kavi and song writer gopal das neeraj,

प्रख्यात गीतकार और वरिष्ठ कवि गोपालदास नीरज !

Written by-Khushboo

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गुजर गए प्रख्यात गीतकार और वरिष्ठ कवि  ‘गोपालदास नीरज’ जानिए उनके बारे में   

कभी नीरज ने कहा था –

इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में ,
तुम्हें लग जाएंगी सदियाँ हमे भुलाने में 

यदि आप नीरज जी के बारे में जानना चाहते हैं तो फिर ये जीवनी या Biography उस मशहूर कवि से आपको रूबरू करने का एक छोटा सा प्रयास है ,बाकी आपकी प्रतिक्रियाओं का हमें भी इंतजार रहेगा …!

 ” दुखते हुए घावों पे हवा कौन करे ,
 अब इस उम्र में जीने की दुआ कौन करे “
गोपालदास नीरज रुमानियत और श्रंगार के कवि माने जाते थे.उनकी कविताओं में जीवन दर्शन भी काफी गहराई से उभर कर आता है.दशकों तक कवि-सम्मेलनों की शान रहे गोपालदास नीरज का नाम हिंदी फिल्म उद्योग में भी  उनके कालजई गीतों के लिए उतने ही आदर से लिया जाता है.एक साक्षात्कार में नीरज ने कहा था ‘अगर दुनिया से रुखसती के वक्त आपके गीत और कविताएं लोगों की जुबां और दिल में हों तो यही आपकी सबसे बड़ी पहचान होगी।’


जन्म –            04 जनवरी 1924
नाम –            गोपालदास नीरज
उपनाम –      नीरज
पिता का नाम  – ब्रजकिशोर सक्सेना
जन्म स्थान – ग्राम- पुरावली, जिला- इटावा, उत्तर प्रदेश


नीरज का बचपन इटावा में :-
गोपालदास सक्सेना ‘नीरज’ का जन्म 4 जनवरी 1924 को  पुरावली ग्राम जिला एटा उत्तर प्रदेश में हुआ। मात्र छह साल की उम्र में पिता का साया उनके उपर से उठ गया। 1942 में नीरज ने एटा से हाई स्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से शुरू में इटावा के कचहरी में typist  का काम किया और फिर एक सिनेमाघर पर एक दुकान में भी काम किया

कानपुर में संघर्ष के दिन :-
गोपालदास नीरज दिल्ली से नौकरी छूट जाने पर कानपुर पहुंचे और वहां डीएवी कॉलेज में क्लर्क की नौकरी की। फिर बाल्कट ब्रदर्स नाम की एक प्राइवेट कंपनी में पांच साल तक टाइपिस्ट का काम किया। कानपुर के कुरसंवा मुहल्ले में उनका लंबा वक्त गुजरा। नौकरी करने के साथ ही प्राइवेट परीक्षाएं देकर उन्होंने 1949 में इंटरमीडिएट, 1951 में बीए और 1953 में प्रथम श्रेणी में हिन्दी साहित्य से एमए किया।

प्राध्यापक की नौकरी
नीरज ने मेरठ कॉलेज मेरठ में हिन्दी प्रवक्ता के पद पर कुछ समय तक अध्यापन कार्य भी किया। बाद में वहां की नौकरी से त्यागपत्र देना पड़ा ,वजह  उनके सह-कर्मियों द्वारा लगाया गया आशिकमिजाजी का आरोप था, जिससे तंग आकर उन्होंने त्यागपत्र दे दिया. बाद में अलीगढ़ के धर्म समाज कॉलेज में उन्हें हिंदी विभाग में प्राध्यापक के पद पर नौकरी मिली . बाद में इसी अलीगढ़ को उन्होंने अपना स्थाई ठिकाना बना लिया  मैरिस रोड जनकपुरी अलीगढ़ में स्थायी आवास बनाकर रहने लगे।

कवि सम्मेलनों में भारी लोकप्रियता :-
अपनी रुमानी कविताओं के कारण गोपालदास नीरज को देश भर के कवि सम्मेलनों से बुलावा आने लगा। वे हिंदी कविता में मंच के लोकप्रिय कवियों में शुमार हो गए। नीरज खुद को कवि बनने में सबसे बड़ी प्रेरणा हरिवंश राय बच्चन की निशा निमंत्रण को मानते हैं।

बॉलीवुड में कदम :-
कविता में लोकप्रियता की सीढ़ियां चढ़ने की वजह से उन्हें बॉलीवुड से भी गीत लिखने के  ऑफरआने लगे.अपनी पहली ही फिल्म में उनके लिखे कुछ गीत – कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे…, प्यार का यह मुहूरत निकल जाएगा…बेहद लोकप्रिय हुए।  उन्होंने मेरा नाम शर्मीली, जोकर,और प्रेम पुजारी जैसी कई अनगिनत चर्चित फिल्मों में कई लोकप्रिय गीत लिखे।

फिल्म फेयर पुरस्कार :-
गीत लेखन के करियर में ऊंचाई पर रहते हुए 70 के दशक में नीरज को 3 फिल्म फेयर अवार्ड मिले जिनका विवरण इस प्रकार से है :-
1970 : काल का पहिया घूमे रे भइया ! ( फिल्म: चन्दा और बिजली)
1971 : बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं ( फिल्म: पहचान)
1972 : ए भाई ! जरा देख के चलो ( फिल्म : मेरा नाम जोकर)

अलीगढ़ वापसी:-
एक दौर ऐसा भी आया जब अपने फिल्मी करियर से  उब कर, गीतकार नीरज अपने पुराने ठिकाने अलीगढ़ को लौट आए .फिर यही जीवनपर्यंत  रहे.

नीरज की प्रमुख कृतियां
(इनमे से कुछ किताबों के लिंक नीचे हैं आप चाहे तो ऑनलाइन या फिर अपने शहर के किसी प्रतिष्ठित दुकान से खरीद सकतें हैं)

लिंक्स अफिलीऐटिड हैं –

  • बादलों से सलाम लेता हूं
  • संघर्ष (1944)
  • अन्तर्ध्वनि (1946)
  • विभावरी (1948)
  • प्राणगीत (1951)
  • दर्द दिया है (1956)
  • बादर बरस गयो (1957)
  • मुक्तकी (1958)
  • दो गीत (1958)
  • नीरज की पाती (1958)
  • गीत भी अगीत भी (1959)
  • आसावरी (1963)
  • नदी किनारे (1963)
  • लहर पुकारे (1963)
  • कारवाँ गुजर गया (1964)
  • फिर दीप जलेगा (1970)
  • तुम्हारे लिये (1972)
  • सांसों के सितार पर
  • नीरज की गीतिकाएँ (1987)

मृत्यु :-मशहूर कवि और गीतकार गोपालदास नीरज का लंबी बीमारी के बाद दिल्ली के एम्स में 19 जुलाई 2018 को 93 वर्ष की अवस्था मे निधन हो गया। लेकिन अपनी मधुर गीतों और उत्कृष्ट कविताओं के लिए दुनिया उन्हें अनंत काल तक याद करती रहेगी

हमें पूरा विश्वास है कि कवि नीरज जी की जीवनी और उनके बारे मे प्रस्तुत महत्वपूर्ण जानकारियां आपको पसंद आयी होंगी ,त्रुटि अथवा किसी भी अन्य प्रकार की टिप्पणियां नीचे कमेंट बॉक्स में सादर आमंत्रित हैं …लिख कर जरूर भेजें ! इस लेख को अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल्स पर शेयर भी करे क्योंकि Sharing is Caring !

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