला जाएगा ।

यदि आप किसी और बिन्दु को इसमें शामिल किये जाने हेतु उपयुक्त मानते हैं तो कृपया कमेन्ट बॉक्स में जरूर लिखें । 

प्रभावी संवाद के फायदे 

अब थोड़ी चर्चा कर लेते हैं  प्रभावी संवाद प्रक्रिया(effective communication process) से होने वाले लाभ के बारे में –

  • प्रभावी संवाद जहां कहीं भी दो व्यक्तियों अथवा समूहों में होता है यह दोनों के लिए एक अच्छा और सकारात्मक अनुभव होता है । 
  • ईफेक्टिव कम्यूनिकेशन से एक अच्छी और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली टीम का निर्माण होता है जहां टीम के सभी सदस्यों को अपने रोल और लक्ष्य का स्पष्ट पता होता है । 
  • सफलतापूर्वक सामने वाले के मन तक पहुचने के कारण अपने  दोस्तों और परिवारजनों और सहकर्मियों के बीच लोकप्रियता ।  एक वक्ता के रूप में भी आपकी विशिष्ट छवि बनती है । 
  • मित्र अपने संवाद कला को प्रभावी बनाने में निवेश किया गया समय आपको आपके व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में रिटर्न देगा इसकी गारंटी है । 

अंत में आपसे इतना कहते हुए अपनी बात समाप्त करना चाहता हूँ कि संवाद को प्रभावी बनाने की कला को सीखना  एक अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है । जिसमें  हम जीवनपर्यंत सीखते रहते हैं । वैसे भी यदि आप किसी भी क्षेत्र में विशेषज्ञ बनना चाहते हैं तो फिर उस विषय में सीखना तो जीवन भर पड़ेगा । 

यहाँ एक विशेषज्ञ जैसा कुछ होता नहीं है और अनवरत सीख कर प्रभावी संवाद कौशल के जरिए अपना और लोगों का जीवन रूपांतरित करना ही एक लक्ष्य होता है । यदि आप भी कुछ 

यदि यह लेख(communication skill in Hindi) आपको पसंद हो वा इसमें कोई त्रुटि नजर आए या कोई अन्य टिप्पणी हम तक भेजना चाहते हैं तो कमेन्ट बॉक्स में आपके विचारों का स्वागत है… लिख कर जरूर भेजें ! इस लेख को अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल्स पर शेयर भी करे क्योंकि Sharing is Caring !

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