एटीएम का फुल फॉर्म

एटीएम का फुल फॉर्म तथा जानिए ATM के बारे में बहुत कुछ

Written by-Khushboo

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आप जब इस पोस्ट-” एटीएम का फुल फॉर्म तथा ATM के बारे में बहुत कुछ ” को अपने फोन या कंप्यूटर पर पढ़ रहे हैं तो मेरे पास ऐसा मानने का कोई कारण नहीं है कि आप के पास एटीएम कार्ड नहीं होगा या आपने एटीएम कार्ड और मशीन देखे नहीं होंगे । फिर भी इस पोस्ट को पढ़ने से कई ऐसी जानकारी आपको मिलेगी जैसे कि ATM का full form क्या है ? एटीएम कैसे काम करता है, कितने प्रकार का होता है और  ATM के उपयोग के फायदे क्या-क्या हैं ?आदि । ये जानकारियां एक सामान्य पाठक के साथ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे छात्रों के लिए भी लाभदायक हो सकता है । 

आज दुनिया की अर्थव्यवस्था एक तरह से काग़ज़ और प्लास्टिक कार्ड से होती हुई डिजिटल अर्थव्यवस्था में बदलती जा रही है । यानि विश्व के सभी देशों में लेन-देन कैश की बजाय अब प्लास्टिक कार्ड और डिजिटल साधनों से ज्यादा हो रहा है । भारत में हुई 4G क्रांति के बाद अब अन्य प्रगतिशील देशों की तरह ही हमारा देश भारत भी  डिजिटल अर्थव्यवस्था  की तरफ तेजी से बढ़ता जा रहा हैं । 

यदि आप इन चीजों के बारे में पहले से जानते हैं तो फिर आप इस पोस्ट को यहीं से छोड़कर विचारक्रांति के किसी और आर्टिकल को पढ़ सकते हैं ।अन्यथा इसी पोस्ट के ऐसे हिस्से जो आपके लिए उपयुक्त हो को भी पढ़ सकते हैं । 

चलिए जानते हैं एटीएम के बारे में ।

एटीएम क्या होता है

एटीएम एक इलेक्ट्रो मेकैनिकल मशीन है ,जिसके द्वारा किसी भी बैंक का रजिस्टर्ड ग्राहक बिना बैंक की शाखा में गए सामान्य लेनदेन की प्रक्रिया को पूरा कर सकता है । यहां सामान्य लेनदेन से हमारा मतलब है पैसे की निकासी , पैसा जमा करना , एक खाते से दूसरे खाते में धनराशि को ट्रांसफर करना । 

इन सभी सुविधाओं का उपयोग करने के लिए विभिन्न बैंक अपने ग्राहकों को एक प्लास्टिक का कार्ड जारी करता है जिसमें उस ग्राहक तथा उसके खाते से संबंधित सारी जानकारियां संग्रहित होती है । आप अपने एटीएम कार्ड का उपयोग ऊपर बताए गए लेनदेन के अलावा दुकानों में ख़रीददारी और अपने बिलों के भुगतान में भी कर सकते हैं। 

एटीएम का फुल फॉर्म 

मित्र
ATM का Full Form होता है “ Automated Teller Machine
हिन्दी में ATM का नाम अथवा ATM का पूरा नाम होता है स्वचालित टेलर मशीन
A – Automated
T– Teller
M– Machine

> full form of pos -पीओएस के बारे में पूरी जानकारी
> जानिए क्या होता है 1k और 1M का मतलब

किसने बनाया एटीएम

एटीएम बनाने का श्रेय पाने वाले  व्यक्ति का नाम है जॉन शेफर्ड बैरन । जॉन शेफर्ड बैरन का जन्म 23 जून 1925 को ब्रिटिश  भारत के शिलांग में हुआ था जो वर्तमान में मेघालय राज्य की राजधानी है।  जॉन  शेफर्ड बैरन ने ही De La Rue प्रिंटिंग फर्म की इंजीनियरिंग टीम का नेतृत्व किया था जिसने सफलतापूर्वक 27 जून 1967 को उतरी लंदन के बार्कलेज़ बैंक की एक शाखा में इस मशीन को लगाया । 

(हालांकि इसी से मिलता-जुलता या कह लीजिए कि इसके अविकसित रूप या प्रारूप जिसे बैंकोग्राफ (Bankograph by Luther Simjian)  कहा गया और ऐसे ही कुछ दूसरे  अविकसित यंत्रों का पेटेंट अन्य व्यक्तियों (लूथर सिम्जियन और एड्रियन एशफील्ड)  के नाम है । लेकिन विभिन्न वैज्ञानिक खोजों में ऐसा होता है । पिछले नवोन्मेष का उपयोग करके जिसने भी कुछ ऐसा यंत्र बना कर दुनिया को दिखाया जो ठीक से काम कर सके उसका श्रेय उसी को जाता है ।  )

1967 में ATM मशीन सबसे पहले लंदन में लगी । हालांकि उसी आसपास इसका उपयोग जापान और स्वीडन में भी हुआ । लेकिन जिस तरह के एटीएम का उपयोग हम आजकल कर रहें हैं – एक बैंक के एटीएम कार्ड को दूसरे बैंक की  मशीन में उपयोग (For Interbank Transaction ) वह  1970 के बाद ही संभव हो पाया । 

कैसे काम करता है एटीएम 

एटीएम मशीन का उपयोग करने के लिए आपको अपने एटीएम डेबिट कार्ड को मशीन के कार्ड रीडर में डालना पड़ता है । डेबिट कार्ड की काली पट्टी जिसे magnetic strip कहते हैं में एक ग्राहक की सारी जानकारी सुरक्षित रहती है । 

एक बार कार्ड मशीन में लगाने के बाद मशीन आपसे आपका चार अंकों वाला पिन पूछता है, जिससे मशीन उपयोगकर्ता की पहचान को सत्यापित कर पाए । जैसे ही पहचान सत्यापित हो जाता है आपको एटीएम के स्क्रीन पर लेनदेन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए विकल्प दिया जाता है ।

जिसका अपने जरूरत के हिसाब से उपयोग कर के आप धन की निकासी अथवा खाते में जमा धन की जानकारी अथवा अपने डेबिट कार्ड का पिन चेंज आदि कर सकते हैं ।

ये हुई फ्रन्ट एंड की बात जो एक ग्राहक को दिखाई पड़ता है । बैक एंड में यह मशीन आपके द्वारा दी गई सूचनाओं के साथ बैंक के सेंट्रल  सर्वर से संपर्क करके आपके लेनदेन को सफल बनाता है। 

एटीएम के प्रकार

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स के लिए एटीएम का फुल फॉर्म(full form of ATM) के साथ ही ATM के प्रकारों (Types of ATM) और इसके वर्गीकरण के बारे में जानना बहुत लाभकारी रहेगा ।

एटीएम को उसके काम करने के तरीके,उसका रखरखाव कौन कर रहा है ? और उसका उपयोग करने की अनुमति किसको है ? आदि के आधार पर अलग-अलग भागों में बांट सकते हैं ।

हम यहां सबसे पहले काम करने के तरीके के आधार पर ही एटीएम के प्रकारों की चर्चा कर रहें हैं। इस आधार पर एटीएम मशीन को दो भागों में बांट सकते हैं। पहला जिसमें से हम केवल नकदी (cash) को निकाल सकते हैं और दूसरा वो मशीन जिसमें कैश निकालने के अलावा अन्य कार्य भी कर सकते हैं ।

रखरखाव के आधार पर एटीएम के प्रकार

रखरखाव के आधार पर जो वर्गीकरण है, वही आपको ज्यादा प्रभावी दिखेगा । रखरखाव आधार पर एटीएम का वर्गीकरण इस प्रकार से किया जा सकता है ।

  • Onsite ATM :- ऐसे एटीएम मशीन जो कि बैंक के परिसर के अंदर ही स्थित और संचालित होते हैं को ऑन साइट एटीएम कहा जाता है । 
  • Offsite ATM :- आवासीय कालोनी , बाजार और शॉपिंग मॉल में स्थित एटीएम मशीन इस श्रेणी में आते हैं। 
  • Bank Owned ATM : – ऐसे एटीएम जिसके रखरखाव और संचालन की पूरी जिम्मेदारी उस एटीएम मशीन का स्वामित्व रखने वाली बैंक के ही पास होगा । एटीएम पर Logo उस एटीएम को संचालित करने वाली बैंक का ही होता है । 
  • White Label ATM :- ऐसे एटीएम जिनका संचालन और रखरखाव गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के द्वारा किया जाता है, को हम व्हाइट लेबल एटीएम कहते हैं । इस प्रकार के एटीएम स्थापित करने के लिए गैर बैंकिंग कंपनियों को आरबीआई द्वारा लाईसेंस जारी किया जाता है । NBFC जो इस प्रकार के एटीएम लगाना चाहती है,उसको लाइसेन्स तभी मिलता है जब वह नेटवर्थ और अन्य मुद्दों पर आरबीआई  की शर्तों को पूरा करती हो ।  ऐसे एटीएम में या तो कोई Logo नहीं होता या जो निजी कंपनी उस एटीएम का मालिक है उसका Logo लगा होता है । 
  • Brown Label ATM :- इस प्रकार के एटीएम को बैंक, निजी कंपनी या संस्था के सहयोग से लगाती है । इसमें बैंक थर्ड पार्टी को आउट्सोर्स करती है । एटीएम लगाने और उसके रखरखाव का जिम्मा प्राइवेट हाथ में होता है । एटीएम मशीन का हार्डवेयर और जगह आदि का किराया निजी कंपनी या संस्था भरती है । कनेक्टिविटी तथा कैश की व्यवस्था करने का काम बैंक देखती है । इस प्रकार के एटीएम में बैंक अपना Logo भी लगा सकती है,प्रायः बैंक के Logo लगे भी होते हैं।

उपयोग के आधार पर एटीएम के प्रकार

उपयोग के आधार पर ATM को 4 तरह से बांट सकते हैं । आगे बताए गए 4 प्रकार के एटीएम बहुत कम या नगण्य है पूरे देश में  । 

  • Yellow Label ATM :- केवल ई कॉमर्स लेनदेन के लिए स्थापित एटीएम को येलो लेबल एटीएम कहा जाता है । 
  • Green Label ATM :-ये एटीएम कृषि संबंधित लेनदेन से जुड़े होते हैं । 
  • Orange Label ATM :-इस प्रकार के एटीएम मशीनों का उपयोग विशेष रूप से शेयर के लेनदेन में होता है । 
  • Pink Label ATM:- पिंक लेबल एटीएम का उपयोग केवल महिलाओं को आसान बैंकिंग सुविधा पहुचाने के लिए किया जाता है । 

एटीएम में लगने वाले पार्ट्स

वैसे तो एटीएम अपने डिजाइन के हिसाब से अलग-अलग होते हैं, लेकिन सभी प्रकार के एटीएम में लगने वाले पार्ट्स अमूमन एक जैसे ही होते हैं। बोनस के रूप में एटीएम का फुल फॉर्म(atm full form) के साथ यह भी जान लीजिए कि एक एटीएम मशीन में मुख्य रूप से कौन-कौन से पार्ट्स होते हैं ?

कार्ड रीडर : एटीएम से लेनदेन के लिए जहां आप अपने कार्ड को लगते हैं उसे ही कार्ड रीडर कहा जाता है । यह एटीएम कार्ड पर मौजूद काले रंग की मैग्नेटिक पट्टी या फिर कार्ड में लगे चिप में संग्रहित जानकारियों को पढ़ता है ।

कीपैड : यह स्क्रीन के नीचे होता है इसके माध्यम से  आप अपना पिन , आपको कितने रूपये निकालने हैं आदि का निर्देश एटीएम मशीन को देते हैं ।

स्क्रीन : इसमें अपने लेनदेन को पूरा करने के लिए विभिन्न विकल्पों को आप देख पाते हैं । 

रिसीप्ट प्रिंटर :- आपके लेनदेन की समाप्ति के पश्चात यह आपको एक receipt देता है,जिसमें आपके लेनदेन(Transaction) का पूरा ब्यौरा लिखा हुआ रहता है । 

कैश डिस्पेन्सर : – इसके द्वारा कैश अथवा धनराशि नोट संभालने वाली एटीएम कैसेट से निकल कर बाहर आता है । जिसे ग्राहक अपने हाथ से लेकर अपने पास रख लेता है ।

इसके अलावा एटीएम मशीन में एक छोटा सा स्पीकर भी होता है, जिससे उपयोगकर्ता व्यक्ति मशीन द्वारा दिए गए निर्देशों का अनुपालन कर पाता है । 

एटीएम के फायदे 

एटीएम का उपयोग करने से बैंक और ग्राहक दोनों ही को लाभ है । बैंक और बैंक कर्मियों को जहां इस मशीन की वजह से कार्य के अतिरिक्त दबाव से मुक्ति मिल जाती है, वहीं ग्राहक भी एटीएम की सुविधा के कारण बैंक बंद हो जाने के बाद भी कैश निकाल सकते हैं। Non Banking Hours में भी लेनदेन पूरी कर सकते हैं । साथ ही उन्हें शॉपिंग करने के लिए अब साथ में कैश लेकर घूमने की जरूरत भी नहीं रह गई है ।

एटीएम से जुड़े रोचक तथ्य

नीचे हमने आपके लिए एटीएम से जुड़े कुछ रोचक तथ्य संकलित करके लिखा है । ये तथ्य आपकी जानकारी बढ़ाने और प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से काफी उपयोगी हो सकते हैं ।

  1. टाटा ग्रुप की कंपनी Tata Communications Payment Solutions Limited- TCPSL ने इंडिकैश (Indicash) नाम से देश में व्हाइट लेबल एटीएम लगाने की शुरुआत की थी । white Label ATM लगाने का लाइसेन्स रिजर्व बैंक ने सबसे पहले TCPSL को ही दिया था ।
  2. भारत में एटीएम की कुल संख्या  2.5 लाख से अधिक है । 
  3. सबसे अधिक एटीएम वाला राज्य महाराष्ट्र है । 
  4. देश में सबसे अधिक एटीएम एसबीआई के हैं।
  5. दुनिया का पहला एटीएम 27 जून 1967 में लगाया गया था । 
  6. भारत में पहला एटीएम HSBC बैंक द्वारा मुंबई में सन 1987 में लगाया गया था । 
  7. दुनिया का पहला फ्लोटिंग एटीएम भारतीय स्टेट बैंक ने केरल में लगाया था । 
  8. यूरोपीय देश रोमानिया में बिना खाते के भी एटीएम का उपयोग किया जा सकता है । 
  9. दुनिया का सबसे ऊंचाई( 14,300 फुट ) पर स्थित एटीएम नथुला में है, जिसे यूनियन बैंक ने भारत-चीन सीमा पर तैनात जवानों के लिए लगाया है । 
  1. दुनिया के अलग अलग देशों में एटीएम को अलग अलग नामों से जाना जाता है  न्यूजीलैंड में इसे कैश पॉइंट और ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में इसे मनी मशीन कहा जाता है ।
  2. ब्राजील में एटीएम लेनदेन को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए बायोमेट्रिक आयडेंटिफिकेशन का उपयोग किया जाता है ।

निष्कर्ष

एटीएम के उपयोग ने हमारे लेनदेन और बैंकिंग अनुभव को पूरी तरह से बदल दिया है । भारत के ग्रामीण अंचल जहां आज भी बैंक की आनुपातिक संख्या अपेक्षाकृत बहुत कम है , में लोगों की बैंकिंग जरूरतों को आसान करने में इसकी अहम भूमिका रही है ।


मुझे पूरी उम्मीद है कि भले ही यह पोस्ट-एटीएम का फुल फॉर्म क्या है थोड़ा लंबा हो गया हो लेकिन इससे आपको एटीएम के बारे में कुछ नई जानकारियां मिली होंगी । इस लेख पर आपके विचार नीचे कमेंट बॉक्स में सादर आमंत्रित हैं …लिख कर जरूर भेजें ! इस लेख को अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल्स पर शेयर भी करे क्योंकि Sharing is Caring !

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