सही समय पर सही करियर का चुनाव- Selection of right career option at right time

Written by-आर के चौधरी

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सही करियर का चुनाव सही समय पर करना किसी भी विद्यार्थी के  लिए अपने व्यक्तित्व बुद्धि और क्षमता के हिसाब से विद्यार्थी जीवन का अत्यंत मुश्किल निर्णय होता है.अक्सर सामाजिक दबाव या अन्य किसी कारण से जब अपनी रुचि से अलग किसी विषय का चयन विद्यार्थी अपने करियर निर्माण के लिए करता है, तो उसकी पूरी तैयारी व्यर्थ चली जाती है.

कभी भी जॉब संतुष्टि नहीं मिलती है और अपना सर्वश्रेष्ठ भी वह कभी उस क्षेत्र में दे नहीं पाता है. अक्सर अपना करियर बनाने के लिए विषय का चयन एक विद्यार्थी अपने अभिभावक नाते -रिश्तेदार, दोस्त या अन्य सामाजिक संबंधों वाले व्यक्तियों के दबाव में ही करता है. 

कब करना चाहिए करियर का चुनाव:

अमूमन हमारे देश में करियर का चुनाव एक विद्यार्थी तब करता है जब वह दसवीं कक्षा से पास होकर 11वीं में दाखिले की सोचता है. हालांकि तब तक काफी देर हो चुकी होती है. चुनाव के लिए समय काफी कम और दबाव बहुत ज्यादा होता है. इस समय एक विद्यार्थी को अपनी रुचियों को सही से परखने का पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है.  इसलिए एक छात्र को अपने करियर विकल्पों का चयन आठवीं या नौवीं कक्षा में ही करनी चाहिए.

करियर काउंसलर से परामर्श

जब करियर विकल्पों के चयन को लेकर आपके मन में उहापोह की स्थिति होती है. तब उस समय एक कुशल और पेशेवर करियर काउंसलर की सहायता लेनी चाहिए. करियर काउंसलिंग विभिन्न माध्यमों के सही उपयोग से योग्य पेशेवरों द्वारा (By Efficient Professionals) किया गया मार्गदर्शन होता है.

आमतौर पर एक पेशेवर करियर काउंसलर विद्यार्थी की रुचि, व्यक्तित्व का मूल्यांकन,पारिवारिक पृष्ठभूमि और प्रोत्साहन इन सभी चीजों का सही  विश्लेषण करने के बाद ऐसे करियर का परामर्श देता है, जिसमें विद्यार्थी के सफल होने की संभावना प्रबल हो.

क्या होता है करियर काउंसलिंग में?

करियर काउंसलिंग विद्यार्थियों को सटीक और उपयुक्त करियर विकल्प का चयन करने के लिए किया जाता है. करियर काउंसलिंग में किसी भी विद्यार्थी की बौद्धिक क्षमता को परखने के लिए बुद्धि परीक्षण (Intelligence Test) किए जाते हैं. 

जिसमें विद्यार्थियों की स्मृति, शब्द योग्यता, तर्कशक्ति और संख्यात्मक योग्यता जैसे तमाम योग्यताओं को मापा जाता है. बुद्धि सभी इंसानों में एक जन्मजात विशेषता है. फिर भी सभी इंसानों का बौद्धिक स्तर समान नहीं हो सकता.इसलिए इसके सही विश्लेषण द्वारा आगे की करियर हेतु उचित मार्गदर्शन दिया जाता है. 

क्यों जरूरी है सही करियर परामर्श?

आज का एक छात्र कल का पेशेवर(professional) है. अगर उसकी बुद्धि क्षमता और योग्यता किए जा रहे काम की मांग से ज्यादा है, तो उच्च स्तर की बुद्धि वाले व्यक्ति के लिए उस पद पर काम करना  बोझिल हो जाता है. इसी प्रकार अगर अगर उसकी बुद्धि किए जा रहे काम अथवा पद की योग्यता के हिसाब से कम है तो भी वह काम उसे मुश्किल और उबाऊ लगने लगता है.

इन दोनों ही स्थितियों में वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पाता और इस प्रकार वह एक पेशेवर के रूप में अपनी जिंदगी हताशा और निराशा  में जीने को बाध्य हो जाता है.





क्रिएटिविटी(creativity) को पहचानना है जरूरी 

अपनी योग्यता और रुचि के हिसाब से काम नहीं मिलने पर व्यक्ति कभी भी अपनी उत्पादकता में शीर्ष स्तर को नहीं छू पाता है. इसलिए हमें अपने बच्चों की सृजनशीलता को शुरुआती दिनों में ही पहचान लेने में  समझदारी है. मसलन अगर एक बच्चा शुरुआती दिनों से ही रचनाशील(creative) है, तो उसके लिए फाइन-आर्ट, एनिमेशन, डिजाइन जैसे किसी कोर्स का चयन करना ज्यादा उपयुक्त होगा.

अपनी रूचि के क्षेत्र में व्यक्ति की उत्पादकता और निजी संतुष्टि का स्तर बहुत ऊंचा रहता है.  आज सॉफ्टवेयर, इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में जाने की होड़ लगी हुई है .हांलाकि वहां से भी निराशा और असफलता  की खबरें लगातार आती रहती हैं. ऐसे में अपने आप को पहचानने के लिए स्वयं की और विशेषज्ञ की मदद लेना काफी अहम हो जाता है.

करियर मार्गदर्शन पर्सनैलिटी प्रोफाइल

करियर मार्गदर्शन की दिशा में अगला महत्वपूर्ण कदम है व्यक्ति के व्यक्तित्व परीक्षण करना. जिससे उसकी खूबियों और विशेषताओं को मापा जा सके, जो उसे औरों से अलग बनाती है.

व्यक्ति की विभिन्न विशेषताएं जैसे बहिर्मुखी व्यक्तित्व, अंतर्मुखी व्यक्तित्व, जिम्मेदारी, संवेदनात्मक और भावनात्मक स्थिरता जैसे तथ्यों का मूल्यांकन करके एक व्यक्ति की संपूर्ण पर्सनैलिटी प्रोफाइल(personality profile) बनाई जाती है.

इससे व्यक्ति के भीतर मौजूद  स्थायी विशेषताओं को मापा जा सकता है.यह विशेषता दो व्यक्तियों के आपसी अंतर संबंधों में व्यवहार में काफी महत्वपूर्ण होती हैं.  इनका(स्थायी विशेषताओं का) हमारे प्रदर्शन पर बहुत ही व्यापक प्रभाव होता है. इसलिए हमें करियर निर्माण करते समय अपने व्यक्तित्व के विभिन्न पक्षों को सही से जान लेना भी बहुत आवश्यक है.

काउंसलिंग से बनिए सफल पेशवर 

विद्यार्थियों  की वास्तविक रचनाशीलता और क्षमताओं की पहचान कर उन्हें उनकी क्षमताओं के हिसाब से उन्नत मध्यम और कम स्तर के वर्गों में विभाजित कर, उनकी रुचि के विषय में आगे बढ़ने का परामर्श देकर करियर काउंसलर उस विद्यार्थी को एक सफल और संतुष्ट जीवन जीने की राह दिखता है. 

चूंकि विद्यार्थी जीवन के बाद अगले 30 से  40 वर्षों तक हमें एक प्रोफेशनल के रूप में, उसी करियर में काम करना होता है, जिसका चयन  हमने अपनी बुद्धि और विवेक से किया होता है. छात्र अक्सर ऊपर बतायीं चीजों को नजरअंदाज कर देते हैं जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अपने पेशेवर जीवन(professional life) में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.


जीवन में सही समय पर, सही जगह पे सही चीज के साथ में होना ही कामयाबी का मूलमंत्र है .


ये भी जरूर पढ़ें

  1. करियर काउंसलिंग और सफल करियर निर्माण
  2. बहिर्मुखी व्यक्तित्व आपकी सफलता का सोपान




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